पटियाला/चंडीगढ़। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के रेल रोको अभियान का पंजाब में बिजली उत्पादन पर प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। पंजाब में कोयला न पहुंचने के कारण सरकार की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि निजी और सरकारी थर्मल प्लांट में कोयला खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। नियमों के अनुसार प्रत्येक थर्मल प्लांट में कम से कम 15 दिन का कोयला स्टाक होना चाहिए, परंतु थर्मल प्लांटों में इस समय कोयले की भारी कमी है।
कोयले की कमी से बिजली उत्पादन घटा है और इसका असर प्रदेश के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में दिखने लगा है। लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, पटियाला और मोहाली के विभिन्न हिस्सों में घोषित के साथ साथ अघोषित कट लगाए जा रहे हैैं। हालांंकि पावरकाम के अधिकारियों का कहना है कि कट बिजली सप्लाई लाइनों की मरम्मत के कारण लगाए जा रहे हैैं। प्रदेश में बिजली की आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के लिए पावरकाम 6000 मेगावट बिजली नेशनल ग्रिड से ले रहा है। अगर प्रदेश में बिजली का उत्पादन बंद हुआ तो पावरकाम को पूरी तरह से नेशनल ग्रिड पर निर्भर होना पड़ेगा।
पावरकाम के चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर ए वेणु प्रसाद का कहना है कि जो पावरकट लग रहे हैं, वह बिजली सप्लाई लाइनों की मरम्मत के कार्य के कारण लग रहे हैैं। वर्तमान में राज्य में 8000 मेगावाट बिजली की मांग है। थर्मल प्लांट और हाइड्रो पावर जनरेशन से 2000 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। बाकी की व्यवस्था नेशनल ग्रिड से की जा रही है।
सरकारी थर्मल प्लांटों की सभी यूनिटें बंद
रोपड़ थर्मल प्लांट और लहरा मोहब्बत थर्मल प्लांट की सभी यूनिटें इस समय बंद हैैं। रोपड़ में केवल छह दिन तक बिजली उत्पादन के लिए 85 हजार 618 मीट्रिक टन और लहरा मोहब्बत में केवल सवा चार दिन तक के लिए 59 हजार 143 मीट्रिक टन कोयला स्टाक में है।
निजी थर्मल प्लांट के हालात
निजी क्षेत्र में राजपुरा थर्मल प्लांट में केवल पांच दिन तक बिजली उत्पादन के लिए 87 हजार 834 मीट्रिक टन और तलवंडी साबो में दो दिन के लिए 66 हजार 683 मीट्रिक टन कोयला ही मौजूद है। यहां एक यूनिट बंद की जा चुकी है।
श्री गोइंदवाल साहिब प्लांट में आज बंद हो जाएगा बिजली उत्पादन
कोयले की कमी के कारण श्री गोइंदवाल साहिब में जीवीके कंपनी का थर्मल प्लांट में सोमवार से बिजली उत्पादन बंद होने की संभावना है। 540 मेगावाट क्षमता वाले इस प्लांट की एक यूनिट (270 मेगावाट) पहले ही बंद की जा चुकी है। जबकि 270 मेगावाट की दूसरी यूनिट में केवल 148 मेगावाट बिजली ही तैयार हो पा रही है। सूत्रों के अनुसार कोयले की कमी के कारण दूसरी यूनिट भी सोमवार को काम करना बंद कर देगी। कंपनी के एचआर मैनेजर कमल महता ने कहा कि वह इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकता।
पंजाब में किसान आंदोलन समाप्त कराने काे सकिय हुई केंद्र सरकार, फिर भेजा वार्ता का न्यौता
नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसानों का आंदोलन समाप्त नहीं हाे रहा है। किसान रेल ट्रैकों पर धरना दे रहे हैं और इस कारण पंजाब में रेल सेवा पूरी तरह ठप है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अपील के बाद भी किसान रेल रोको आंदोलन समाप्त नहीं कर रहे हैं। ऐसे में अब किसानों के आंदोलन समाप्त करवाने के लिए केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। केंद्र सरकार ने 29 किसान संगठनों को दोबारा न्यौता दिया है और 14 अक्टूबर को सरकार से बातचीत के लिए बुलाया गया है।
