चंडीगढ़/पटियाला। कृषि सुधार कानूनों विरोध में किसानों के संघर्ष के बीच पंजाब में मालगाडि़यों का संचालन बंद है। राज्य में मालगाडि़यों के नहीं चलने का असर पड़ना शुरू हो गया है। इसका सीधा असर राज्श् के थर्मल पावर प्लांटों पर पड़ा है और उनको काेयले की आपूर्ति बंद हो गई है। इसके कारण राज्य के सभी थर्मल पावर प्लांटों में बिजली उत्पादन भी ठप हो गया है। इसका पूरे राज्य में बिजली आपूूर्ति पर असर पड़ना तय है।
मालगाडि़यां बंद होने से निजी व सार्वजनिक थर्मल प्लांटों में नहीं पहुंच रहा कोयला
राज्य में पिछले काफी समय से ट्रेनों का परिचालन बंद था। केंद्र के कृषि कानूनों के कारण करीब 28 दिनों तक किसानों के रेल ट्रैकों पर धरना देने के कारण ट्रेनों का परिचालन बंद रहा। बाद में किसान मालगाडि़यो को चलाने की शर्त पर रेल ट्रैकों से हट गए। इसके बाद मालगाडियों का परिचालन शुरू हो गया, लेकिन 24 अक्टूबर को कुछ जगहों पर किसानों ने फिर मालगाडियों का आवागमन रोक दिया। इसके बाद रेलवे ने पंजाब में मालगाडि़यों का परिचालन बंद कर दिया।
पनबिजली परियोजनाओं से राज्य में बिजली की मांग पूरी करने कोशिश
रूपनगर, बठिंडा के लहरा मोहब्बत, मानसा के तलवंडी साबो, पटियाला के राजपुरा और तरनतारन के गोइंदवाल साहिब थर्मल पावर प्लांट के सभी यूनिट बंद कर दिए गए हैं। कोयला नहीं पहुंचने से बिजली संकट पैदा हुआ है। इस वक्त राज्य में 5456 मेगावाट बिजली की मांग है। इस मांग को पूरा करने के लिए पावरकाम मुख्य रूप से पनबिजली परियोजनाओं पर निर्भर हो गया है।
पावरकाम सेंट्रल कंट्रोल रूम के अनुसार मानसा के तलवंडी साबो थर्मल पावर प्लांट में मात्र एक तिहाई दिन के लिए 10,552 मीट्रिक टन कोयला बचा है। राजपुरा प्लांट में आधे दिन के लिए 10 हजार मीट्रिक टन कोयला ही मौजूद है। गोइंदवाल साहिब प्लांट में 18,294 मीट्रिक टन कोयला बचा है। कोयले की कमी को देखते हुए तीनों प्लांटों ने सभी यूनिट बंद कर दिए हैं। बठिंडा के लहरा मोहब्बत और रूपनगर के प्लांट में पहले से ही उत्पादन बंद है। पावरकाम ने 700 मेगावाट बिजली खरीदने के लिए टेंडर भी आमंत्रित किए हैं।