पंजाब की आर्थिक स्थिति से कांग्रेस चिंतित, सुनील जाखड़ बोले- किसान संगठन अपना ही घर जलाकर हाथ न सेकेें

पूरा पंजाब किसानों के साथ खड़ा था, लेकिन सभी को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी भी किसान संगठनों की ही थी। अगर अर्थव्यवस्था बर्बाद होती है तो इससे कोई भी अछूता नहीं रहेगा। वहीं, जाखड़ ने किसानी के मुद्दे पर पंजाब में रेफरंडम करवाने की भी मांग उठा दी है।

चंडीगढ़। किसान संगठनों के धरने के कारण शहरी वर्ग में बढ़े गुस्से व लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था सेे कांग्रेस पार्टी में भी खलबली मची हुई है। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ का कहना है कि किसान संगठनों को अपना घर जलाकर हाथ नहीं सेंकना चाहिए। पूरा पंजाब किसानों के साथ खड़ा था, लेकिन सभी को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी भी किसान संगठनों की ही थी। अगर अर्थव्यवस्था बर्बाद होती है तो इससे कोई भी अछूता नहीं रहेगा। वहीं, जाखड़ ने किसानी के मुद्दे पर पंजाब में रेफरंडम करवाने की भी मांग उठा दी है।

अहम बात यह है कि रेफरंडम के जरिये जाखड़ ने इस बात की मांग उठा दी कि कांग्रेस सरकार को इस्तीफा देकर किसानी के मुद्दे पर पुनः चुनाव मैदान में डट जाना चाहिए। इससे पहले 20 सितंबर को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा था कि इस्तीफा उनकी जेब में है। केंद्र सरकार को उन्हें बर्खास्त करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे पहले वह इस्तीफा दे देंगे।

माना जा रहा है कि किसान संगठनों के धरने के कारण शहरी व व्यापारी वर्ग में जिस प्रकार से राज्य सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ा है। यहां तक की कई प्रगतिशील किसान भी इससे परेशान नजर आ रहे हैंं, ऐसे में कांग्रेस के हाथों से बाजी निकले इससे पहले ही कांग्रेस को सरकार भंग कर चुनाव करवा लेने चाहिए, क्योंकि सरकार कि चिंता यह है कि अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूट चुका है। भाजपा ने 117 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हरियाणा और बिहार में जिस प्रकार ने भाजपा ने मतों का ध्रुुवीकरण किया, वहीं फार्मूला पंजाब में भी न लागू किया जाए।

जाखड़ ने कहा, किसान संगठनों को ट्रेनों को चलने से नहीं रोकना चाहिए। वहीं, केंद्र को भी मालगाड़ियां तुरंत चलानी चाहिए, क्योंकि पंजाब में यूरिया की कमी आ गई है। इसका असर किसानों पर ही पड़ेगा। जब जाखड़ ने पूछा गया, किसान संगठन जिस प्रकार से ट्रेन चलाने के लिए शर्त रख रहे हैंं, सरकार शर्त पर चल सकती है? के जवाब में जाखड़ ने कहा, सरकारें शर्तों पर नहीं चलती है, लेकिन सरकार को लोगों की भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

किसान संगठनों ने कहा है कि मालगाड़ियां चलने के अगले दिन ही वह यात्री गाड़ियों पर अपना फैसला लेंगे। ऐसे में केंद्र को भी हठधर्मिता छोड़नी चाहिए। साथ ही जाखड़ ने कहा कि किसान संगठनों को यह भी समझने की जरूरत है कि यह लंबी लड़ाई है। इसे राजनीतिक और सामाजिक रूप से लड़ना पड़ेगा। हठधर्मिता से किसानों का संघर्ष डिरेल हो जाएगा, क्योंकि किसान संगठन भाजपा के चंगुल में फंसते जा रहे हैंं। अतः किसानों को भी सचेत रहने की जरूरत है।

जत्थेदार को राजनीतिक बयान नहीं देने चाहिए

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा ईवीएम को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब में जाखड़ ने कहा, अकाल तख्त के जत्थेदार को राजनीतिक बयान नहीं देने चाहिए। वहीं, सुखबीर बादल द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाए जाने पर प्रदेश प्रधान ने कहा, कांग्रेस शुरू से ही ईवीएम के खिलाफ थी। अकाली दल को यह बात तब समझ में आई जब 25 साल राज करने का दावा करने वाली पार्टी को पंजाब में अब अपना भविष्य वोट कटुआ पार्टी के रूप में दिखाई देने लगा है। इसके प्रमाण आने वाले विधानसभा चुनाव में सामने आ जाएंगे कि पंजाब में कौन चिराग पासवान बनेगा और कौन ओवैसी।

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