चंडीगढ़. आज पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का जन्मदिन है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने उनको जन्मदिन की शुभकामनाएं दी है। इसके साथ ही देश के कई शीर्ष नेताओं ने कैप्टन को शुभकामनाएं दी हैं। राजनीति में आने से पहले कैप्टन भारतीय सेना में थे।
Greetings to Punjab’s Chief Minister @capt_amarinder Ji on his birthday. May Almighty bless him with a long and healthy life.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 11, 2020
पारिवारिक स्थिति और सेना से संबंध
- अमरिंदर सिंह का जन्म 11 मार्च 1942 को पटियाला राजघराने में पिता महाराज यादविंदर सिंह और माता का नाम मोहिंदर कौर के घर हुआ था।
- वर्ष 1964 में परनीत कौर से विवाह हुआ। वह मनमोहन सिंह की सरकार में वे भारत की विदेश राज्य मंत्री रह चुकी हैं। दोनों का एक बेटा, रणिंदर सिंह और बेटी जय इंदर कौर है।
- अमरिंदर सिंह ने नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी में पढ़ाई के बाद 1963 में भारतीय सेना जॉइन कर ली।
- हालांकि 1965 की शुरुआत में ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया, लेकिन पाकिस्तान से युद्ध शुरू होने की वजह से एक बार फिर सेना जॉइन की। युद्ध के बाद उन्होंने फिर से सेना छोड़ दी।
- 1980 में कैप्टन भगवान सिंह की अध्यक्षता के वक्त से अमरिंदर सिंह ऑल इंडिया जाट महासभा से जुड़े हैं। अब अध्यक्ष हैं।
राजीव गांधी लेकर आए थे राजनीति में
- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमरिंदर सिंह की एंट्री राजनीति में कराई। दोनों अच्छे दोस्त थे।
- अमरिंदर सिंह पहली बार 1980 में लोकसभा चुनाव जीते। 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने लोकसभा और कांग्रेस दोनों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
- शिरोमणि अकाली दल की सदस्यता लेने के बाद राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ा और राज्य सरकार में मंत्री बन गए। 1992 में उनका अकाली दल से मोहभंग हुआ और उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (पी) के नाम से नई पार्टी बना ली।
- 1998 में जीत नहीं मिल पाने की वजह से कैप्टन ने इस पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। अमरिंदर को इस चुनाव में अपनी विधानसभा सीट में कुल 856 वोट मिले थे।
- कांग्रेस में शामिल होने के बाद अमरिंदर सिंह 1999 से 2002 और 2010 से 2013 तक पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और इस बीच 2002 से 2007 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।
- अमरिंदर सिंह के खिलाफ 2008 में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने पर तत्कालीन अकाली दल-बीजेपी सरकार द्वारा गठित स्पेशल कमेटी ने अमरिंदर को बर्खास्त कर दिया।
- 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। इसके बाद वह एक बार फिर से कद्दावर नेता के रूप में उभरकर सामने आए।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से भाजपा नेता अरुण जेटली को हराकर संसद पहुंचे, फिर 27 नवंबर 2015 को अमरिंदर सिंह को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंप दी गई।
सिद्धू के साथ है छत्तीस का आंकड़ा
प्रदेश के एक और कद्दावर नेता नवजोत सिंह सिद्धू के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह का छत्तीस का आंकड़ा माना जाता है। दोनों अक्सर एक-दूसरे की आलोचनाएं करते देखे जा सकते हैं।
जानवरों से बहुत प्यार करते हैं कैप्टन
कैप्टन अमरिंदर सिंह को पशु-पक्षियों से बहुत प्यार है, खासकर अलग-अलग नस्ल के कुत्ते उन्हें बेहद प्रिय हैं। 5 अक्टूबर 2019 को उन्होंने एक पालतु कुत्ते के साथ ट्वीटर पर उस वक्त की तस्वीर सांझा की थी, जब वह खुद 10 साल के थे।
लिखने का शौक रखते हैं कैप्टन अमरिंदर
- कैप्टन एक अच्छे लेखक भी हैं। उनकी लिखी किताबों के नाम क्रमश: ‘ द लास्ट सनसेट’ और ‘द राइज एंड फॉल ऑफ द लाहौर दरबार’ हैं। उन्होंने ए रिज टू फार, लेस्ट वी फॉरगेट, द लास्ट सनसेट: राइज एंड फॉल ऑफ लाहौर दरबार और द सिख इन ब्रिटेन: 150 ईयर्स ऑफ फोटोग्राफ्स लिखी हैं।
- उनकी हालिया किताबों में ऑनर एंड फिडेलिटी: इंडियाज मिलिट्री कॉन्ट्रीब्यूशन टु द ग्रेट वार 1914-1918 साल 2014 में चंडीगढ़ में रिलीज हुई थी। इसके अलावा द मानसून वार: यंग ऑफिसर्स रेमनिस- 1965 इंडिया पाकिस्तान वार जिसमें उन्होंने अपने युद्ध के अनुभवों को साधा किया है।