तीन साल में चौथी बार घोटालों में घिरी पंजाब की कैप्टन सरकार, अब धर्मसोत विपक्ष के निशाने पर

पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार एक बार फिर घिर गई है। इस बार मंत्री धर्मसोत के स्कॉलरशिप घोटाले में फंसने के कारण सरकार घिरी है।

चंडीगढ़ । पंजाब विधान सभा में स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर जमकर हंगामा हुआ। इसमें सरकार बुरी तरह घिरी नजर आई। हालांकि कोविड के चलते विपक्षी पार्टी अकाली दल इसमें भाग नहीं ले सकी, जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी के भी चार विधायक ही सदन में थे। लोक इंसाफ पार्टी के दो विधायक भी सदन में थे जिन्होंने मंत्री साधू सिंह धर्मसोत को बर्खास्त करने की मांग की, लेकिन यह पहला मौका नहीं है कि जब किसी मंत्री को लेकर सरकार रक्षात्मक मुद्रा में आई हो। इससे पहले सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह तो दो बार सरकार की फजीहत करवाकर सत्ता से बाहर हो चुके हैं और आज भी उनकी कैबिनेट में सीट खाली है।

यूं फंसे सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह

2017 में सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राणा गुरजीत सिंह को सिंचाई मंत्री बनाया। पंजाब में अवैध रेत खनन को लेकर पूर्व सरकारें पहले ही बदनाम थीं, उन पर कार्रवाई तो क्या करनी थी, राणा गुरजीत ने खुद अपने रसोइए के नाम पर रेत की खड्ड अलॉट करवा ली। हालांकि बाद में वह इसकी सफाई देते रहे कि यह खड्ड उनके एक मित्र ने ली है, उनका इससे कोई लेना देना नहीं है, लेकिन शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी को तो जैसे मौका मिल गया। उन्होंने सदन में राणा गुरजीत को लेकर सरकार की खूब खिंचाई की। आखिर मुख्यमंत्री को इसकी जांच करवाने का आश्वासन देना पड़ा।

अभी यह मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि राणा गुरजीत एक बार फिर से सिंचाई घोटाले के मुख्य आरोपी गुरिंदर सिंह से पांच करोड़ रुपयेे अपने खाते में लेने को लेकर फंस गए। एक बार फिर से सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला। यह मामला इस बार प्रांत तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि इससे कांग्रेस हाईकमान भी खासी नाराज थी।

मुख्यमंत्री को इस केस की जांच के आदेश करने पड़े। हालांकि उनके द्वारा गठित जांच आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दी, लेकिन राणा गुरजीत की कुर्सी जाती रही। क्लीन चिट मिलने के बावजूद कांग्रेस हाईकमान उन्हें फिर से मंत्री बनाने का फैसला नहीं कर पाई। पिछले साल जुलाई में जब नवजोत सिंह सिद्धू ने कैबिनेट मंत्री पद छोड़ दिया था, तो एक बार फिर से राणा गुरजीत को मंत्री बनने की उम्मीद जागी, लेकिन बात नहीं बनी।

भारत भूषण आशू के मामले में भी घिरी सरकार

2019 के बजट सेशन के दौरान खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशू ग्रैंड मैनर होम्स मामले में घिर गए। लुधियाना ग्रैंड मैनर होम्स मामले को दैनिक जागरण ने उजागर किया था। सदन में आम आदमी पार्टी की नेत्री सरबजीत कौर माणूके ने उठाया। हालांकि तब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि मंत्री हो या संतरी वह मामले में किसी को नहीं छोड़ेंगे।

ग्रैंड मैनर होम्स प्रोजेक्ट की जांच के बाद सामने आई गड़बड़ियों को लेकर विपक्ष ने कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ मोर्चा खोला । सदन में भारत भूषण आशू ने इस पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि वह जांच के लिए तैयार हैं और इसकी जांच हाउस कमेटी से करवा ली जाए, लेकिन विपक्ष ने उनके बहाने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि इस मामले में राणा गुरजीत की तरह उनकी कुर्सी नहीं गई।

अब ताजा मामला समाजिक न्याय एवं अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री साधू सिंह धर्मसोत से जुड़ा हुआ है। उनके अपने विभाग एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कृपा शंकर सरोज ने पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप की 61 करोड़ से ज्यादा राशि के खुर्द बुर्द करने का मामला उजागर करते हुए चीफ सेक्रेटरी विनी महाजन को रिपोर्ट भेजी है।

इससे पहले पूर्व सरकार के दौरान भी इस तरह के घोटाले सामने आते रहे हैं और सत्ता में आते ही वित्त विभाग ने इसका ऑडिट करवाकर कॉलेजों पर रिकवरी डाली, लेकिन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत ने रिकवरी को दरकिनार करके उन्हीं कॉलेजों को करोड़ों रुपये जारी करवा दिए। इसके लिए न तो विभाग के डायरेक्टर और न ही विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को विश्वास में लिया गया।

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