चंडीगढ़। किसान आंदोलन के कारण लंबे समय से नजरंदाज इंडस्ट्री और व्यापारियों के सी फार्म के केसों के मामले को सेटल करने को लेकर पंजाब सरकार गंभीर हो गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हस्तक्षेप के बाद तीन कैबिनेट मंत्री, तीन विधायकों व विभाग के अधिकारियों की बीच बैठक हुई। इसमें वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) पालिसी लाने को लेकर विचार किया गया।
जीएसटी के लागू होने के बाद कराधान विभाग 2013-14 के केसों को खत्म करने के लिए इंडस्ट्री व व्यापारियों पर दबाव बना रहा था। इसके लिए व्यापारियों को सी फार्म देना था। कोरोना महामारी व कई राज्यों में सी फार्म की समस्या को देखते हुए व्यापारी यह केस सेटल नहीं करवा पा रहे थे। इसी क्रम में विभाग ने करीब 70,000 इंडस्ट्री व व्यापारियों को नोटिस जारी किया था।
व्यापारी संगठन लगातार सरकार पर दबाव बना रहे थे कि इतने पुराने सी फार्म लाना संभव नहीं है। अत: सरकार वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लाकर पुराने मामलों को खत्म करे। यह मामला जालंधर से कांग्रेस विधायक राजिंदर सिंह बेरी और कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु ने भी उठाया था। व्यापारियों व उद्यमियों से जुड़े इस मामले को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इसका हल निकालने मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक करने के निर्देश दिए।
इस संबंध मेंं गत दिवस वित्तमंत्री मनप्रीत बादल, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु और उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा, जबकि फाइनेंशियल कमिश्नर टैक्सेशन वेणु प्रसाद और नीलकंठ की बैठक हुई। इसमें यह फैसला हुआ कि अधिकारी जिन राज्यों ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लाकर पुराने मामलों को खत्म किया है, उनकी पालिसियों का मंथन करके एक ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।
आशु ने बताया, 10 राज्य ओटीएस स्कीम ला चुके है। इसके मंथन और ड्राफ्ट के तैयार होने के बाद पुन: बैठक होगी। उसके बाद मामला मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा। बैठक में विधायक राजिंदर बेरी, सुशील रिंंकू और लुधियाना के विधायक संजीव तलवाड़ भी शामिल थे।