लुधियाना। पंजाब में बड़े पैमाने पर जीएसटी की चोरी हो रही है। इसमें अधिकारियों की मिलीभगत भी बताई जाती है। बिना किसी प्रोडक्शन के फर्जी बिलों के जरिए पंजाब सरकार को जीएसटी में करीब 15 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया जा रहा है। इस पूरे मामले में अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है, जो उनकी इन मामलों में संलिप्तता की ओर इशारा करता है। यह खुलासा आल इंडस्ट्री एवं ट्रेड फोरम के प्रधान बदीश जिंदल ने की है। उन्होंने इस संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह काे पत्र भी लिखा है।
- टैक्स चोरी करने वालों पर बड़ी कार्यवाही दर्ज करते हुये पंजाब जीएसटी विभाग, लुधियाना की विशेष जांच टीम द्वारा फर्जी/ग़ैर-मौजूद कंपनी दिखा कर वस्तु (रेडिमेड गारमैंटज़) की असली खऱीद किये बिना जाली बिल तैयार करके कथित तौर पर टैक्स की चोरी और धोखाधड़ी करने वालों पर छापेमारी की गई। जिसके अंतर्गत टैक्स में धोखाधड़ी करने वाले 3 व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया गया। इन लोगों से विभाग जांच कर रहा है व इसमें बड़े स्तर पर टैैक्स चोरी का खुलासा होने की संभावना जताई जा रही है।
- इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये आज यहाँ जीएसटी विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि टीम की तरफ से 4 कारोबारी स्थानों पर जांच और जब्ती करने सम्बन्धी कार्यवाही की गई जिससे माल की असली रसीद के बिना जाली बिल तैयार करने के मूल ढंग-तरीकों सम्बन्धी सबूत जुटाए जा सकें। लाभपात्रियों (दोषी) तक धोखाधड़ी वाली आई.टी.सी. पहुँचाने के लिए पाँच विभिन्न राज्यों में अलग-अलग व्यक्तियों जैसे वेटर, आटो -रिक्शा चालक, दैनिक वेतन भोगी आदि के नाम पर जाली पहचान पत्र का प्रयोग करते हुये इस धाँधली को अंजाम दिया गया।
- प्रवक्ता ने आगे बताया कि दोषियों द्वारा निर्यात के उद्देश्य के लिए नकली रसीदों के द्वारा तैयार की जाली आई.टी.सी. का प्रयोग किया गया था, जिसके आई.जी.एस.टी. भुगतान किये गए थे और बाद में कस्टम आधिकारियों की तरफ से रिफंड लेने का दावा भी किया गया। जांच में यह बात सामने आई है कि ग़ैर-मौजूद कंपनियों की जाली रसीदें तैयार करने के लिए जाली बिल्लिंग नैटवर्क का प्रयोग किया गया था, जिसके निष्कर्ष के तौर पर 30 करोड़ से अधिक की कुल आई.टी.सी. के द्वारा घपला किया जा रहा था और इन 3 मुलजिमों ने इस धाँधली में लगभग 23 करोड़ रुपए का घपला किया था। दोषियों को जीएसटी कानूनों की धाराओं के अंतर्गत गिरफ़्तार किया गया है और 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अन्य लाभपात्रियों के खि़लाफ़ भी कार्यवाही आरंभ की जा रही है और अगली जांच जारी है।