केंद्र सरकार ने फिर दिया न्यौता, 14 अक्टूबर को बुलाया बातचीत के लिए
बातचीत का न्यौता मिलने के बाद किसान संगठन भी नरमी दिखा रहे हैं। कृषि एवं कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने अपने पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार आपसे (किसानों से) बातचीत करना चाहती है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) राजेवाल के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल और भाकियू (डकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि सरकार के पत्र की शब्दावली पहले पत्र के मुकाबले संतोषजनक है। हालाकि केंद्र से बातचीत का फैसला 13 अक्टूबर को होने वाली किसान संगठनों की बैठक में ही होगा कि बातचीत की जाए या न की जाए। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के लिए दोबारा जारी किए गए पत्र में भाकियू (लक्खोवाल) के प्रधान अजमेर सिंह लक्खोवाल का नाम शामिल नहीं है।
केंद्र के पत्र में शब्दावली बदलने से नरम हुए किसान संगठन, 13 अक्टूबर को लेंगे फैसला
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने किसानों को पहले 8 अक्टूबर को बातचीत के लिए बुलाया था। तब जारी हुए पत्र में किसानों को नए कृषि कानूनों के बारे में जानकारी देने की बात लिखी गई थी जिस पर किसान संगठनों ने एतराज जताते हुए बातचीत का प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
उधर, किसान संगठनों के साथ बातचीत के लिए भाजपा की ओर से बनाई गई कमेटी के चेयरमैन व पूर्व मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने कहा कि किसान संगठनों को केंद्र सरकार के साथ बातचीत करके अपनी आपत्तियां बतानी चाहिएं। क्योंकि विरोध प्रदर्शन की बजाए बातचीत से ही मामले का हल निकलेगा।
भाजपा के आठ केंद्रीय मंत्री भी करेंगे किसानों से संपर्क
भाजपा ने नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों की शंकाएं दूर करने के लिए आठ केंद्रीय मंत्रियों को फील्ड में उतारने का फैसला किया है। इनमें हरदीप पुरी, कैलाश चौधरी, स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, डा. संजीव कुमार बलिया, सोम प्रकाश, गजेंद्र सिंह शेखावत और डा. जतिंदर सिंह के नाम शामिल हैैं। वे किसानों के साथ वर्चुअल बैठकें करेंगे जिसकी शुरुआत अमृतसर से 13 अक्टूबर को होगी।
पंजाब सरकार ने बनाई तीन मंत्रियों की कमेटी
पंजाब सरकार भी चाहती है कि कोयले की कमी के कारण पैदा होने वाले बिजली संकट को दूर करने के लिए रेल ट्रैक पर डटे किसान मालगाडिय़ों के संचालन के लिए अपना आंदोलन खत्म करें। इसके लिए किसानों से संवाद करने की कोशिशें भी जारी हैैं। इसके लिए कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया की कमेटी का गठन किया है।
गहराने लगा बिजली संकट
पंजाब में किसानों के रेल रोको आंदोलन के बिजली संकट गहराने लगा है। कोयले की सप्लाई बाधित होने से थर्मल प्लाटों में कोयला खत्म होने की कगार पर है। कोयले की कमी से श्री गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट की एक यूनिट पहले ही बंद हो चुकी है और दूसरी यूनिट सोमवार को बंद होने संभावना है।पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने जताई स्थिति पर चिंताउधर, पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने किसान आंदोलन से गंभीर हो रही स्थित पर चिंता जताई है। रविवार को यहां दौर पर आए मनप्रीत ने कहा कि लद्दाख में सैनिकों के पास राशन, पेट्रोल व डीजल आदि खत्म हो गया है। 30 अक्टूबर से वहां बर्फ गिरनी शुरू हो जाएगी। जिसके बाद छह महीने तक वहां पर कुछ भी पहुंचाया नहीं जा सकेगा। वहीं, पंजाब में अगर थर्मल प्लांटों को कोयला न मिला तो बिजली संकट गहरा जाएगा।