चंडीगढ़। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस पार्टी से खफा कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। वहीं, कैप्टन की जी-23 के नेताओं से मुलाकात की चर्चा जोरों पर है। कैप्टन तीन दिनों से दिल्ली में ही डटे हुए हैं। इन चर्चाओं को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि कैप्टन जब दिल्ली गए थे तो उनके करीबी व आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने उनसे मुलाकात की थी। मनीष तिवारी कांग्रेस के जी-23 नेताओं में शामिल है।
कैप्टन की नाराजगी इस बात को लेकर है कि साढ़े चार साल पहले कांग्रेस पार्टी में आए नवजोत सिंह सिद्धू के लिए पार्टी ने उनको बेइज्जत किया और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। कैप्टन पार्टी द्वारा जलील किए जाने वाली बात खुल कर बोल चुके हैं। कैप्टन जब एक सप्ताह पहले दिल्ली गए थे उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी। उनके दोबारा दिल्ली जाने से पहले चर्चा यह थी कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुलाकात करेंगे। हालांकि प्रधानमंत्री से अभी तक कैप्टन की मुलाकात नहीं हो पाई है।
जी-23 ने कई बार उठाई कांग्रेस में स्थायी प्रधान की मांग
वहीं, अब चर्चा है कि कैप्टन ने जी-23 के नेताओं के साथ मुलाकात की है। हालांकि यह तय नहीं है कि उन्होंने किसके साथ बात की। बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफे के बाद जी-23 के नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि कांग्रेस के पास जब कोई स्थानीय प्रधान नहीं है तो फिर प्रदेश प्रधान को कौन लगा रहा है। जी-23 लगातार कांग्रेस में स्थायी प्रधान लगाने की मांग उठाता रहा है। वहीं, कैप्टन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और जिस प्रकार से उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया, उससे उनके जी-23 ग्रुप में शामिल होने की संभावनाएं बढ़ गई है।
जी-23 के पत्र पर कैप्टन ने जताई थी नाराजगी
बता दें कि 2020 को जब जी-23 का पत्र अस्तित्व में आया था तब बतौर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोनिया और राहुल गांधी के हक में बयान जारी किया। कैप्टन ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी पहले ही कांग्रेस के पीछे पड़ी हुई है। जबकि पार्टी में ही कुछ ऐसे नेता हैं जोकि लेटर लिख कर अपना ही असंतोष जता रहे हैं। यह शर्मसार करने वाली बात है। ऐसा नहीं होना चाहिए। कैप्टन ने इस बात पर जोर दिया कि सोनिया गांधी हमेशा ही लोगों की पहुंच में रही हैं। ऐसे में ऐसा असंतोषपूर्ण पत्र लिखे जाने और उसे पब्लिक में लीक करने की कोई जरूरत नहीं थी।