अन्नदाताओं’ को चरमपंथी कहने वालों को इंसान कहलाने का हक नहीं: उद्धव ठाकरे

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  • हज़ारों किसानों राजस्थान सीमा पर मौजूद, आज से दिल्ली-जयपुर हाइवे जाम करने की चेतावनी.
  • दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शनों का ये 17वां दिन है. किसानों ने बीते मंगलवार को सरकार के संशोधनों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
  • किसान संगठनों का कहना है कि सरकार से बातचीत तभी संभव है जब वो कृषि क़ानूनों को रद्द करने के लिए तैयार हो जाए.
  • किसान संगठनों ने कहा है कि उनकी मांग ना माने जाने पर संगठनों के नेता सोमवार (14 दिसंबर) को अनशन पर बैठेंगे.
  • दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि किसानों की मांगों के समर्थन में वो 14 दिसंबर को एक दिन का उपवास रखेंगे.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि बीजेपी राज्य में उनकी सरकार गिराने की इस कदर कोशिश कर रही है कि उसे लोगों की भलाई के लिए उठाए जा रहे कदम नहीं दिख रहे.

रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेन्द्र फड़नवीस की एक टिप्पणी का जवाब दिया और कहा, “अगर मुंबई में अघोषित इमर्जेंसी है तो जो देश के दूसरे हिस्सों में है, वो इमर्जेंसी है.”

उन्होंने कहा, “जिस तरह दिल्ली के बाहरी इलाक़ों में विरोध कर रहे किसानों के ऊपर कड़कती ठंड में पानी की बौछार की गई, क्या वो सामाजिक सौहार्द्य का प्रतीक था?”

उद्धव ठाकरे ने किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की आलोचना की और कहा, “बीजेपी को तय करना होगा कि किसान आंदोलन को कौन सपोर्ट तकर रहा है, पाकिस्तान, चीन या माओवादी.”

बीजेपी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ”आप पाकिस्तान से प्याज आयात करते हैं, तो अब क्या किसान भी पाकिस्तान से आ रहे हैं.”

इससे पहले रविवार को बीजेपी नेता और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि किसान आंदोलन अब किसानों का हाथ से निकल गया है और नक्सल और माओवादी इसे चला रहे हैं और जो लोग ‘देशद्रोह के आरोप में’ जेलों में बंद हैं उन्हें छुड़ाने की मांग की जा रही है.

ठाकरे ने कहा, “अगर फडनवीस का कहना है कि राज्य सरकार आलोचकों के ख़िलाफ़ कदम उठा रही है जिससे अघोषित इमर्जेंसी जैसा हालात पैदा हो रहे हैं, तो अपने हक के लड़ रहे किसानों को देशद्रोही कहुना इमर्जेंसी से भी बुरा है.”

उन्होंने कहा जो देश के ‘अन्नदाताओं’ को को चरमपंथी कहते हैं उन्हें इंसान कहलाने का भी हक नहीं है.

उन्होंने कहा, “बीजेपी राज्य सरकार को अस्थिर करने में इतनी बिज़ी है कि उसे ये देखने की फिर्सत नहीं कि बीते एक साल में हमने क्या कुछ काम किया है. महाविकास अघाड़ी को लेकर जनता में कोई संशय नहीं है.”

इससे पहले देवेन्द्र फडनवीस ने कहा था कि सरकार रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ अर्नब गोस्वामी और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के पीछे पड़ी है, ऐसा लगता ‘राज्य में अघोषित इमर्जेंसी हैं.‘

इसी दौरान रेफरेंडम 2020 को लेकर सिख फार जस्टिस (एसएफजे) की ओर से इंटरनेट मीडिया पर की जाने वाली भड़काऊ पोस्ट और दिल्ली में किसान संगठनों के आंदोलन को खालिस्तान के साथ जोड़ने की एसएफजे की नापाक कोशिशों को इंटरनेट मीडिया पर ही करारा जवाब दिया गया है। शनिवार को हैशटैग रियल सिखस, हैशटैग नहीं चाहिदा खालिस्तान, हैशटैग नो सिख वांट्स खालिस्तान और हैशटैग सिखस रिजेक्ट खालिस्तान ट्विटर पर दिनभर ट्रेंड करता रहा।

वीडियो में एक युवा सिख कह रहा है कि हम लोग तो बहुत भोले हैं। हम से गुरुद्वारा की कमेटी ही नहीं संभाली गई, बादल उसे लूट रहे हैं। खालिस्तान बना कर भी क्या कर लेंगे, हम खालिस्तान क्यों बनाएंगे? हमें खालिस्तान की कोई जरूरत ही नहीं।

उसने कहा कि जो लोग कनाडा अमेरिका में बैठकर खालिस्तान की मांग करते हैं, वह पंजाब में 47 डिग्री सेल्सियस तापमान में रहकर दिखाएं। फिर हम मानेंगे कि वह हमारे हमदर्द हैं। मान लो हम छोटा सा खालिस्तान बना भी लेते हैं, तो पहले ननकाना साहिब जाने के लिए वीजा की मांग करते हैं तो फिर हमें पटना साहिब और श्री हजूर साहिब जाने के लिए भी वीजा की मांग करनी पड़ेगी। यह बहुत ही गलत थ्योरी है। हम इसे सिरे से नकारते हैं। पिछले चार पांच दिन से हम पर खालिस्तानी होने का टैग लगाया जा रहा है, लेकिन हम खालिस्तानी नहीं हैं।

ट्विटर पर ट्रेंड हुए इन हैशटैग के बाद इस पोस्ट को कई बार रीट्वीट किया गया। एक ट्विटर हैैंडलर अशोक कौल ने जवाब दिया कि सिख महान देशभक्त हैं। लेकिन कुछ लोग अपने मुद्दों के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं। वहीं, कुछ हैंडलर्स ने वीडियो में दिखाई दे रहे युवा सिख को असली सिख कहा। एक हैैंडलर ने लिखा कि अमेरिका और इंग्लैंड में रहने वाले जो लोग खालिस्तान की मांग कर रहे हैं उन्हें भारत में दाखिल होने पर तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

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