पटियाला। निजी स्कूलों को फीस वसूलने के हाई कोर्ट के आदेशों के बाद पटियाला में पेरेंट्स ग्रुप ने अब सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ की गुहार लगाई है। परिजनों का कहना है कि जब सरकार वित्तीय संकट का हवाला दे महंगाई बढ़ा रही है, तो उसे यह भी समझना चाहिए कि वित्तीय संकट उनके लिए भी है। जब तीन माह पढ़ाया ही नहीं तो फीस किस बात की मांग रहे हैं। एकदम से तीन माह की फीस व दाखिला फीस भरने को कह दिया गया। इतने पैसे कहां से लाएं। अब तो कोई उधार भी नहीं दे रहा। वे तो हर तरफ से मारे गए। न सरकार ने सुनी। न प्रशासन ने और अब कोर्ट भी उनके साथ ही नजर आया। वे जाएं तो जाएं कहां। अब सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की मांग की है।
पेरेंट्स ग्रुप पटियाला ने सुप्रीम कोर्ट में आठ राज्यों के पेरेंट्स द्वारा दायर पटीशन मंजूर किए जाने के बाद अगली सुनवाई की तैयारी के लिए मीटिंग दौरान कही। इस दौरान लॉकडाउन के दौरान मंगलवार को स्कूल फीस माफी की मांग को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले से असंतुष्टता जाहिर करते हुए कहा कि वह कोर्ट के इस फैसले का विरोध करते हैं।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दायर पटीशन में पेरेंट्स ग्रुप पटियाला के सदस्य भी पार्टी है। उन्होंने बताया कि वह प्राइवेट स्कूल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे और पेरेंट्स को हक दिलाकर ही रहेंगे। उन्होंने सभी प्राइवेट स्कूलों के पेरेंट्स को अपील की कि वह फिलहाल प्राइवेट स्कूलों की फीस न भरें और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करें। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट द्वारा उनके हक में फैसला नहीं आया तो प्रदर्शन करेंगे।
पेरेंट्स ग्रुप पटियाला के वरिष्ठ उपप्रधान जयदीप गोयल ने बताया कि ज्यादा समय मोबाइल इस्तेमाल करने के कारण बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। इसके साथ ही बच्चे वर्जित कंटेंट भी इंटरनेट पर देख रहे हैं। ऑनलाइन एजुकेशन के फायदे कम हैं।
सरकार करे एक्ट पास
पेरेंट्स ग्रुप के प्रधान जगतार सिंह जग्गी ने कहा कि सरकार पेरेंट्स को राहत देना ही चाहती है तो एक्ट पास करे। उन्होंने कहा कि सरकार लॉकडाउन दौरान पहले भी फीस न भरने संबंधी आदेश जारी किए हैं। सरकार चाहे तो पेरेंट्स के हक में एक्ट पास करे।
ये हैं पेरेंट्स की मांगें
- साल 2020-21 सेशन को जीरो ईयर मानते हुए स्टूडेंट्स को अगली क्लास में प्रमोट किया जाए।
- नो इनकम, नो स्कूल, नो फीस को लागू किया जाए
- लॉकडाउन से लेकर स्कूल खुलने तक किसी भी तरह की फीस नहीं ली जाए।
- किसी भी तरह के खर्च जैसे एनुअल फीस, बिल्डिंग फंड, एग्जामिनेश्न फीस, कंप्यूटर फीस आदि न ली जाए।
- प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें बंद करके एनसीईआरटी की किताबें लगाई जाएं।
- हर स्कूल में पेरेंट्स-टीचर एसोसिएशन लाजमी तौर पर लागू हो और मेंबर वोटिंग सिस्टम से चुने जाएं।