गौरतलब है कि इसी साल चार माह पहले बटाला में चल रहे जीएसटी घोटाले की जांच के लिए विभाग के उच्च अधिकारियों ने बटाला जीएसटी कार्यालय में डेरा डाले रखा। इससे शहर के उद्यमियों में हड़कंप मच गया। सूत्रों के अनुसार लुधियाना से आई जीएसटी अधिकारियों की टीम ने बटाला के तीन दर्जन से ज्यादा नामवार इंडस्ट्रिलिस्टों को सम्मन भेजकर कार्यालय बुलाया था। दरअसल, 3 साल पहले भी बटाला में करीब 36 करोड़ का जीएसटी घोटाला सामने आया था। शुरुआत में तो विभाग ने जोर-शोर से जांच की, लेकिन कुछ समय बाद यह धीमी पड़ गई। इसी के चलते जीएसटी विभाग के कुछ उच्च अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं कुछ दिन पहले ही एक व्यक्ति ने एसएसपी उपिंदरजीत सिंह घुम्मन को शिकायत दी है कि 10 साल पहले जिस मालिक के पास वह कार ड्राइवर की नौकरी करता था, उसके बेटों ने उसके दस्तावेजों का इस्तेमाल करके उसके नाम पर एक फर्जी फर्म और बैंक अकाउंट खोल लिया। इस फर्म से करोड़ों रुपए की ट्रांजेक्शन कर बड़े घोटाले को अंजाम दे दिया। अब आए दिन इंडस्ट्री में करोड़ों के जीएसटी घोटाले उजागर हो रहे हैं, लेकिन कुछ अधिकारियों की कथित मिलीभगत के चलते ऐसे मामले दबते नजर आ रहे हैं। बटाला के कुछ इंडस्ट्रिलिस्ट जीएसटी विभाग के राडार पर चल रहे थे। उन्हीं से आज विभाग के उच्च अधिकारियों ने सम्मन कर पूछताछ की है। इस मामले में बटाला के ही एक इंडस्ट्रिलिस्ट की बाहर के शहर से विभाग गिरफ्तारी करवा चुका है। अब कुछ अन्य इंडस्ट्रिलिस्टों को भी सलाखों के पीछे भेजे जाने की तैयारी चल रही है।
आल इंडस्ट्री एवं ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने सीएम को लिखा पत्र
उन्होंने कहा कि इस मामले में वह चार बार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कई बार स्टेट जीएसटी डिपार्टमेंट के उच्च अधिकारियों को पूरे दस्तावेजों के साथ जानकारी दे चुके हैं। इसके बावजूद बोगस बिलिंग के जरिए जीएसटी चोरी करने वाले बाज नहीं आ रहे। लुधियाना में स्टेट जीएसटी डिपार्टमेंट की कार्रवाई के बाद एक बार फिर उन्होंने सीएम को पत्र लिखा है। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उनका कहना है कि सबसे अधिक चोरी खेल, लोहा, इंजीनियरिंग उत्पादों के व्यापार में हो रही है। यही कारण है कि सही काम करने वाले उद्यमियों को अपने क्लेम के लिए कई-कई माह इंतजार करना पड़ता है। वह जल्द ही इसकी विस्तृत रिपोर्ट वित्त मंत्रालय व मुख्यमंत्री को भेजेंगे। इसमें जीएसटी चोरी करने वालों के तरीकों के बारे में भी डिटेल दी जाएगी। साथ ही ये भी जानकारी दी जाएगी कि अधिकारी किस तरह इनका संरक्षण कर रहे हैं।
पंजाब में ऐसे हो रही टैक्स की चोरी
1. कई कारोबारी फर्जी कंपनियां बना लेते हैं और प्रोडक्शन के बिना ही फर्जी बिल काटकर विभाग से जीएसटी का क्लेम ले लेते हैं। यानी बेचने वाली और खरीदने वाली दोनों कंपनियां फर्जी होती हैं। इनके साथ विभाग के अधिकारी भी मिले होते हैं, कमीशन पर यह इनके फर्जी बिलों को पास करते हैं।
