कोविड के फैलाव और मौतों की दर बढ़ने के चलते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्य में सभी जरूरतमंदों को प्लाज्मा मुफ्त मुहैया कराया जाएगा। कैप्टन ने स्वास्थ्य विभाग को यह यकीनी बनाने के सख्त आदेश दिए कि कोविड के मरीजों से प्लाज्मा थरैपी की कोई कीमत न वसूली जाए और न ही किसी को भी प्लाज्मा खरीदने या बेचने का अधिकार नहीं है क्योंकि प्लाज्मा कोरोना वायरस के किसी भी इलाज की अनुपस्थिति में कई मामलों में जानें बचाने में सहायक साबित हुआ है।
दरअसल, कुछ समय पहले सेहत विभाग ने आदेश दिए थे कि सरकारी प्लाज्मा बैंक से प्राइवेट अस्पताल भी 20 हजार रुपए प्रति यूनिट प्लाज्मा खरीद सकेंगे। इसका चौतरफा विरोध हुआ। इसके बाद सरकार बैकफुट पर आ गई। अब प्राइवेट अस्पतालों को भी प्लाज्मा बैंक से मुफ्त प्लाज्मा मिलेगा। वीरवार को कैप्टन ने कहा कि सूबे में कोविड के 10 हजार मरीज ठीक हो चुके हैं। ठीक हो चुके कोविड के मरीजों को कोविड के मरीजों की जान बचाने के लिए आगे आना चाहिए।
कोविड टेस्ट की एसएमएस से मिलेगी रिपोर्ट
कोविड टेस्ट के रिपोर्ट भेजने को आसान बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने विभाग से समझौता किया है। इसके तहत आईसीएमआर पोर्टल पर लैबों द्वारा नतीजे अपडेट करने के बाद टेस्ट के नतीजे एसएमएस से लोगों को भेजा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि अब तक 1.37 लाख लोगों को एसएमएस के द्वारा रिपोर्ट मिल भी चुकी है। यह पहल व्यक्तियों को समय पर टेस्ट के नतीजों संबंधी सूचित करने को यकीनी बनाने के लिए की गई है। प्रशासनिक सुधार विभाग ने आईसीएमआर के साथ तालमेल किया है।
अमृतसर, फरीदकोट में प्लाज्मा बैंक खुलेंगे
कैप्टन ने स्वास्थ्य विभाग को आदेश दिया कि अमृतसर और फरीदकोट में प्लाज्मा बैंक स्थापित करने के काम में तेजी लाए। पटियाला में प्लाज्मा बैंक पहले ही शुरू हो चुका है। कैबिनेट मंत्री ओपी सोनी ने कहा कि नए बैंकों की मंजूरी हासिल हो चुकी है और उपकरणों की खरीद के लिए टेंडर जारी किए जा रहे हैं।
रात में भी तैनाती वाली जगह पर रहें अफसर
मुख्य सचिव विनी महाजन ने सुझाव दिया कि सभी फील्ड अफसरों यानी डिप्टी कमिश्नर और एसएसपीज को अगले दो महीनों के लिए रात के समय भी अपनी तैनाती वाले स्थानों पर ही रहना चाहिए। क्योंकि पंजाब में नाजुक दौर चल रहा है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर अफसर तुरंत मौके पर ही डिसीजन ले सकें।
प्लाज्मा थेरेपी क्या है? (What is plasma therapy?)
प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लास्माफेरेसिस (plasmapheresis) नाम से जाना जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं (blood cells) से अलग किया जाता है।
इसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्थी टिशू मिलते हैं, तो उसका इलाज समय रहते शुरू किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी को क्यों किया जाता है? (Purpose of plasma therapy)
हालांकि, प्लास्माफेरेसिस आधुनिक मेडिकल साइंस की देन है, जिसने काफी सारे लोगों की ज़िदगी को बदल दिया है।
इसके बावजूद, राहत की बात है कि इसे सामान्य स्थितियों में नहीं बल्कि इसे कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
अत: प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से इन 5 उद्देश्य के लिए किया जाता है-
- संक्रमण का पता लगाना- प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है।
चूंकि, काफी सारी बीमारियाँ संक्रमण के द्वारा होती है, इसलिए ऐसी बीमारियों का इलाज करने में प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर उपाय साबित होती है। - डोनर पार्ट का सही तरीके से काम न करना- वर्तमान समय में काफी सारे ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, मगर कई बार ये असफल साबित हो जाते हैं।जब ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों के लिए डोनर पार्ट सही तरीके से काम नहीं करता है, तब उन्हें प्लाज्मा थेरेपी सहायता करती है।
- खेल में चोट (Sport Injury) लगना- कई बार, खेल में चोट का इलाज करने के लिए फ्लास्माफेरेसिस का सहारा लिया जाता है।
इस प्रकार, इस थेरेपी को स्पोर्ट्स इंजरी को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। - मायस्थीनिया ग्रेविस का इलाज करना- जब कोई व्यक्ति मायस्थीनिया ग्रोविस (Myasthenia gravis) से पीड़ित होता है, तो उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी की सहायता करते हैं।
