नशे की आग में धधक रहा पंजाब, हर महीने युवा हार रहे जिंदगी

पंजाब नशे की आग में झुलस रहा है। यहां के युवाओं में नशे की लत कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कृषि प्रधान पंजाब में जहां बड़े पैमाने पर खेती होती है और पशु पालन का काम किया जाता है। उस राज्य में युवा नशे की चपेट में आ गए हैं। जहां पहले युवा दूध-लस्सी पिया करता था, वो अब नशा करने लगा है। भारतीय सेना को सबसे ज्यादा जवान देने वाला पंजाब आज छठे स्थान पर खिसक गया है। प्रदेश में ड्रग्स लेने की वजह से युवाओं में धड़ल्ले से एड्स और हेपेटाइटिस की बीमारी फैल रही है। आज पंजाब में नशे का कारोबार अत्यंत लाभदायक बन जाने के कारण इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। पंजाब में जहां विभिन्न राज्यों में सीमा पार से भारी मात्रा में हैरोइन, गांजा, कोकीन, हशीश, अफीम आदि जैसे नशीले पदार्थों की तस्करी हो रही है, वहीं इसमें बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल पाए जा रहे हैं। पंजाब में नशा तस्करी में विदेशियों के शामिल होने के कई मामले सामने आए है और पुलिस ने कई विदेशी नशा तस्करों को गिरफ्तार भी किया है। नशीले पदार्थों की तस्करी में विदेशियों की भागीदारी कितनी बढ़ चुकी है, यह इसी से स्पष्ट है कि पंजाब पुलिस ने ने 2019 से जुलाई 2021 के बीच 50 से ज्यादा विदेशी नागरिकों को ड्रग्स के अवैध व्यापार के आरोप में पकड़ा जिनमें से 17 अफ्रीकी मूल के चिट्टा सप्लायर थे। वास्तव में नशा आज सोने से भी महंगा बिक रहा है। जिसके तस्करों ने ‘कोड’ नाम रखे हुए हैं। कुछ स्थानों पर चिट्टे को ‘इलायची’, नशीले कैप्सूलों को ‘बादाम’ और नशीली गोलियों को ‘चीनी’ के नाम से बेचा जा रहा है। जहां तक नशों के शरीर पर पडने वाले हानिकारक प्रभाव का संबंध है। ‘चिट्टा’ एक ऐसा सिंथैटिक नशा है, जिसके एक-दो बार सेवन से ही व्यक्ति इसका आदी हो जाता है। म्यांमार के हैरोइन तस्कर उत्तर पूर्वी राज्यों के रास्ते भारत में हैरोइन भेजते हैं, जबकि पाकिस्तान द्वारा पंजाब के रास्ते भारत में नशे की तस्करी करवाई जाती है। अफगानिस्तान के तस्कर अपने यहां से हैरोइन और अफीम की तस्करी के लिए हवाई रूट का इस्तेमाल करते रहे हैं। चूंकि तस्कर देश में नशे पहुंचाने के लिए जमीनी, समुद्री और हवाई सभी रूटों का इस्तेमाल करते हैं। अत: इसे रोकने के लिए सीमाओं पर तार बाड़ को अधिक मजबूत करने और उसमें 24 घंटे करंट छोडऩे के साथ ही समुद्री और वायु मार्गों पर सुरक्षा और चैकिंग मजबूत करने तथा जर्मनी, अमरीका, इसराईल और जापान आदि देशों की भांति नशा व अन्य अवैध वस्तुओं की तस्करी रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है।
आंकड़ों के अनुसार पंजाब में 9 लाख लोग ड्रग्स लेते हैं। इसमें 3.5 लाख लोग एडिक्ट हैं। प्रदेश में नशे से या इससे होनेवाली बीमारी से हर महीने 112 लोगों की मौत हो रही है। जबकि एक ही सीरिंज से ड्रग्स लेने की वजह से युवाओं में एचआईवी (एड्स), हेपेटाइटिस-सी और हेपेटाइटिस-बी जैसी बीमारियां फैल रही हैं। प्रदेश में इस समय 50 हजार हेपेटाइटिस-सी के मरीज हैं। पंजाब में एचआईवी के मरीजों की संख्या में 5 साल में 30% तक बढ़ गई है। सूबे में हर महीने नशे अथवा इससे जनित बीमारी से मरने वालों की संख्या 112 दर्ज की गई है। वहीं प्रतिवर्ष 1344 युवा दम तोड़ देते हैं। एनसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 25 हजार लोगों ने नशे की पूर्ति न होने के कारण आत्महत्या कर ली है। इसमें 74% मामले पंजाब के हैं। कभी भारतीय सेना को सबसे ज्यादा जवान देने वाला पंजाब आज छठे स्थान पर खिसक गया है। यहां के युवा शारीरिक योग्यता में फेल हो रहे हैं। ड्रग्स की लत या शराब की वजह से होने वाली आत्महत्याएं जो थानों में दर्ज होती हैं। एनसीबी उन्हीं के आधार पर आंकड़े तैयार करता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कई मामले दर्ज ही नहीं पाते। ऐसे भी कई मामले पाए गए हैं, जो बदनामी के कारण आत्महत्याओं की वजह मानसिक परेशानी बता देते हैं। नशे से होने वाली मौत के 70 प्रतिशत से अधिक मामले पुलिस के पास नहीं पहुंचते हैं।
