चंडीगढ़। पूर्व क्रिकेटर और पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू लंबे अरसे बाद मोगा में कांग्रेस के मंच पर आए तो खूब ‘छक्के’ लगाए। लेकिन, लुधियाना आते-आते गुरु सिद्धू कांग्रेस की पिच से ‘आउट’ हो गए और एक बार फिर कांग्रेस के लिए ‘पराये’ होते नजर आए। यह सब हुआ कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में। सिद्धू ने राहुल गांधी की मौजूदगी मेें अपनी ही सरकार को निशाने पर लिया तो असहज कांग्रेस ने उनसे फिर दूरी बना ली।
नवजोत सिंह सिद्धू के लिए 30 मिनट में ही बदली तस्वीर, राहुल गांधी के भाषणों से हुए गायब
दरअसल, सिद्धू को कांग्रेस जितना अपने करीब लाने और कैप्टन अमरिंदर सिंह से उनकी खटास को दूर करने का प्रयास करती है वह अपने तेवर से उस पर पानी फेर देते हैं। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत के तीन दिन के प्रयास और डिनर डिप्लोमेसी के बाद नवजोत सिंह सिद्धू राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा केे आगाज में बधनी कलां में कांग्रेस के मंच पर आए। पंडाल में मौजूद लोगों समेत राहुल गांधी ने भी सिद्धू को हाथों हाथ लिया। लेकिन, महज 30 मिनट में ही तस्वीर बदल गई और सिद्धू राहुल के भाषण से गायब हो गए। हरीश रावत भी सिद्धू से खिन्न नजर आए।
मोगा के बधनीकलां में रैली के मंच पर नवजोत सिंह सिद्धू से बात करते राहुल गांधी।
राहुल के सामने केंद्र के साथ कैप्टन सरकार को घेरा, राहुल के साथ ट्रैक्टर पर बैठने का नहीं मिला मौका
मोगा के बधनी कलां की मंडी में लगे कांग्रेस के मंच पर जैसे ही सिद्धू की एंट्री हुई लोगों ने पूरे जोश के साथ स्वागत किया। नवजोत सिंह सिद्धू ने भी चिरपरिचित अंदाज में हवा में छक्का मार कर लोगों के अभिनंदन का जवाब दिया। सिद्धू के लिए कांग्रेस ने अपनी सारे मंत्रियों को पीछे वाली सीट पर बैठा दिया। मनप्रीत बादल, चरणजीत सिंह चन्नी, राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, सुखजिंदर सिंह रंधावा सभी पिछली सीट पर बैठे।
बधनी कलां में कैप्टन सरकार पर वार सिद्धू को पड़ा महंगा, चक्र व लम्मा जट्टपुरा में नहीं मिला बोलने का मौका
सिद्धू कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत के साथ आगे वाली सीट पर बैठे। मंत्रियों को यहां बोलने का मौका नहीं मिला परंतु पार्टी या सरकार में कोई पद न होने के बावजूद सिद्धू को मंच से बोलने का मौका भी दिया गया। परंतु सिद्धू ने कैप्टन सरकार पर सवाल उठा दिए और उसके बाद सारी तस्वीर बदल गई। मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा,जोकि स्टेज का संचालन कर रहे थे, के अलावा किसी को भी भाषण देने का अवसर नहीं मिला। सिद्धू ने भाषण दिया और अपनी ही सरकार पर सवाल भी उठाए।
इसके बाद सिद्धू के लिए सारा नजारा बदल गया। बधनी कलां में तो राहुल गांधी ने सिद्धू का नाम लिया लेकिन अगली दोनों सभाओं में न तो सिद्धू का नाम लिया और न ही सिद्धू को बोलने का अवसर दिया गया। माना जा रहा है जिस प्रकार से सिद्धू ने पंजाब की कांग्रेस सरकार पर उंगली उठाई वह बात राहुल को भी नागवार गुजरी।
अहम बात यह है कि बधनी कलां से लेकर चक्कर पिंड तक राहुल गांधी, मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ जिस ट्रैक्टर पर रहै उसकी स्टेरिंग सुनील जाखड़ ने संभाल रखी थी। हरीश रावत भी सिद्धू के रवैये से खिन्न दिखाई दे रहे थे। हालांकि रावत सिद्धू के साथ दीपेंद्र हुड्डा के साथ ट्रैक्टर पर सवार थे। पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ट्रैक्टर के पीछे लटके हुए अंदाज में थे। अव देखना होगा कि सिद्धू का रवैये को कांग्रेस कितना गंभीरता से लेती है।
कैप्टन सरकार से किया सवाल, पंजाब में एमएसपी क्यों तय नहीं हो सकता
बधनी कलां में नवजोत सिंह सिद्धू ने राहुल गांधी की मौजूदगी में केंद्र सरकार के साथ कैप्टन सरकार को घेर लिया। सिद्धू ने कहा कि सरकार दिखावे के लिए नहीं होती, उसकी भी जिम्मेदारी होती है। अगर हिमाचल प्रदेश की सरकार सेब की फसल पर एमएसपी तय कर सकती है तो पंजाब सरकार यहां की फसलों की क्यों नहीं कर सकती?