मायस्थीनिया ग्रोविस से तात्पर्य ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें लोगों की मांसपेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं। - गुलियन बेरी सिंड्रोम का इलाज करना- अक्सर,प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल गुलियन बेरी सिंड्रोम (Gullian Berry Syndrome) का इलाज करने के लिए भी किया जाता है।
गुलियन बेरी सिंड्रोम रोग-प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने की बीमारी है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ता है और उनके बीमार होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
प्लाज्मा थेरेपी को कैसे किया जाता है? (Plasma therapy procedure)
प्लाज्मा थेरेपी एक दिन की प्रक्रिया है, जिसमें 1-3 घंटे का समय लगता है। इसे काफी सावधानी से किया जाता है, ताकि इसे कराने वाले लोगों को किसी तरह के दर्द या तकलीफ़ महसूस न हो।
इसमें कुछ महत्वपूर्ण स्टेप्स शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं-
- स्टेप 1:सुई को लगाना- प्लाज्मा थेरेपी की शुरूआत सुई लगाकर होती है, जिसमें लोगों की बाँह में लगाया जाता है।
- स्टेप 2: खून को निकालना- सुई लगाने के बाद खून निकाला जाता है, जिसके लिए अपकेंद्रित मशीन (centrifuge machine) का इस्तेमाल किया जाता है।
- स्टेप 3:प्लाज्मा का निर्माण या तैयार करना- प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले व्यक्ति के शरीर से खून निकालने के बाद डॉक्टर प्लाज्मा का निर्माण या तैयार किया जाता है।
- स्टेप 4: इंजेक्शन लगाना- जैसे ही प्लाज्मा का निर्माण किया जाता है, तब उसके इंजेक्शन को लोगों के शरीर में डाला जाता है।
- स्टेप 5: इंजेक्शन वाली जगह को साफ करना- लोगों के शरीर में प्लाज्मा के इंजेक्शन डालने के बाद ही यह प्रक्रिया समाप्त हो जाती है।
इसके बाद,इंजेक्शन वाली जगह को साफ करने के बाद बैंडेज की जाती है।
प्लाज्मा थेरेपी के लाभ क्या है? (Benefits of plasma therapy )
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल काफी सालों से किया जा रहा है, जिसका लाभ काफी सारे लोगों को मिला है।
इसके अलावा, डॉक्टर भी प्लाज्मा थेरेपी कराने इसलिए देते हैं, क्योंकि इसके काफी सारे लाभ होते हैं, जिनमें से मुख्य 5 इस प्रकार हैं-
- रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना- प्लाज्मा थेरेपी कराने का सबसे बड़ा लाभ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है।
जिस लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहतर या मजबूत होती है, उनके बीमार होने की संभावना काफी कम रहती है। - अन्य बीमारियों का इलाज करना- यह थेरेपी चेहरे,बाल,चेहरे इत्यादि से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान करने में भी कारगर साबित होती है।इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी से इन समस्याओं को भी ठीक किया जा सकता है।
- समय की बचत होना- जहां एक ओर, कुछ सर्जरी में काफी समय लगता है, वहीं दूसरी प्लाज्मा थेरेपी में काफी कम (3-5 घंटे) समय लगता है।
इसकी वजह से, लोगों को इस थेरेपी को कराने पर समय की बर्बादी नहीं होती है। - दर्द महसूस न होना- प्लाज्मा थेरेपी का अन्य लाभ दर्द महसूस न होना भी है।
जब इस थेरेपी को किया जाता है, तो इसे कराने वाले लोगों को किसी तरह का दर्द महसूस नहीं होता है। - जल्दी रिजल्ट आना या दिखना- इस थेरेपी के काफी सारे ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें इसे कराने वाले लोगों को आराम मिलता है।
इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी का अन्य लाभ जल्दी रिजल्ट आना या दिखना है।
प्लाज्मा थेरेपी के संभावित खतरे क्या हो सकते हैं? (Plasma therapy complications)
हालांकि, प्लाज्मा या प्लास्माफेरेसिस थेरेपी को काफी कारगर तरीका माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी अन्य मेडिकल प्रक्रिया की तरह प्लाज्मा थेरेपी के भी कुछ संभावित खतरे होते हैं, जिनकी जानकारी सभी लोगों को होनी चाहिए।
इस प्रकार, यदि कोई इस थेरेपी को कराता है, तो उसे निम्नलिखित खतरों का सामना करना पड़ सकता है-
- संक्रमण होना- हालांकि, प्लाज्मा थेरेपी को संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद यह समस्या इसके बाद भी रह सकती है।
