चंडीगढ़। आइएएस के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी के अपहरण और हत्या के मामले में आरोपित पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं, पंजाब पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयासों को और तेज कर दिया है। पंजाब पुलिस की टीम ने वीरवार को सैनी की तलाश में दिल्ली, शिमला के राजस्थान में स्थित उनके ठिकानों पर छापामारी की। वहीं, शुक्रवार को आज उनके चंडीगढ़ के सेक्टर-10 के मकान नंबर 13 और उनके होशियारपुर स्थित पैतृक गांव ख़ुदा कराला में पुलिस ने छापा मारा। घर पर सैनी नहीं मिले। पुलिस उनके और संभावित ठिकानों पर भी छापामारी कर रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार सैनी की पत्नी और बेटी दिल्ली के पंचशील स्थित घर पर मौजूद हैं, परंतु सैनी वहां नहीं मिले। सैनी की पत्नी का कहना है कि 22 अगस्त के बाद से सैनी से उनका संपर्क भी नहीं हुआ। वहीं, सैनी के शिमला स्थित आवास पर भी पुलिस को उनके नौकर ही मिले।
गौरतलब है कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को सैनी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद से ही पुलिस सैनी को गिरफ्तार करने के लिए लगातार छापामारी कर रही है। सैनी की गिरफ्तारी न होने के कारण अब पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैैं।
हाल ही में पंजाब के दो कैबिनेट मंत्रियों ने सैनी के गायब होने को लेकर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों के निलंबन की मांग तक कर दी थी। उन्होंने कहा कि अपने सुरक्षा कर्मियों को चकमा देकर सैनी कैसे फरार हो सकते हैैं। एक सितंबर को मोहाली की जिला अदालत द्वारा सैनी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद से ही पुलिस के पास सैनी को गिरफ्तार करने के लिए लंबा समय मिला, परंतु 10 दिन बीतने पर भी सैनी पुलिस के हाथ नहीं आए।
सुपरकॉप सुमेध सैनी कभी पंजाब पुलिस के थे मुखिया, आज उसी से बचने को भाग रहे इधर-उधर
सुपरकॉप सुमेध सिंह सैनी जिस पंजाब पुलिस के मुखिया थे और उनके नाम से बड़े-बड़े अपराधियों को पसीने आ जाते थे, आज उसी पुलिस फोर्स से बचने को इधर-उधर भाग रहे हैं। चंडीगढ़ के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण व हत्या के मामले में गिरफ्तारी से बचने को वह भूमिगत हैं और पुलिस उनकी तलाश में छापे मार रही है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी के साथ पर्याप्त कागजात नहीं होने की बात कह कर उनकी याचिका लौटा दी है। अब उनके वकील नए सिरे से याचिका दायर करने की तैयारी में हैं।
इन सबके बीच सुपरकॉप रहे सुमेध सिंह सैनी की अपने कार्यकाल में धमक के गवाह कई उदाहरण हैं। जानिये कुछ उदहरण के बारे में।
बात 2004 की है्, जब एक दिन हम पुलिस मुख्यालय में गए। एक अधिकारी से मिलने के लिए जब अपना कार्ड भेजा तो बाहर खड़े संतरी ने कहा कि आप प्रतीक्षा करें, साहब बुलाते हैं। तभी दो और संतरी बाहर आए और उनके ऑफिस के बाहर बने बाथरूम में घुस गए। पूरी तलाशी लेने के बाद दोनों बाथरूम की खिड़की के बाहर खड़े गए हो गए। दो और बाथरूम के बाहर खड़े हो गए और चौथे फ्लोर की सारी आवाजाही रोक दी गई। हम भी हैरान हो रहे थे, तभी वह अधिकारी बाहर निकले और बाथरूम में चले गए। कुछ देर बाद ही फ्रेश होकर बाहर आए तो हमारी ओर देखकर मुस्कुराए और अपने साथ दफ्तर में ले गए। मेरे साथी द्वारा इतनी सुरक्षा के तामझाम के बारे में पूछने पर वह बोले, ‘आतंकवाद से लड़ाई लडऩा क्या आसान है? हमने फिर सवाल किया कि अब तो लड़ाई खत्म हुए भी दस साल हो गए। वह बोले, ‘हां हो गए हैं, पर जख्मों के निशान इतनी जल्दी नहीं मिटते।’ ये अधिकारी थे पंजाब के तत्कालीन डीजीपी सुमेध सिंह सैनी।
आतंकवाद को कुचलने वाला कठोर अफसर संगीन मामलों में बन गया आरोपित
सुमेध सिंह सैनी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का सबसे कठोर व बेखौफ चेहरा रहे हैं। हमारे मन में यह सवाल बार-बार कौंध रहा था कि इतनी सुरक्षा के बीच रहने वाले व्यक्ति को रात को नींद कैसे आती होगी? उनके साथ काम करने वाले अफसर बताते थे कि वह अक्सर देर रात तक जागते थे। अपने आपरेशंस भी देर रात को ही करते थे।
बड़े-बड़ों से पंगा लेने वाला खुद घिर गया कई मामलों में
किसी जमाने में सैनी की इतनी दहशत थी कि अच्छे-अच्छे शातिर अपराधी की रुह उनका नाम सुनते ही कांप जाती थी। उन्होंने अलगाववाद के मामले में अपने सीनियर रहे सिमरनजीत सिंह मान को भी नहीं बख्शा था। उनसे भी बहुत कठोर तरीके से पेश आए थे। आतंकवाद के दौर में लड़ाई लडऩे वाले चेहरों में केपीएस गिल के बाद सबसे बड़ा नाम उन्हीं का था। शायद यही वजह थी कि जब वह पंजाब के डीजीपी बने तो केपीएस गिल स्वयं उन्हें पुलिस मुख्यालय में बधाई देने के लिए आए।
सैनी कई केसों व स्टाइल की वजह से नेताओं के निशाने पर भी रहते आए हैैं। जब 2002 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार थी तो उन्हें आइजी इंटेलिजेंस लगाया गया। उन्होंने पंजाब लोकसेवा आयोग के चेयरमैन रवि सिद्धू को रिश्वत मामले में गिरफ्तार किया। उस समय बादलों को भी नहीं बख्शा। यह माना जाने लगा कि वह कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी हैं लेकिन अपने मुताबिक काम करने वाले सैनी को जल्द ही हटाकर हाशिए पर धकेल दिया गया।
2007 में बादल सरकार आई तो उन्हें विजिलेंस जैसा महकमा दिया गया। लुधियाना के बहुचर्चित सिटी सेंटर घोटाले में उन्होंने अमरिंदर सिंह के खिलाफ ही पर्चा दर्ज कर दिया। बादलों से नजदीकी बढ़ी तो दूसरी टर्म में उन्होंने अन्य अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए तमाम विरोधों के बावजूद सैनी को डीजीपी बना दिया। यहां तक कि इस फैसले से अकाली दल की गठजोड़ पार्टी भाजपा भी खुश नहीं थी लेकिन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इसकी परवाह नहीं की।
बादल के इस फैसले के चलते वह गर्मखयालियों के निशााने पर भी आ गए। उनका अतीत भी आड़े आना शुरू हुआ। उन पर आतंकवाद के दौरान मानवाधिकारों के हनन के आरोप लगने लगे। कई मामले सामने आए। मानवाधिकार संगठनों के लोग उनके खिलाफ मुखर होने लगे। सैनी की अमरिंदर से खुल कर ‘दुश्मनी’ तो सिटी सेंटर घोटाले के समय ही हो गई थी। एक – दूसरे को दोनों ने खुले खत लिखे। अमरिंदर ने यहां तक लिख डाला कि जब सरकार बनेगी देख लूंगा।
