चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी में रविवार को उस समय शोक की लहर दौड़ पड़ी जब स्पोर्ट्स डायरेक्टर डॉ. परमिंदर सिंह आहलुवालिया का 58 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। डॉ. परमिंदर को हाल में कोरोना वायरस संक्रमण भी हुआ था, इसे उन्होंने मात दे दी थी। सोमवार को उनका क्वारंटाइन समय भी पूरा हो रहा था लेकिन अचानक दिल का दौरा पडऩे से उनकी मौत हो गई। डॉ. परमिंदर अपने शांत व्यक्तित्व के लिए कैंपस में प्रसिद्ध थे। उनकी अचनाक मौत से कैंपस का हर एक व्यक्ति शोक में डूबा हुआ है।
डॉ. परमिंदर के न केवल स्पोर्ट्स स्टाफ बल्कि अन्य विभागों के साथ भी अच्छे संबंध थे। हर किसी से हंस कर मिलना उनका व्यक्तित्व था। उनके परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी हैं। उन्होंने वर्ष 2015 में पीयू में स्पोर्ट्स डायरेक्टर का पद संभाला था, तब से उन्होंने पीयू को खेल की दुनिया में टॉप पर लाने के लिए हर संभव प्रयास किया।
पीयू ने खेल का मजबूत स्तंभ खोया: कुलपति प्रो. राजकुमार
पीयू कुलपति ने डॉ. परमिंदर की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने एक ऐसा साथी खोया है जो हर समय उनके साथ खड़े रहते थे। वो पीयू में खेल के ऐसे मजबूत स्तंभ थे जो किसी भी परिस्थिति में कभी नहीं हिला। डॉ. परमिंदर की मौत से पीयू ने वो मजबूत स्तंभ खो दिया है।
खिलाड़ियों का हमेशा देते थे साथ
खिलाडिय़ों को हर संभव सुविधा देने के लिए डॉ. परमिंदर पीयू के आला अधिकारियों तक से लड़ जाते थे। खिलाडिय़ों के साथ वह हर समय खड़े रहते थे। इस कारण खिलाडिय़ों के दिल में उनके लिए बहुत ज्यादा सम्मान था। उन्होंने कभी किसी व्यक्ति से ऊंची आवाज में बात तक नहीं की थी।
उनका अचानक जाना सपने जैसे: डीयूआई प्रो. सिंगला
डॉ. परमिंदर के बारे में कैंपस का हर एक व्यक्ति जानता था कि वो धरती से जुड़े इंसान है। हर समय खेल को लेकर गंभीर रहना, खिलाडिय़ों के सोचना, यहां तक ग्राउंड स्टॉफ के साथ भी उनका व्यवहार हमेशा से ही अच्छा रहा। उनके अचानक जाने की बात मुझेअभी भी सपने जैसी लग रही है।