अत: इस थेरेपी का प्रमुख खतरा संक्रमण होना है। - नस का खराब होना- कई बार,प्लाज्मा थेरेपी का असर नस पर भी पड़ सकता है, जिसकी वजह से नस खराब हो सकती है।
- बेहोशी होना- अक्सर, इस थेरेपी को कराने वाले कुछ लोग बेहोशी या कमज़ोरी रहने की शिकायत करते हैं।
इस प्रकार, प्लाज्मा थेरेपी से लोगों को कमज़ोरी महसूस हो सकती है। - ब्लड क्लोट्स होना- प्लाज्मा थेरेपी की वजह से ब्लड क्लोट्स की संभावना भी बढ़ सकती है।
हालांकि, ब्लड क्लोट्स का इलाज संभव है, लेकिन इसके बावजूद इसके लाइलाज रहने पर यह गंभीर समस्या बन सकती है। - धुँधला दिखाई देना- इस थेरेपी का असर मानव-शरीर के अन्य अंगों जैसे आंखों पर भी पड़ सकता है।
इस कारण, प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले लोगों को धुँधला दिखाई देने (blurred vision) की समस्या हो सकती है।
प्लाज्मा थेरेपी के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (Things to remember after plasma therapy)
ऐसा माना जाता है कि किसी भी सर्जरी या ऑपरेशन के बाद का समय काफी संवेदनशील होता है, जिसमें पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
यह बात प्लाज्मा थेरेपी पर भी लागू होती है क्योंकि इसके बाद लोगों में खतरे होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
इस प्रकार, यदि किसी व्यक्ति ने हाल ही में इस थेरेपी को कराया है तो उसे इन 5 बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए ताकि वह जल्दी से ठीक हो सके-
- अधिक मात्रा में पानी पीना- प्लाज्मा थेरेपी के बाद लोगों के शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
इसके लिए इस थेरेपी को कराने वाले लोगों को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि उन्हें यह समस्या न हो। - थेरेपी वाली जगह पर बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल न करना- चूंकि, थेरेपी वाली जगह पर दर्द महसूस हो सकती है।
इस कारण इस थेरेपी को कराने वाले लोगों को थेरेपी वाली जगह पर बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ताकि यह दर्द न बढ़े। - नशीले पदार्थों का सेवन न करना- प्लाज्मा थेरेपी के बाद लोगों को अपने खान-पान और सेहत पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अत: उन्हें नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये उनकी सेहत को खराब कर सकते हैं। - दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करना- किसी भी अन्य मेडिकल प्रोसिस की तरह प्लाज्मा थेरेपी के बाद भी लोगों को दर्द हो सकता है।
इस प्रकार, इसे कराने वाले लोगों को दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करना चाहिए ताकि यह दर्द कम हो सके। - डॉक्टर के संपर्क में रहना- प्लाज्मा थेरेपी कराने वाले लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे डॉक्टर के संपर्क में रहें।
उन्हें समय-समय पर डॉक्टर से मिलना चाहिए ताकि उनकी सेहत का पता चल सके।
क्या प्लाज्मा तकनीक स्वस्थ होने की गारंटी है
ऐसा माना जाना पूर्णत: सही नहीं होगा कि प्लाज्मा तकनीक स्वस्थ होने की गारंटी है। यह जरूरी नहीं है कि एक व्यक्ति पर अगर कोई दवाई असर करती है तो उसका एंटीबैक्टीरियल ट्रांसफ्यूजन दूसरे पर भी असर करेगा ही। चीन में इसके इस्तेमाल से मरीजों की सेहत में सुधार देखा गया था। कई दूसरे देशों से भी इससे फायदा मिलने की खबरें हैं।
पहली बार कब इस्तेमाल हुई ये थेरेपी
1890 में एक जर्मन फिजियोलॉजिस्ट एमिल वॉन बेह्रिंग ने पाया कि जब उन्होंने डिप्थीरिया से संक्रमित खरगोश से सीरम लिया, तो यह डिप्थीरिया के कारण होने वाले संक्रमण को रोकने में प्रभावी था। अतीत में कई प्रकार के प्रकोपों के दौरान एक ही प्रकार के उपचारों का उपयोग किया गया है, जिसमें स्पैनिश फ्लू महामारी 1918, डिप्थीरिया का प्रकोप 1920 इत्यादि शामिल हैं। उस समय कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी या प्लाज्मा थेरेपी कम प्रभावी थी और इसके पर्याप्त दुष्प्रभाव भी थे।
प्लाज्मा बैंक
दिल्ली में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए देश का पहला प्लाज्मा बैंक शुरू हो चुका है। लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान में प्लाज्मा बैंक शुरू किया गया है। प्लाज्मा दान करने के लिए 1031 पर लोग फोन कर सकते हैं या वॉट्सएप नम्बर 8800007722 पर संदेश भेज सकते हैं।