चंडीगढ़ । पंजाब में अब आम लोगों का अपने घर का सपना साकार होगा और प्रॉपर्टी सेक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा। पंजाब सरकार ने इसके लिए किफायती कॉलोनी नीति लागू कर दी है। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके तहत छोटी कॉलोनियों को डेवलप किया जा सकेगा। इससे निम्न व मध्यम वर्ग के लोगों का घर का सपना पूरा होगा। वहीं, कोविड-19 के कारण प्रॉपर्टी सेक्टर में देखी जा रही मंदी को भी तोड़ने का प्रयास होगा।
मंत्री का दावा, निम्न व मध्यम वर्ग के लोगों को मिलेगा सबसे ज्यादा लाभ
राज्य के आवास निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट के के कारण इस समय कम व मध्यम आय वाले परिवारों को किफायती कीमत पर घर मुहैया करवाने की बहुत जरूरत है। किफायती कॉलोनी नीति आवास निर्माण एवं शहरी विकास विभाग की ओर से विकसित या प्रमाणित सभी क्षेत्रों, मास्टर प्लान में रिहायशी व मिक्स्ड लैंड यूज जोन पर लागू होगी। इसके साथ ही मास्टर प्लान से बाहर स्थित म्युनिसिपल एरिया की सीमा के अधीन तीन किलोमीटर तक के क्षेत्र में लागू होगी।
मंत्री सरकारिया ने नीति की अलग-अलग शर्तों के बारे में जानकारी दी। उन्हाेंने बताया कि प्लॉट या मिक्स्ड प्लॉट कॉलोनी के लिए कम से कम पांच एकड़ की जरूरत है, जबकि ग्रुप हाउसिंग के विकास के लिए सिर्फ दो एकड़ क्षेत्रफल की जरूरत है। एसएएस नगर मास्टर प्लान के अधीन क्षेत्रों के लिए कम से कम 25 एकड़ (प्लॉट व मिक्स्ड प्लॉट) और 10 एकड़ (ग्रुप हाउसिंग), जबकि न्यू चंडीगढ़ मास्टर प्लान के लिए यही शर्त कम से कम 100 एकड़ और पांच एकड़ है।
किफायती मकानों के निर्माण के लिए प्लॉट का अधिक से अधिक साइज 150 वर्ग गज रखा गया है, जबकि आर्थिक पक्ष से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए यह साइज 100 वर्ग गज होगा। लोगों की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए डेवलपर को प्रोजेक्ट में पार्कों के लिए अपेक्षित व्यवस्था करने की जरूरत होगी और एक कम्युनिटी सेंटर और व्यापारिक क्षेत्र भी आरक्षित रखा जाएगा।
नीति में प्रावधान
-डेवलपर पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट-1995 की पाबंदियों के बिना ईडब्ल्यूएस इकाइयों को बेच सकेंगे। इससे पहले कॉलोनी स्थापित करने वाले डेवलपर को ईडब्ल्यूएस मकान या प्लॉट बेचने के लिए स्पेशल डेवलपमेंट अथॉरिटी को सौंपने पड़ते थे।
-आम तौर पर किसी कॉलोनी के मामले में मंजूरशुदा बिक्री योग्य क्षेत्र 55 फीसद होता है, जबकि एक किफायती कॉलोनी के डेवलपर के लिए यह दर 60 फीसद रखी गई है।
-यदि कॉलोनाइजर ग्रुप हाउसिंग का विकास करना चाहता है तो अधिक से अधिक जमीनी कवरेज साइट क्षेत्र का 35 फीसद और अधिक से अधिक फ्लोर एरिया दर (एफएआर) साइट क्षेत्र का 1:3 होगा।
-डेवलपर को रिहायशी फ्लैटों की कुल संख्या का 10 फीसद हिस्सा ईडब्ल्यूएस के लिए बिक्री के लिए आरक्षित रखना अनिवार्य होगा।
-इन कॉलोनियों के लिए प्रति व्यक्ति घनत्व का कोई नियम लागू नहीं होगा।
-कॉलोनियों के लाइसेंस देने के लिए डायरेक्टोरेट ऑफ टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (डीटीसीपी) को अधिकार दिया गया है।