कॉलेजों के स्टूडेंट्स हैं शिकार
कॉलेज के स्टूडेंट्स इन मादक पदार्थों के नशे की गिरफ्त में हैं। वो इतने आदी हो जाते हैं कि जब इनके पास खरीदने के लिए पैसा नहीं होता है तो वे अपराध की तरफ मुड़ जाते हैं। एक साधारण स्टूडेंट्स से गैंगस्टर बनने का पंजाब का लंबा चौड़ा इतिहास रहा है। विक्की गौंडर इसका प्रमाण था। पंजाब से हर साल 45 हजार स्टूडेंट्स शिक्षा के लिए विदेश जा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि अधिकांशत: अभिभावकों को लगता है कि उनके बच्चे यहां रहे तो ड्रग का शिकार हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में हर तीसरा मेल और हर 10वीं फिमेल स्टूडेंट्स ड्रग लेते हैं। इसमें 15% अफीम और 20% भुक्की के आदी हैं। स्कूल ड्रॉपआउट एक गंभीर समस्या है।
विधानसभा चुनाव- 2017 में रहा था मुख्य मुद्दा
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता हर मंच से ड्रग्स का मुद्दा उठा रहे थे। अकाली दल-भाजपा गठबंधन के लिए अपना बचाव करना मुश्किल हो गया था। गुटखा साहिब हाथ में लेकर 2016 में चार हफ्ते में ड्रग्स की कमरतोड़ देने का वादा करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ड्रग्स को रोकने के लिए एसआइटी का गठन किया। सरकार ने ड्रग्स के कारोबार को खत्म करने के लिए एक से एक बड़े कदम उठाए। अपनी उपलब्धि बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह नेदावा किया कि ड्रग्स की कमर तोड़ दी गई है। दो वर्षों में पुलिस ने 562 किलो से ज्यादा हेरोइन पकड़ी। पंजाब पुलिस ने पंजाब से पिछले एक साल में 19 लाख 64 हजार 250 नशीली गोलियां बरामद की हैं। नशे की कैप्सूल्स की संख्या 71 हजार 128 है. इसी प्रकार 8 हजार 504 नशे के टीके बरामद किए गए हैं. साढ़े 53 क्विंटल पोस्त भी बरामद किया गया है। पिछले एक साल में नशे की बरामदगी को पंजाब पुलिस 154.76 करोड़ रुपये का मानती है।
कोई भी जिला ऐसा नहीं जहां नशा की बिक्री न हो
पुलिस के आंकड़ें बताते हैं कि प्रदेश भर में ऐसा कोई भी जिला नहीं है, जहां नशे की बिक्री न हो रही हो। पिछले एक साल में प्रदेश भर में से 5350.67 किलोग्राम पोस्त बरामद किया गया है। इसमें सबसे ज्यादा बरामदगी होशियारपुर जिले से है। होशियारपुर जिले से 831.5 किलोग्राम पोस्त बरामद किया गया है, जबकि बठिंडा से एक क्विंटल 33 किलोग्राम पोस्त की बरामदगी हुई है। बरनाला ऐसा जिला है, जहां से सबसे कम मात्रा में पोस्त मिला। नशे की गोलियों की बरामदगी में मानसा जिला पहले स्थान पर है. मानसा एकमात्र ऐसा जिला है, जहां से 13,23,765 नशे की गोलियां बरामद की गई हैं. बठिंडा पुलिस ने एक साल में 2,43,514 नशे की गोलियां बरामद की हैं। पूरे प्रदेश से 19,64,250 नशे की गोलियां बरामद की गई हैं, लेकिन अकेले मानसा जिले से ही 63 फीसद गोलियां बरामद हुई हैं। पंजाब पुलिस ने सबसे ज्यादा हेरोइन साढ़े 14 किलोग्राम फिरोजपुर जिले से बरामद की है। जालंधर हेरोइन की बरामदगी में दूसरे स्थान पर रहा है। जालंधर पुलिस ने 11 किलो 10 ग्राम हेरोइन बरामद की है। तरनतारन पुलिस ने 10 किलो 35 ग्राम हेरोइन इस साल में बरामद की है।

लेखक-नितिन सिंगला, बठिंडा

-9855151929

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