तीन साल पहले कैप्टन की सरकार बनी तो सैनी के लिए एक बुरा दौर शुरू हुआ। अबकी बार एक समय में पुलिस अफसरों का खासमखास रहा पिंकी कैट अपने ही अफसर यानी सैनी के खिलाफ गवाह बना। 29 साल पुराने बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण व हत्या के मामले में उनके समय में इंस्पेक्टर रहे दो साथियों द्वारा उनके खिलाफ गवाही देने से जटिल हो गया है। दरअसल 1991 में जब वह एसएसपी थे, तब उन पर आतंकी हमला हुआ था।
उस मामले में बलवंत सिंह मुल्तानी को सैनी के आदेश पर हिरासत में लिया गया था जो कि पूर्व आइएएस दर्शन सिंह मुल्तानी का बेटा था। पुलिस ने उसे हिरासत में रखा और बाद में कहा कि वह फरार हो गया। मुल्तानी के परिवार का कहना था कि बलवंत की पुलिस के टॉर्चर से मौत हो गई। 2008 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशों पर चंडीगढ़ सीबीआइ ने जांच शुरू की और सैनी के खिलाफ केस दर्ज किया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने टेक्निकल ग्राउंड पर इस एफआइआर को खारिज कर दी।
अब नए तथ्यों पर पंजाब पुलिस ने फिर केस दर्ज किया है। उनकी जमानत हाई कोर्ट से रद्द होने के बाद उन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है। पंजाब पुलिस की विशेष टीम पिछले तीन दिन से उनके विभिन्न ठिकानों पर छापे मार रही है। उन्होंने अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी दस्तक दी है। यही नहीं, बादल सरकार के समय में बेअदबी की घटनाओं के बाद हुए बहबल कलां गोली कांड में भी वह काफी घिरे हुए हैं। इस केस की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम के आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह ने फरीदकोट अदालत में वीरवार को यही बयान दिया है।
1994 में लुधियाना के एक बिजनेसमैन परिवार का अपहरण करके उसे मारने का आरोप अब भी सैनी झेल रहे हैं। नब्बे साल की अमर कौर का कहना है कि सैनी ने उनके बेटे विनोद कुमार और दामाद अशोक कुमार को उनके ड्राइवर मुख्तियार समेत उठाया और खत्म कर दिया गया। सीबीआइ ने इस पर केस दर्ज करके विशेष अदालत में केस चलाया। हालांकि सैनी पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे लेकिन उनकी शख्सियत का यह पहलू अपराधियों से निपटने के उनके तौर तरीके के बीच दब गया है।
एसआइटी की होशियारपुर व चंडीगढ़ में छापामारी, नहीं मिले सैनी
जालंधर। बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण व कत्ल केस के मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी व पुलिस ने चंडीगढ़ व होशियारपुर में छापामारी की लेकिन वह नहीं मिले। एसआइटी की टीम मोहीली पुलिस के साथ शुक्रवार सुबह सैनी के होशियारपुर के गांव कुराला कलां में स्थित पैतृक घर पर छापा मारा।
डीएसपी गुरप्रीत सिंह की अगुआई में सुबह नौ बजे एसआइटी की टीम गांव पहुंची तो घर पर ताला लगा था। स्थानीय लोगों ने बताया कि सुमेध सैनी का काफी लंबे समय से बंद पड़ा हुआ है। इस दौरान टीम ने दारापुर-टांडा बाईपास में सैनी के रिश्तेदार के घर भी गई। रिश्तेदार का घर भी बंद था। बताया गया कि वह विदेश में रहता है। उधर, चंडीगढ़ में भी एसआइटी की टीम ने चंडीगढ़ पुलिस के साथ सेक्टर दस व सेक्टर बीस में छापामारी की लेकिन सैनी कहीं नहीं मिले। एसआइटी ने वीरवार को भी दिल्ली व शिमला में उनके कई ठिकानों पर छापा मारा था।