चंडीगढ। पंजाब में मेडिकल शिक्षा (Medical Education) की महंगी फीस के कारण विद्यार्थी इससे किनारा कर रहे हैं। राज्य के मेडिकल कालेजों (Medical colleges) में विद्यार्थी चयनित होने के बाद भी अपनी सीटें सरेंडर कर रहे हैं। मेडिकल कालेजों में पहले राउंड की काउंसलिंग के बाद एमबीबीएस (MBBS) की 441 सीटें विद्यार्थियों ने सरेंडर कर दी हैं।
चीमा बाले- दुर्भाग्यपूर्ण महंगी फीस के कारण काउंसलिंग में विद्यार्थियों का सीटें छोड़ना
शिरोमणि अकाली दल ने इसकाे लेकर पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पर निशाना साधा है। शिअद का कहना है कि महंगी फीस के कारण विद्यार्थियों के मेडिकल शिक्षा से दूर हो रहे हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री व शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डा. दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि महंगी फीस के कारण छात्रों ने सीटें सरेंडर कर दी।
कई विद्यार्थी दो-तीन कालेजों में अप्लाई करते है, इस कारण खाली रही सीटें: तिवाड़ी
दूसरी ओर, मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डीके तिवाड़ी का कहना है कि कई छात्र दो से तीन कालेजों में आवेदन कर देते है। ऐसी स्थित में मन पसंद कालेज मिलने के बाद वह बाकी कालेज में एडमीशन नहीं लेते हैं। अतएव इसे फीस के मुद्दे से नहीं जोड़ा जा सकता है।
बता दें कि पंजाब सरकार ने मई माह में सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कालेज के फीस में करीब 80 फीसदी की वृद्धि कर दी थी। पंजाब में पांच साल के कोर्स के लिए फीस को 7.8 लाख रुपये कर दिया गया था। पहले यह 4.4 लाख रुपये थी। भारी फीस वृद्धि का खासा विरोध भी हो रहा था। डा. चीमा का कहना है कि अगर सरकार इतनी भारी-भारी फीस लेगी तो सस्ते इलाज का सपना कभी भी पूरा नहीं हो सकता है। आम आदमी की पहुंच से मेडिकल की पढ़ाई करना व डाक्टर बनना दूर हो गया है।
बता दें कि राज्य में 9 मेडिकल कालेजों में 1425 सीटें है। पहले राउंड की काउंसलिंग के बाद 984 सीटें ही भरी है। इसमें से 441 सीटें खाली रह गई है। डा. चीमा का कहना है राज्य में एमबीबीएस फीस ढ़ांचे को तत्काल तर्कसंगत बनाना चाहिए। राज्य सरकार ऐसा माहौल बनाना चाहती है जिसमें केवल अमीर ही मेडिकल की पढ़ाई कर सकें तो उसे यह यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि मेडिकल प्रोफेशनल्स भविष्य में अपने मरीजों के किफायती इलाज की पेशकश करेंगे।
डा. चीमा ने कांग्रेस सरकार को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार बताया। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री के लिए यह आवश्यक है कि वह इसका समाधान करें। वहीं, डीके तिवाड़ी का कहना है, यह सीटें अगले राउंड की काउंसलिंग के दौरान भर जाएंगी। क्योंकि पहले राउंड में ऐसा होता है। कई छात्र दो से तीन कालेजों में अप्लाई करते है। मनपसंद कालेज मिलने के बाद वह बाकी कालेजों की सीटों को छोड़ देते है।