चंडीगढ़। पंजाब अब अंधेरे में डूबेगा। पिछले 17 दिनों से राज्य में रेल ट्रैक पर डेरा जमाए बैठे किसानों के आंदोलन का असर अब थर्मूल पावर प्लांटों पर पड़ा और उनमें बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मालगाडिय़ां नहीं चलने से सरकारी और प्राइवेट थर्मल प्लांट में कोयले की भारी कमी के चलते कई यूनिट बंद कर दी गई हैं। ऐसे में राज्य में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने खेती क्षेत्र में इन दिनों दी जा रही पांच घंटे की बिजली में ही कटौती कर दी है। अब किसानों को दो घंटे ही बिजली मिलेगी।
राहत की बात यह है कि राज्य में बिजली की मांग तेजी से गिरी है। मांग और उत्पादन में मात्र 500 से एक हजार मेगावाट का ही अंतर है। इसको पूरा करने के लिए सरकार ने खेती को मिल रही बिजली पर कट लगा दिया है। खास बात यह है कि इन दिनों आलू और अन्य सब्जियों की बुवाई जोरों पर है। ऐसे में बिजली कट का असर किसानों पर ही सीधे पड़ेगा। हालांकि पावरकाम बिजली कट की अधिकारिक पुष्टि नहीं कर रहा हैं।
हम ब्लैक आउट नहीं होने देंगे : वेणुप्रसाद
पावरकाम के चेयरमैन ए. वेणुप्रसाद ने माना कि कोयला न मिलने के कारण संकट बढ़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम पंजाब में ब्लैक आउट नहीं होने देंगे। हमें थर्मल प्लांटों के अलावा नेशनल ग्रिड, हाइड्रो पावर, परमाणु उर्जा संयंत्रों आदि से भी बिजली मिल रही है।
अब हाइड्रो पावर का ही आसरा
15 अक्टूबर से बढ़ेगी बिजली की मांग
काबिले गौर है कि 15 अक्टूबर से राज्य में सिनेमा हाल खुल रहे हैं। यही नहीं राज्य में स्कूल-कालेज खोलने की भी तैयारी हो रही है, ऐसे में बिजली की मांग फिर बढ़ सकती है।
लोगों को हमारे खिलाफ करने की साजिश : राजेवाल
भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने आरोप लगाया कि किसानों को शुक्रवार को मात्र दो घंटे बिजली दी गई। यही नहीं घरेलू सेक्टर में भी कट लगाया गया है। साफ है कि सरकार हम पर दबाव बना रही है। सरकार इस कोशिश में है कि लोग हमारे पीछे पड़ें कि हमारे धरनों के कारण कोयला नहीं आ पा रहा है। राजेवाल ने कहा किसान मूर्ख नहीं हैं। वे जानते हैं कि एक भी थर्मल प्लांट न चले तो भी नेशनल ग्रिड से पूरी बिजली आ सकती है।
किसानों की दो दिवसीय बैठक आज से
इस स्थिति पर नए सिरे से विचार करने के लिए आज 13 किसान संगठनों की बरनाला में मीटिंग होगी। इसमें वामपंथी संगठन शामिल नहीं होंगे। यह बैठक लगातार दो दिन चलेगी। दूसरे दिन वामपंथी संगठनों को साथ लेकर 30 संगठनों की मीटिंग होगी। इसमेंं धान की कटाई और गेहूं की बुवाई को मुख्य रखते हुए नए सिरे से रणनीति तैयार की जाएगी।
यही नहीं किसान संगठनों में भी यह सुगबुगाहट होने लगी है कि अब रेलवे ट्रैक को खोल दिया जाए क्योंकि इसका नुकसान अब किसानों को भी होने लगा है। किसानों की दो दिन तक चलने वाली मीटिंग में कई बातें तय होनी निश्चित हैं।