अमृतसर। सिख कौम को लव-कुश के वंश से बताकर तख्त श्री पटना साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह बुरी तरह से फंस गए हैं। गुरुवार को उन्हें सिख पंथ से निष्कासित कर दिया गया। यह फैसला अमृतसर सरबत खालसा की ओर से श्री अकाल तख्त साहिब के नियुक्त किए गए कार्यवाहक जत्थेदार ध्यान सिंह मंड ने जारी किया है। नए हुक्मनामे के तहत वह न तो अपने नाम के साथ ज्ञानी और न ही जत्थेदार शब्द लगा सकते हैं। साथ ही सिंह शब्द भी नहीं लगाने पर पाबंदी रहेगी।
मामला अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि के दौरान का है। जन्मभूमि के पूजन के मौके पर सामने आ रही तरह-तरह की टीका-टिप्पणियों के बीच सिख पंथ से जुड़े ज्ञानी इकबाल सिंह ने कहा था कि सिख गुरु लव-कुश के वंशज हैं। उनके इस बयान की आलोचना शुरू हुई तो एसजीपीसी के प्रधान गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने कहा था कि इतिहास को बिगाड़ना पूर्व जत्थेदार को शोभा नहीं देता। साथ ही शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने उन पर सिख मर्यादा का उल्लंघन करने और इतिहास की गलत व्याख्या करने का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की कि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह उनके खिलाफ कार्रवाई करें।
सरना के पूछने पर कि किस किताब में लिखा है, ज्ञानी इकबाल सिंह ने अपने बयान पर कायम रहने के साथ कहा था, ‘यह सब दशम ग्रंथ में उल्लेखित है, जिसकी रचना श्री गुरु गोबिंद सिंह ने की थी।’ दूसरी ओर जत्थेदार के ओहदे से हटाए जाने के विरोध में उन्होंने कहा था कि मामला अदालत में है और इसका फैसला आने तक वह अपने नाम के आगे जत्थेदार लगाते रहेंगे।
इस तमाम मसले पर अमृतसर सरबत खालसा की ओर से नियुक्त कार्यवाहक ध्यान सिंह मंड ने ज्ञानी इकबाल सिंह को 20 अगस्त को अकाल तख्त पर पेश होने के निर्देश दिए थे। वह पेश नहीं हुए। अकाल तख्त साहिब पर नतमस्तक होने के बाद आदेश जारी करते हुए मंड ने कहा कि कौमविरोधी बयान देने और बुलाने पर नहीं आने के चलते उन्हें पंथ से निष्कासित किया जाता है। साथ ही आदेश दिए हैं कि ज्ञानी इकबाल सिंह अपने नाम के साथ न तो ज्ञानी और न ही जत्थेदार शब्द लगा सकते हैं। अपने नाम के पीछे वह सिंह शब्द भी नहीं लगाएंगे। सिख कौम ज्ञानी इकबाल सिंह से अपने सारे रिश्ते खत्म करे।