चंडीगढ़. सूबे में कोरोना बेकाबू होता जा रहा है। अगस्त के पहले दिन शनिवार काे प्री-मैच्चोर बच्चे समेत 24 की मौत हुई और 862 नए मरीज मिले। मृतकों का आंकड़ा अब 427 और संक्रमितों की संख्या 17627 हो गई है। लगातार दूसरे दिन लुधियाना में 203 नए मरीज मिले और 9 की मौत हुई। यहां अब तक 3498 संक्रमित और 102 मौतें हो चुकी हैं। शनिवार को लुधियाना में 9, जालंधर में 6, अमृतसर में 2, संगरूर में 2, बरनाला मुक्तसर, पटियाला, मोहालऔर कपूरथला में 1-1 मौत हुई।
पटियाला के नाभा के हरीगढ़ की 28 वर्षीय संक्रमित गर्भवती जाे पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती थी, उनकी प्री-मैच्योर डिलीवरी हुई थी। डिलीवरी के एक दिन बाद बच्चे की मौत हो गई। बच्चा भी संक्रमित था। उधर, कपूरथला में टाहली साहिब के प्रमुख सेवादार और बलेर खानपूर के संत संत बाबा दया सिंह (70) की भी काेरोना से मौत हो गई। अमृतसर में ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए पुलिस कर्मी 40 वर्षीय की मौत हो गई। 856 केसाें में बठिंडा में 82 बाहरी राज्यों के हैं।
कहां कितने केस
लुधियाना 203, जालंधर 93, अमृतसर 44, बरनाला 20, संगरूर 30, गुरदासपुर 35, मुक्तसर 4, माेगा 45, मानसा 15, कपूरथला 35, फाजिल्का 21, पटियाला 89, होशियारपुर 13, मोहाली 44, रोपड़ 12, बठिंडा 110, फिरोजपुर 13, फतेहगढ़ साहिब 12, पठानकोट 17, फरीदकोट 7
इधर: संस्कार के बाद पता चला मृतक पाॅजिटिव, लोगों में हड़कंप
मुक्तसर में शुगर पीड़ित महिला की माैत हाे गई। परिवार वालों ने संस्कार भी करवा दिया। लेकिन देर शाम अस्पताल की ओर से बताया गया कि महिला पॉजिटिव थी। बताया जा रहा है कि महिला के संस्कार में 15 से 20 लोग शामिल हुए थे। अब विभाग सभी के सैंपल लेगा।
कहां कितनी माैतें… लुधियाना में 9, जालंधर में 6, अमृतसर में 2, संगरूर 2 , बरनाला में 1, मुक्तसर में 1, पटियाला में 1, कपूरथला में 1,मोहाली में 1
कोरोना की महामारी ने सूबे में बहुत से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि घर का गुजर कैसे चलाएं। इन्हीं में से एक जालंधर की कांता चौहान भी हैं, जिनके नाम शहर की पहली स्कूटी कैब ड्राइवर होने की उपलब्धि दर्ज है। हालांकि पति के एक हादसे में घायल होने के बाद जब हालात गड़बड़ाए तो कांता ने कैब सर्विस का काम शुरू करके घर को संभाल लिया था। अब कोरोना लॉकडाउन में कैब सर्विस बंद हो जाने के चलते फिर से एक बार वही भूखे मरने की नौबत आ गई, लेकिन इसे हौसला ही कहेंगे कि हार नहीं मानते हुए कांता ने रोटी, दाल-चावल, चाय और परांठे की रेहड़ी लगा ली।
2006 में उस वक्त मूल रूप से मोहाली से ताल्लुक रखती कांता बेहद खुश थी, जब जालंधर के संत राम से शादी हुई। पति ऑटो रिक्शा चलाते थे, लेकिन परिवार सुखी था। एक दिन पति के एक्सीडेंट के बाद जिंदगी पटरी से उतर गई। सारी जमापूंजी इलाज में खर्च हो गई और हालात यहां तक हो गए कि घर में खाने तक को कुछ नहीं होता था। ऐसे में घर चलाने के लिए खुद कुछ करने की सोची। पति ने सलाह दी कि एक निजी कंपनी के लिए कैब (स्कूटर) ड्राइवर बन जाएं। इसके बाद कांता निजी कंपनी के साथ स्कूटर लेकर शहर की सड़कों पर निकलने लग गई। शहर की पहली स्कूटर कैब चालक कांता चौहान उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई, जो हालात के आगे हथियार डाल देती हैं। पहले सिर्फ महिला सवारी तो अब कोई भी सवारी उठा रही थी
बकौल कांता चौहान, मैंने पहले काफी सोचा कि पति कुछ कर नहीं सकते हैं। दो बच्चें हैं उन्हें खाना क्या खिलाना है। किचन में राशन नहीं होता था। पति की दवाइयों का इंतजाम करना होता था। इलाज के पैसे जुटाने होते थे। यह सब कुछ 12वीं पास कांता के लिए पहाड़ चढ़ने से कम नहीं था, लेकिन पति की सलाह काम आई और एक अक्टूबर 2019 को स्कूटर का हैंडल थाम लिया। दरअसल, छोटी उम्र में ही पिता का साया सिर से उठ गया था। मां ने पालकर बड़ा किया। शायद यही वजह थी कि बचपन से ही शुरू हुआ संघर्ष आज तक जारी है। डर भी लगता था, जिसके चलते मैं केवल महिलाओं की ही सवारी लेती थी। अब पुरुषों को भी उनकी मंजिल तक पहुंचाने में कोई हिचक या भय महसूस नहीं होता था। घर भी चलने लगा था, पर अचानक कोरोना की महामारी ने मेरी तरह हजारों लोगों के आगे रोटी का संकट खड़ा कर दिया।
झूठी वाहवाही लूटने वाले इन लोगों को सोचना चाहिए
कांता के परिवार के ताजा हालात को लेकर एक बड़ा सवालिया निशान सरकारी राहत सामग्री वितरण पर भी उठ रहा है। पूरे प्रदेश से समय-समय पर पक्षपात और लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं, वहीं कांता की मानें तो इनके परिवार को भी कोई मदद नहीं मिली। हैरानी की बात यह है कि यह परिवार इलाके के बेबाक नेता और मौजूदा विधायक परगट सिंह के बिलकुल पड़ोस में रहता है।