punjab/आज से अनाज की सप्लाई फिर होगी शुरू, पंजाब से अन्य राज्यों को भेजे जाएंगे अनाज के 35 रैक

चंडीगढ़। केंद्र सरकार के तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बने हुए गतिरोध के कारण पंजाब में पिछले दो महीने से अटकी अनाज की सप्लाई आज से फिर शुरू हो जाएगी। सप्लाई चेन में किसानों के विरोध के कारण आई बाधा के चलते करीब 142.50 लाख मीट्रिक टन अनाज अन्य राज्यों को नहीं भेजा जा सका था। आज अन्‍य राज्‍यों को मालगाडिय़ों से अनाज के 35 रैक भेजें जाएंगे।

पंजाब में अटका है 50 लाख मीट्रिक टन अनाज

पंजाब में इस साल 127 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई जबकि धान की खरीद के बाद अब करीब 120 लाख मीट्रिक टन चावल और आ जाएगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की डायरेक्टर अनंदिता मित्रा के अनुसार मालगाडिय़ों का परिचालन शुरू हो गया है और मंगलवार को एफसीआइ ने 35 रैक के जरिए अन्य राज्यों को अनाज भेजने की तैयारी कर ली है।

कोरोना काल में पंजाब से अनाज की रिकार्ड सप्लाई की गई थी। यात्री गाडिय़ां न चलने के कारण हर रोज 30 से ज्यादा स्पेशल रैक दूसरे राज्यों को जा रहे थे। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अप्रैल महीने में 29.30 लाख टन, मई में 20.48, जून में 18.58, जुलाई में 24.17 और अगस्त में 29.03 और सितंबर महीने में भी अनाज से भरे एक हजार स्पेशल रैक दूसरे राज्यों को भेजे गए लेकिन 24 सितंबर के बाद गाडिय़ों का परिचालन बंद होने के बाद सप्लाई बंद हो गई। उम्मीद की जा रही थी कि अक्टूबर और नवंबर में 50 से 60 लाख टन अनाज दूसरे राज्यों को चला जाएगा परंतु ऐसा नहीं हो पाया।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत कुछ अन्य राज्यों ने जब से केंद्रीय पूल में अपना योगदान देना शुरू किया है तब से पंजाब और हरियाणा से अनाज की सप्लाई धीमी हो गई है। पंजाब पिछले चार सालों से यह कहता आ रहा है कि अनाज की सप्लाई पंजाब से तेज करवाई जाए। पंजाब में अभी भी साल 2017-18 का 25 लाख मीट्रिक टन, 2018-19 का 30 लाख मीट्रिक टन अनाज बकाया पड़ा है।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से किसानों को इस बारे में पिछले सप्ताह उस समय चेताया था जब 18 नवंबर को हुई किसानों की बैठक में केवल मालगाडिय़ों के लिए ही रास्ता देने का फैसला किया गया था। कैप्टन ने कहा कि रेल सेवाओं के निलंबन से पंजाब से बिहार और उत्तर-पूर्वी राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत वितरण के लिए 40 लाख मीट्रिक टन चावल की सप्लाई भी नहीं हो सकी, जिस कारण केंद्र सरकार तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से अनाज उठाने लगी है। अगर केंद्र सरकार इसको कानून बना देती है तो हमारे किसानों का क्या बनेगा।

पंजाब में इस साल रिकार्ड 2 करोड़ मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है और मिङ्क्षलग शुरू होने के बाद अगले चार से पांच महीनों में 120 लाख मीट्रिक टन चावल गोदामों में आना है। चूंकि चावल का खुले में भंडारण नहीं किया जा सकता इसलिए उसके लिए कवर्ड गोदामों का खाली होना जरूरी है।

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