चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी में अभी बोर्ड ऑफ गवर्नेंस लागू नहीं हुआ है। हालांकि बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के लागू होने के बाद पीयू का सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कैंपस में मौजूद कई विशेषज्ञ बोर्ड ऑफ गवर्नेंस लागू होने की वकालत कर चुके हैं। उनका कहना है कि सीनेट और सिंडिकेट से पीयू को न तो कोई आर्थिक फायदा हो रहा और न ही कुछ ओर। अगर बोर्ड ऑफ गवर्नेंस कैंपस में लागू होता है तो इसका पीयू को फायदा होगा। हालांकि अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। कैंपस में बोर्ड ऑफ गवर्नेंस रहेगा या फिर सीनेट में फेरबदल होगा, आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा।
पंजाब सरकार से मिलते हैं 26 करोड़ रुपये
पीयू पर सबसे ज्यादा अपना हक पंजाब जताता है। हालांकि पंजाब सरकार की ओर से पीयू को कोई खास राशि नहीं मिलती है। वर्ष में पंजाब सरकार से पीयू को सिर्फ 26 करोड़ रुपये दिए जाते है। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पीयू को 250 करोड़ रुपये बजट के रूप में मिलते हैं।
रिसर्च के लिए मिलेगा अलग से फंड
नाम न प्रकाशित करने पर पीयू फार्मा विभाग की एक सीनियर प्रोफेसर और वैज्ञानिक ने बताया कि उन्हें रिसर्च के लिए केंद्र और राज्य, कहीं से मदद नहीं मिलती है। रिसर्च के लिए एक सीमित बजट मिलता है। उसके अलावा हम लोग अपने स्तर पर राशि की व्यवस्था करते है। अगर पीयू सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनती है तो रिसर्च के लिए केंद्र से अतिरिक्त फंड मिलेगा जिससे शोध करने में आसानी होगी।
देश की अन्य यूनिवर्सिटी को मिलता है फंड
माइक्रो बायोलॉजी विभाग के एक प्रोफेसर और वैज्ञानिक ने कहा कि देश में कई यूनिवर्सिटी हैं, जिन्हें केंद्र से रिसर्च के लिए फंड मिलता है। कई बार हमें पैसों के अभाव में रिसर्च बीच में ही रोकनी पड़ती है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने के बाद काफी फायदा होगा।
अगर पीयू बनती है सेंट्रल यूनिवर्सिटी तो ही होगा फायदा
हिंदी विभाग अध्यक्ष डॉ. गुरमीत ने बताया कि बोर्ड ऑफ गवर्नेंस लागू होने से अगर पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलता है तो ठीक है। अगर उसके बावजूद यहां अभी जैसा माहौल रहेगा तो फिर सीनेट कैंपस में ठीक है। पीयू का सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनना जरूरी है, इससे केंद्र से अधिक मदद मिलेगी।