2. सामान बेचकर इसका बिल नहीं काटा जाता और जीएसटी की चोरी की जाती है। चोरी पकड़ में न आए इसलिए ट्रक में आधे से ज्यादा सामान बिल वाला और 25 फीसद सामान बिना बिल के लोड कर दिया। इसमें ट्रांसपोर्टर भी शामिल होते हैं।
3. एक्सपोर्ट के लिए जीएसटी क्लेम कर लिया जाता, लेकिन जमा नहीं करवाया जाता।
4. बिना बिल के किसी भी राज्य में सामान भेज दिया जाता है, विभाग के साथ तालमेल कर कच्ची पर्ची पर फर्जीवाड़ा कर करोड़ों की चपत लगाई जाती है। जांच न हो इसके लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल कर माल पास करवा लिया जाता है।
ऐसे पकड़ी जाती है चोरी
जब दो फर्जी कंपनियां आपस में फर्जी कारोबार करती हैं तो एक कंपनी यह साबित नहीं कर पातीं कि खरीदा गया सामान कहां बेचा या स्टॉक किया। ऐसी स्थिति में चोरी पकड़ी जाती है।
सरकार की कोशिशों के बावजूद जीएसटी चोरी नहीं रुक रही है। व्यापारी नए-नए तरीके अपनाकर जीएसटी चोरी का प्रयास कर रहे हैं। हाल यह है कि चालू वित्त वर्ष में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी के 3,626 मामले पकड़ में आ चुके हैं। डाइरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस के सूत्रों के मुताबिक अब तक जीएसटी चोरी के जो मामले पकड़े गए हैं, उससे यह बात सामने आई है कि कारोबारी करीब 10 तरीके अपनाकर जीएसटी चोरी का प्रयास कर रहे हैं।
सबसे प्रचलित तरीका जाली बिल है जिसके तहत लोग सामान खरीदते समय खरीद की राशि को अधिक दिखा रहे हैं ताकि उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट अधिक मिल सके लेकिन सामान बेचते समय उसका मूल्य कम दिखाते हैं ताकि टैक्स कम देना पड़े।
सूत्रों ने कहा कि कुछ व्यापारी कंपोजीशन स्कीम में होने के बावजूद पूरा टैक्स वसूलते हैं। इसके अलावा कुछ कारोबारी ऐसे हैं जिन्होंने जीएसटी में पंजीकरण की सीमा पार करने के बावजूद पंजीकरण नहीं कराया है। ऐसे मामले हाल में पंजाब व हरियाणा में सामने आए हैं जहां कई कोचिंग सेंटर ने जीएसटी की चोरी के लिए अपने सेंटर का पंजीकरण ही नहीं कराया। कंपनियां ऐसी हैं जो अपनी सभी इकाइयों का पता ही नहीं लगने देतीं। इसके अलावा कुछ व्यापारी निर्धारित दरों से कम पर जीसएटी का भुगतान करते हैं।
कैसे होती है चोरी
कई व्यापारी कच्चा माल खरीदकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ तो पूरा ले रहे हैं लेकिन वे अपने फाइनल उत्पाद की बिक्री कम दिखा रहे हैं। उदाहरण के लिए, कोई हलवाई 100 किलोग्राम घी खरीदता है। उसमें से वह सिर्फ 70 किलोग्राम घी से मिठाई बनाता है और बाकी को बेच देता है। लेकिन जब मिठाई पर टैक्स देने की बारी आती है तो वह पूरे 100 किलोग्राम घी की खरीद के एवज में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करता है।
जीएसटी में जुर्माने से जुड़े कुछ तथ्य?
