Punjab Corona Vacciantion: वैक्सीन नहीं लगवाने वाले सेहत कर्मियों को हर सप्ताह करवाना होगा कोरोना टेस्ट

Punjab Corona Vacciantion सेहत विभाग द्वारा जारी आदेशों के मुताबिक 15 मार्च 2021 तक जिन हेल्थ वर्करों ने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है वह हर सप्ताह आरटीपीसीआर कोरोना टेस्ट लाजिमी करवाएंगे और उसकी रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारियों को देंगे।

बठिंडा । सेहत विभाग की कोशिशों के बाद भी हेल्थ वर्कर कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए आगे नहीं आ रहे है। हालांकि, सेहत विभाग कई बार सेहत कर्मियों के टीकाकरण की तारीख में बदलाव कर चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी 45 फीसद हेल्थ कर्मियों ने ही वैक्सीन लगवाई है, जबकि 55 फीसद हेल्थ वर्करों का टीकाकरण नहीं हुआ है। ऐसे में सभी हेल्थ वर्करों को कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए हेल्थ सेक्रेटरी ने एक अनोखा फरमान सभी हेल्थ वर्करों के लिए जारी किया है। सेहत विभाग की तरफ से जारी आदेशों के मुताबिक 15 मार्च 2021 तक जिन हेल्थ वर्करों ने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है, वह हर सप्ताह आरटीपीसीआर कोरोना टेस्ट लाजिमी करवाएंगे और उसकी रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारियों को देंगे। इसके बाद भी अगर कोई भी हेल्थ वर्कर कोरोना टेस्ट नहीं करवाता है, तो उसे ड्यूटी से गैर हाजिर माना जाएगा और उनकी हाजिरी नहीं लगाई जाएगी।

हेल्थ सेक्रेटरी के इन आदेशों के बाद सिविल सर्जन बठिंडा ने सभी जिले के एसएमओ को पत्र जारी कर इन आदेशों को लागू करवाने के लिए कहा है। वहीं तानाशाही वाले इस आदेशों का हेल्थ वर्करों द्वारा पूर्ण रूप से विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि ऐसे आदेश जारी कर सेहत विभाग हेल्थ वर्करों से धक्केशाही कर रही है, जोकि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वैक्सीन लगवाना या नहीं लगवाना, हर व्यक्ति का निजी फैसला है, इसके लिए किसी भी व्यक्ति पर दबाव नहीं बनाया जा सकता है।

हेल्थ वर्करों का आरोप है कि अगर हेल्थ विभाग ने इन आदेशों को लागू करने की कोशिश की तो इसका जमकर विरोध किया जाएगा और सरकार के खिलाफ संघर्ष शुरू किया जाएगा। ऐसे आदेश कोरोना महामारी के दौरान फ्रंटलाइन पर काम करने वाले हेल्थ वर्करों के मनोबल को तोड़ने का काम कर रही है, इसलिए इन आदेशों को तुरंत वापस लिया जाए। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में हुई वृद्धि ने सेहत विभाग को सकते में डाल दिया है। पिछले कुछ दिनों से कोविड के सक्रिय मामले बढ़ रहे हैं। फिलहाल इस स्थिति से निपटने के लिए सभी सेहत कर्मियों का टीकाकरण होना अनिवार्य किया गया है ताकि वह कोरोना से बचाव करते दूसरे मरीजों का उपचार कर सके।

इससे पहले सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने चेतावनी दी थी कि जिन सेहत कर्मियों ने टीका नहीं लगवाया है, अगर वे भविष्य में संक्रमण के शिकार हो जाते हैं तो पूरे इलाज का खर्च उनको खुद उठाना होगा। ऐसे कर्मचारी क्वारंटाइन अवकाश का लाभ लेने के भी पात्र नहीं होंगे। फिलहाल सरकार की इस चेतावनी के बाद कई डाक्टरों के साथ सेहत कर्मी वैक्सीनेशन के लिए आगे आने लगे थे, लेकिन अब फिर से हेल्थ वर्कर वैक्सीनेशन में कम ही दिलचस्पी दिखा रहे है। हेल्थ वर्करों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर देती है, वह वैक्सीनेशन नहीं करवाएंगे।

स्टेशन डायरेक्टर आल इंडिया रेडिया के राजीव कुमार अरोड़ा का कहना है कि हेल्थ सेक्रेटरी द्वारा यह आदेश जारी किए है, इसे समाज में गलत संदेश जाएगा। इससे यह लगेगा, जिन लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है, वह आराम से घूम सकते है और उन्हें कोविड की गाइडलाइन की पालना करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जोकि गलत है। ऐसे में कोरोना संक्रमित बढ़ेगा। सरकार को यह आदेश तुरंत वापस लेने चाहिए और जिन हेल्थ वर्करों ने वैक्सीनेशन नहीं करवाई है, सेहत विभाग उन्हें जागरूक करे और उनकी काउसलिंग करे और उनकी यूनियन के पदाधिकारियों से बातचीत कर उन्हें वैक्सीनेशन के लिए आगे आने की अपील की जाए।

सिविल सर्जन बठिंडा डा. तेजवंत सिंह ढिल्लों का कहना है कि यह आदेश हेल्थ सेक्रेटरी द्वारा जारी किए गए है। इसका मकसद यह है कि सभी हेल्थ वर्कर वैक्सीनेशन करवाएं। अगर वह वैक्सीनेशन नहीं करवाना चाहते है, तो वह हर सप्ताह कोरोना टेस्ट करवाएं, ताकि पता चले कि वह कोरोना पाजिटिव तो नहीं है, ताकि वह कोरोना संक्रमित ज्यादा न फैल सके।

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