जालंधर । शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद से भाजपा का रुख अकालियों के प्रति भी हमलावर हो गया है। भाजपा ने देहात इलाके में पैर पसारने पर मंथन शुरू कर दिया है। किसानों की नाराजगी के कारण देहात में भाजपा की राह काफी कठिन है, लेकिन नेता किसानों को कृषि सुधार कानून समझाने और अपने पाले में लाने की रणनीति बनाने पर काम कर रही हैं।
भाजपा की ताकत हमेशा से ही संगठन का ढांचा रहा है। देहात में भी इसी के दम पर आधार बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए मंडल स्तर पर टीमें पहले ही गठित हो चुकी हैं और अब जिला प्रधानों को बूथ स्तर पर कमेटियां बनाने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। अगले दो माह में नगर कौंसिल व पंचायत चुनाव के बाद पार्टी को यह अनुमान भी हो जाएगा कि विधानसभा चुनाव तक पार्टी को मजबूत करने की लिए कितनी ताकत लगाने की जरूरत है। निकाय चुनाव से भाजपा को कस्बों में पार्टी के नए चेहरे भी मिलेंगे।
भाजपा अब तक शिअद के पीछे खड़े होकर चुनाव लड़ती रही है, लेकिन अब तय किया गया है कि देहात में भी भाजपा अब फ्रंट फेस होगी। हालांकि कृषि सुधार कानून को लेकर किसानों की नाराजगी के बीच यह काम थोड़ा कठिन है, लेकिन भाजपा पहले भी ऐसी मुश्किलों से पार उतरती आई है। पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्वनी शर्मा पहले ही निर्देश दे चुके हैं कि पार्टी वर्कर निकाय चुनाव की तैयारी शुरू करें।
हिंदू-एससी वोटरों पर फोकस करेंगे
भाजपा को जालंधर की छह विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार तलाशने हैं। नकोदर, कैंट और शाहकोट सीट पर हिंदू वोट भाजपा के लिए अहम रहेंगी तो रिजर्व सीट आदमपुर, करतारपुर और फिल्लौर पर एससी वोट पर फोकस किया जाएगा। इस बार चुनाव में पांच से छह बड़े उम्मीदवार हो सकते हैं। ऐसे में अगर भाजपा ङ्क्षहदू और एससी वोट को साधने में सफल रही तो नतीजे चौंकाने वाले आ सकते हैं। भाजपा वोटों के ध्रुवीकरण पर भी फोकस करेगी। देहात इलाकों में हिंदू उम्मीदवार कम ही रहे हैं। ऐसे में बहु गिनती उम्मीदवारों के खेल में भाजपा को फायदा मिल सकता है।
भाजपा इस रणनीति पर करेगी फोकस
देहात के वरिष्ठ नेताओं पर नजर : भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर देहात के वरिष्ठ नेताओं की कार्यशैली और लोकप्रियता पर नजर रखनी शुरू कर दी है। अगले छह माह तक पार्टी की नजर इन नेताओं की सक्रियता और जनसंपर्क पर रहेगी। पार्टी इन नेताओं में से चुनावी चेहरों की संभावनाएं तलाशेगी।
शहर के नेताओं को भी देहात में आजमाएंगे
भाजपा के पास शहरी इलाकों में कई बड़े नेता हैं। यह विधानसभा चुनाव लडऩे का दावा भी करते रहे हैं। इनमें ऐसे नेताओं की पहचान होगी, जो देहात में भी पकड़ रखते हों। शहर में टिकट के दावेदार ज्यादा है और इनमें से कुछ बड़े नेताओं को पार्टी देहात से चुनाव लड़ा सकती है।
दूसरी पार्टी के नेताओं पर भी नजर
भाजपा की नजर दूसरी पार्टी के असंतुष्ट नेताओं पर भी है। पार्टी को उम्मीद है कि किसान आंदोलन मंद पड़ते ही दूसरे राजनीतिक दलों के कई नेता भाजपा में शामिल होंगे। इनमें कई नेता अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित हैं, जो रिजर्व सीटों पर अच्छी पकड़ रखते हैं।