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं, लेकिन जीएसटी कानून के तहत क्या गलत है और इसका उल्लंघन करने पर कितना जुर्माना लगाया जा सकता है यह भी एक बड़ा सवाल है। आइए जानते हैं कि जीएसटी कानून का उल्लंघन कैसे हो सकता है और कितना जुर्माना लगाया जा सकता है। इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में नीचे एक-एक करके विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
- बगैर बिल के माल बेचने पर या फिर फर्जी बिल देने पर।
- बगैर माल बेचे बिल देने पर।
- टैक्स इकट्ठा करके रख लिया और देय तारीख से 3 माह के भीतर नहीं भरा।
- इस कानून के विरुद्ध टैक्स (जहां जरूरी नहीं) कलेक्ट करके रख लिया और 3 माह तक नही भरा।
- टीडीएस नहीं काटा या कम काटा और भरा भी नहीं।
- रिफंड फ्रॉड करके ले लिया।
- इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर ने आईटीसी डिस्ट्रीब्यूट गलत कर दिया या आईटीसी गलत ले लिया।
- टैक्स चोरी के उद्देश्य से रिकॉर्ड में हेरफेर किया।
- कानून के अनुसार जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना था पर नहीं कराया।
- रजिस्ट्रेशन के वक्त गलत जानकारी दी या गलत पेपर दिया।
- किसी अधिकारी को उसकी ड्यूटी निभाने से रोकने पर।
- माल का ट्रांसपोर्टेशन बगैर दस्तावेजों (ई-वे बिल) के किया।
- टैक्स चोरी के उद्देश्य से कुल टर्नओवर को छिपाया।
- बुक्स और अन्य जरूरी डाक्यूमेंट नहीं रखे तो।
- किसी अधिकारी को आवश्यक डॉक्यूमेंट नहीं दिए या किसी अधिकारी को गलत दस्तावेज देने की स्थिति में।
- अधिकारी को लगता है कि माल जब्ती योग्य है।
- दूसरे का रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग किया गया हो।
- किसी भी दस्तावेज में हाथ से हेरफेर किया गया हो।
- कोई माल जब्त किया और उसमें कोई छेड़छाड़ की गई हो।
जीएसटी में जुर्माना क्या है?
आप जानते है की अगर कोई भी व्यक्ति क़ानूनी अपराध करता है तो उसे उसका दंड या फिर एक निश्चित जीएसटी में जुर्माना भी भुगतना पड़ता है। ठीक इसी प्रकार अगर कोई व्यापारी अथवा व्यवसाय टैक्स चोरी का अपराध करते है, तो जीएसटी के तहत उन्हें इसका जुर्माना देना होगा, या उन्हें कानूनी कार्यवाही से भी गुजरना पड़ सकता है। जैसा की हम आपको ऊपर बता चुके है, की सजा जुर्म से सम्बंधित होती है, और जिन सिद्धांतों पर यह आधारित हैं, वह सभी कानून द्वारा उल्लेखित हैं। नीचे हमने ऐसे ही कुछ कारणों को प्रदर्शित किया है –
1) जीएसटी पंजीकरण न करवाना
व्यक्ति द्वारा जीएसटी के तहत पंजीकरण नहीं करवाना अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अगर कोई व्यक्ति अपनी सालाना आय के तहत जीएसटी भरने योग्य है, पर उसने जीएसटी के तहत पंजीकरण नहीं कराया है। तो उसको आर्थिक जुर्माना और जुर्म की सजा दोनों भुगतने पड़ सकते है। हालांकि, यह जीएसटी नियम हर व्यक्ति पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह उसकी वार्षिक आय पर निर्भर करता है।
2) फर्जी जीएसटीआईएन का प्रयोग
किसी जीएसटी करदाता के द्वारा, दूसरे करदाता के जीएसटीआईएन संख्या का अवैध रूप से उपयोग करना भी एक अपराध है। क्योंकि यदि किसी करदाता का जीएसटीआईएन नंबर किसी कारणवश रद्द कर दिया गया है, और फिर भी वह किसी अन्य करदाता के जीएसटीआईएन का उपयोग ग़ैरक़ानूनी तरीके से करता है। तो यह भी एक बड़ा अपराध है। किसी भी करदाता को ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि अगर वह ऐसा करते हुए पकड़ा गया तो उसे इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।
