लुधियाना। किसानों की ओर से अपने आंदोलन में राजनीतिक दलों को शामिल नहीं करने के बाद जंतर मंतर पर धरने पर बैठे कांग्रेस के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने किसान नेताओं व संगठनों पर सवाल खड़े किए हैं। बिट्टू ने कहा कि किसान नेता होटलों के कमरे में रह रहे हैं, जबकि आंदोलन के लिए जुटे युवा किसान ठंड में खुली सड़क पर रातें बिता रहे हैं। इस आंदोलन में किसान नेता नहीं बल्कि पंजाब का युवा लड़ाई लड़ रहा है।
कांग्रेस सांसद बिट्टू ने किसान आंदोलन की रूपरेखा पर उठाए सवाल
पंजाब के युवाओं ने पुलिस का सामना करते हुए हरियाणा सीमा क्रास की और युवाओं ने ही पुलिस के वाटर केनन का सामना किया, किसी किसान नेता ने नहीं। ये बातें लुधियाना के सांसद बिट्टू ने एक इंटरनेट पोर्टल पर कही हैं। दिल्ली सीमा पर किसानों के मंच पर राजनीतिक दलों को चढ़ने नहीं देने से भी बिट्टू खासे नाराज हैं। उन्होंने कहा कि सीमा पर किसान नेताओं ने आंदोलन मंच पर कब्जा कर लिया है।
बिट्टू ने कहा कि वह यह कहने वाले कौन होते हैं कि मंच पर फ्लां चढ़ेगा और फ्लां नहीं। गुरदास मान मंच से नहीं बोलेंगे। दीप सिद्धू अलग बैठेगा और लक्खा सिदाना अलग रहेगा। बिट्टू ने कहा कि किसान नेता तो यह भी कह रहें कि धरना निपट जाने के बाद बिट्टू को भी देख लेंगे।
पूछा, कौन किसान नेता वाटर केनन के आगे आया
सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने आंदोलन की गतिविधियों पर अंगुलियां उठाते हुए किसान नेताओं पर तीखा हमला किया। बिट्टू ने कहा कि वहां (आंदोलन में) बहुत कुछ हो रहा है। यह नेता लोगों को मरवा देंगे। यही किसान नेता पहले भी किसी राजनीतिक दल के पीछे लगकर राजनीति करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। यह किसान नेता पंजाबियों को बांट रहे हैं।
किसानों के मंच पर पर कब्जा कर मनमानी कर रहे हैं किसान नेता
बिट्टू ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब किसान नेता शुरू में ही तय कर चुके थे कि तीनों कानूनों को रद करवाना है तो वे केंद्र के मंत्रियों के साथ बैठक करने के लिए क्यों जाते रहे। वे यह भी कहते रहे कि इस पर फैसला मंच से नहीं होगा, बल्कि संसद में ही होगा। किसानों को इन केंद्रीय नेताओं की बजाए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से कहना चाहिए था कि वह कृषि कानून रद करवाएं, लेकिन वे मुख्यमंत्री के पास नहीं गए।
बिट्टू ने कहा, किसान नेता सांसदों को कहते हैं कि प्रधानमंत्री के घर के सामने जाकर बैठो और कानून वापस करवाओ। वे खुद तो सड़कों पर उतर आए लेकिन राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को नहीं बुलाया गया। बिट्टू ने कहा कि सियासत के दांव खेले बिना इस विवाद का कोई हल नहीं निकलेगा। सियासती दांव किसान नेता नहीं जानते, वह राजनेता ही जानते हैं। यदि किसान नेता मंत्रियों से बातचीत करने न जाते तो खुद सरकार उनके पास आती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आंदोलन के मंच से ‘चक्क लो, चक्क लो’ बोलने से हल नहीं निकलेगा और न ही भाषणों से काम चलेगा।
पंजाब में पावरकाम के छह टेंडर अडानी को देने और इसका बायकाट करने की बात पर बिट्टू ने कहा कि बायकाट करना कोई हल नहीं। हमें यह देखना है कि अडानी से किसानों को क्या फायदा होगा। बड़े कारोबारी भी होने चाहिए और छोटे आढ़ती भी होने चाहिए। अंबानी-अडानी रहें, हमें कोई दिक्कत नहीं।
बिट्टू ने केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाए
बिट्टू इन सबके बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से भी खासे नाराज हैं। उनका कहना था कि पीयूष गोयल ने उन्हें बुलाकर एक घंटे तक जलील किया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी व पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री परनीत कौर का भी अपमान किया। हम कुर्सी में पैर मारकर वापस लौट आए। बिट्टू ने पीयूष गोयल को अंबानी और अडानी का चेहरा बताते हुए कहा कि इसके बावजूद किसान नेता केंद्रीय मंत्री से लगातार बैठकें कर रहे हैं।