चंडीगढ़। राजस्थान के बाद अब कांग्रेस के लिए पंजाब में मुश्किल पैदा होती दिख रही है। पंजाब कांग्रेस में कलह चरम पर पहुंच गई है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा के तेवर और तीखे तेवर हो गए हैैं। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ को हटाने की कांग्रेस आलाकमान से मांग की है। बाजवा ने दावा किया है कि राज्य में कांग्रेस के 90 फीसद विधायक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ के खिलाफ हैैं। ऐसे में आलाकमान इनको पद से तुरंत हटाए अन्यथा पंजाब में कांग्रेस का गेम ओवर होगा।
बोले, हाईकमान जल्द करे नेतृत्व को लेकर फैसला नहीं तो गेम ओवर
बाजवा ने कहा कि भले ही यह विधायक सरकार के पक्ष में पत्र जारी कर रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि ये विधायक सरकार और संगठन से नाराज हैैं। विधायक नहीं चाहते कि कैप्टन और जाखड़ का पंजाब में नेतृत्व जारी रहे। जागरण से विशेष बातचीत में बाजवा ने कहा कि हाईकमान को इसे लेकर जल्द फैसला करना होगा। सोनिया गांधी या राहुल गांधी को सभी विधायकों को ग्रुप की बजाए एक-एक करके दिल्ली बुलाकर उनकी पीड़ा सुननी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस दौरान न मुख्यमंत्री को बुलाया जाए, न प्रदेश प्रभारी और न ही प्रदेश प्रधान को। बाजवा ने कहा, ‘मैैं दावा करता हूं कि विधायकों से बातचीत करके जब वह कैप्टन और जाखड़ से नाराज कांग्रेस विधायकों की गिनती करेंगे तो नाराज विधायकों की संख्या 90 फीसद की बजाए 95 फीसद होगी।’
कहा- कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में अगला चुनाव नहीं लड़ूंगा
उन्होंने कहा कि हाईकमान को सभी का पक्ष सुनकर स्थिति जल्द स्पष्ट कर देनी चाहिए। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए किसी एक की पीठ पर ‘थापी’ मार देनी चाहिए ताकि विधायकों के लिए भी तस्वीर साफ हो जाए। अगर कैप्टन को ‘थापी’ दी गई तो 2022 तक गेम ओवर हो जाएगी और मैैं कैप्टन के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ूंगा।
ग्रुपों के बजाय एक-एक करके विधायकों की सुने हाईकमान, किसी एक की पीठ पर जल्द थापी दे दे हाईकमान
गौरतलब है कि जहरीली शराब के मामले में बाजवा और राज्यसभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो ने सीबीआई जांच के लिए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था। उसके बाद से ही पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई चरम पर पहुंच गई है।
‘मुझे कुछ हुआ तो कैप्टन और डीजीपी होंगे जिम्मेदार, सुखबीर-बादल की भी सुरक्षा हटाई जाए’
पंजाब सरकार द्वारा सुरक्षा वापस लिए जाने पर बाजवा ने चंडीगढ़ (यूटी) के डीजीपी संजय बेनीपाल को पत्र लिखा है। बाजवा ने कहा, ‘अगर मुझे या मेरे परिवार को कोई नुकसान हुआ तो इसके लिए मुख्यमंत्री पंजाब व डीजीपी पंजाब जिम्मेवार होंगे।’ डीजीपी पंजाब दिनकर गुप्ता को एक अन्य पत्र लिखकर बाजवा ने कहा कि राजनीति से प्रेरित होकर उनकी सुरक्षा वापस ली गई है। यह पेशेवर आईपीएस अधिकारियों के सिद्धांतों के खिलाफ है। पिछले 40 साल से उन्हें राष्ट्र विरोधी और कट्टरपंथी तत्वों से खतरा है।
सुरक्षा डीजीपी ने नहीं मैैंने हटाई, बाजवा को हाईकमान पर भी विश्वास नहीं : कैप्टन
सुरक्षा के मुद्दे पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि बाजवा की सुरक्षा हटाने का निर्णय मैंने लिया है। बाजवा द्वारा डीजीपी पर शाब्दिक हमला करना कांग्रेस के सिद्धांतों के खिलाफ है। अगर बाजवा को शिकायत थी तो वह मुझे पत्र लिखते या दिल्ली में पार्टी हाईकमान से शिकायत करते। क्या उन्हें हाईकमान पर भी भरोसा नहीं है। अगर राज्य सरकार ने किसी बदले के लिए सुरक्षा हटानी होती तो बाजवा को केंद्रीय सुरक्षा मिलने तक का इंतजार न किया जाता। कोविड के कारण अब तक कई लोगों की सुरक्षा में लगे 6500 पुलिस कर्मियों को हटाया गया है।