3) पंजीकरण में गलत जानकारी भरना
किसी व्यक्ति द्वारा जीएसटी के तहत पंजीकरण करवाते समय गलत जानकारी प्रस्तुत करना बहुत गंभीर अपराध है। क्योंकि जीएसटी रजिस्ट्रेशन करते समय यदि व्यक्ति अपने बारे में कोई भी फर्जी विवरण देता है। तो वह सजा का पात्र है, उदाहरण के तौर पर जब आपका जीएसटी पंजीकरण होता है, तब आपको सिर्फ अपने बारे में सही जानकारी देनी होती है, जैसे की – आपका वर्तमान फ़ोन नंबर, पूरा नाम, ईमेल आईडी, घर का स्थायी पता आदि। आप किसी और की जानकारी अपने जीएसटी पंजीकरण में नहीं दे सकते है।
4) नकली जीएसटी रिटर्न भरना
यदि आप भी वित्तीय रिकॉर्ड के दस्तावेजों में या टैक्स से बचने के लिए नकली जीएसटी रिटर्न के दस्तावेज प्रस्तुत करते है, तो यह कानून की नजर में एक जुर्म है। भारत सरकार के जीएसटी नियम के अनुसार जिन व्यक्तियों की वार्षिक आय 20 लाख से अधिक होती है। तो उनको जीएसटी रिटर्न भरना पड़ता है। लेकिन कुछ लोग इससे बचने के लिए अपनी वार्षिक आय के फर्जी दस्तावेज बनाकर टैक्स भरने से बचते हैं। जीएसटी नियम के अनुसार उनको टैक्स देना चाहिए। अगर ऐसा कोई भी व्यक्ति अधिकारीयों द्वारा पकड़ा जाता है। तो उसे जुर्माने के साथ-साथ जेल भी हो सकती है।
5) धोखे से मुनाफा कमानाकभी-कभी कुछ व्यापारी व्यवसाय में धोखे से मुनाफा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। जैसे की मान के चलिए कोई विक्रेता सामान को 5% की जीएसटी पर खरीदता है, और उसी सामान को वो 12% की जीएसटी के साथ ग्राहक को बेचता है। ऐसा करने पर उस सामान पर उसे 7% ज्यादा मुनाफा प्राप्त होगा। जो की एक तरह से गलत है। अगर आपके साथ कोई विक्रेता ऐसा करता हुआ पाया जाये तो आप तुरंत उसकी शिकायत कर सकते है।
6) कंपोजिशन स्कीम का गलत लाभ
यदि कोई करदाता जीएसटी नियम के अंतर्गत अयोग्य होने पर भी कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुनता है। तो यह जीएसटी का नियम तोड़ना कहलाता है। क्योंकि अगर आपकी सालाना आमदनी 20 लाख रुपए से अधिक होती है, लेकिन 75 लाख रुपए से कम है। तभी आप जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के तहत अपना पंजीकरण करा सकते हैं। इस योजना में व्यापारियों को 1% और निर्माताओं को 2% तथा दुकान चलाने वालों को 5% की दर से टैक्स चुकाना होता है। इस कैटेगरी (श्रेणी) के व्यापारियों को न तो अपने ग्राहकों से जीएसटी वसूलनी होती है, और न ही उसका कोई हिसाब देना पड़ता है। ऐसे व्यापारी अपनी खरीदारियों के लिए जो जीएसटी चुकाते हैं, उस पर टैक्स वापसी का क्लेम भी नहीं कर सकते हैं।
7) बिल में गलत जीएसटी लगाना
यदि कोई व्यापारी किसी भी सामान या सेवाओं की आपूर्ति (प्रदान) किये बिना किसी व्यक्ति को गलत बिल जारी करके जीएसटी लगाता है। तो यह भी एक अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि यदि कोई व्यक्ति जीएसटी के दायरे में नहीं आता है। तो उसे टैक्स या भुगतान करने की कोई भी आवश्यकता नहीं होती है। अगर कोई व्यापारी फर्जी बिल की सहायता से आपके साथ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है। तो आपको उससे सतर्क रहना चाहिए, और उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करनी चाहिए। जिससे वह भविष्य में ऐसा करने की गलती दोबारा न करे।