सिद्धू ने कहा कि पंजाब दाल और तिलहन का आयात कर रहा है, यहां के किसान इनकी खेती क्यों नहीं कर सकते। सिद्धू के भाषण से भले ही पंडाल में मौजूद लोग उत्साहित थे लेकिन मंच पर मौजूद पार्टी के नेता खुद को असहज महसूस कर रहे थे। सिद्धू को रोकने के लिए मंत्री सुखजिंदर रंधावा उठे तो सिद्धू ने उन्हेंं यह कहकर रोक दिया कि ‘तगड़े घोड़े’ को इशारा ही काफी है। इसके बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत भी उस समय तक अपनी सीट पर खड़े रहे जब तक सिद्धू ने अपना भाषण खत्म नहीं किया।
सिद्धू ने केंद्र सरकार पर वार करते हुए कहा कि पंजाब सरकार को भी विशेष सत्र बुलाकर कृषि कानूनों के विरोध में प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति को भेजना चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने संबोधन में सिद्धू का नाम लिए बिना कहा कि यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है। कैप्टन का संकेत साफ था कि केंद्र के कानून को विधानसभा में चुनौती नहीं दी जा सकती।
अपनी सरकार का विरोध करना पड़ गया महंगा
करीब सवा साल से सक्रिय सियासत से दूर चल रहे सिद्धू को राजनीति की नई पारी के लिए मिली शुरुआत रास नहीं आई। शायरी के साथ दम भरने वाले सिद्धू गांव चक्र और लम्मा जट्टपुरा पहुंचे तो बुझे-बुझे से नजर आए। राहुल के साथ ट्रैक्टर पर बैठने का मौका नहीं मिला तो राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ ट्रैक्टर पर बैठे सिद्धू ने रास्ते में ट्रैक्टर रुकवाया और अपनी कार में सवार हो गए। सिद्धू की नाराजगी का पता चलने पर हरीश रावत फिर सिद्धू के पास पहुंचे, परंतु सिद्धू ने मंच पर आने से भी मना कर दिया। परंतु बाद में हरीश रावत के कहने पर सिद्धू मंच पर पहुंचे।
कैप्टन अमरिंदर ने नहीं लिया सिद्धू का नाम
मुख्यमंत्री कैप्टन अमङ्क्षरदर ङ्क्षसह ने गांव चक्र और लम्मा जट्टïपुरा में मंच पर मौजूद सभी नेताओं के नाम लिए लेकिन सिद्धू का नाम नहीं लिया। जनसभा में मौजूद लोगों को लगा कि राहुल से पहले सिद्धू भाषण देंगे, लेकिन उन्हें संबोधन के लिए नहीं बुलाया गया। इतना ही नहीं, मंच पर कई ऐसे नेता भी मौजूद थे जो कभी सिद्धू के साथ गले मिलते थे, परंतु उन्होंने भी सिद्धू से दूरी बनाए रखी। हालाकि जट्टपुरा में लोगों ने राहुल और कैप्टन के मंच पर पहुंचने पर इतना उत्साह नहीं दिखाया जितना सिद्धू के पहुंचने पर दिखाया।