चंडीगढ़। Punjab scholarship scam पर सियासत गरमाने के साथ ही इसकी जांच तेज हो गई है। 63.91 करोड़ रुपये के इस घोटाले को लेकर सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी(ACS) कृपाशंकर सरोज की जांच रिपोर्ट की भी पड़ताल की जा रही है। मुख्य सचिव विनी महाजन को दी गई जांच रिपोर्ट की पड़ताल तीन आइएएस अधिकारियों का पैनल करेगा। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा एसीएस की रिपोर्ट की जांच चीफ सेक्रेटरी को 29 अगस्त को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में घोटाले के लिए विभाग के मंत्री साधू सिंह धर्मसोत को भी दोषी ठहराया गया है।
चीफ सेक्रेटरी ने जांच रिपोर्ट की पड़ताल करने के लिए प्रधान सचिव (वित्त) केएपी सिन्हा, प्रप्रिंसिपल सेक्रेटरी (प्लानिंग) जसपाल सिंह और सचिव (विजिलेंस) विवेक प्रताप सिंह की टीम बनाई है। यह टीम तीन दिन में अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को देगी। अहम पहलू यह है कि तीनों ही अधिकारी कृपा शंकर सरोज से जूनियर हैं। सरोज 1989 बैच के आईएएस अधिकारी है। केएपी सिन्हा और जसपाल सिंह 1992 बैच और विवेक प्रताप 1996 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। जांच कमेटी कृपा शंकर सरोज द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता की जांच करके अपनी रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी को सौंपेंगे।
मंत्री के पक्ष में उतरी सरकार
सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्य विभाग के मंत्री साधू सिंह धर्मसोत के पक्ष में अब पंजाब सरकार उतर आई है। घोटाले का खुलासा 27 अगस्त को हुआ था। 28 अगस्त को विधान सभा के मानसून सत्र में कोई भी मंत्री या विधायक धर्मसोत के समर्थन में नहीं आया। मंत्री खुद ही अपना बचाव करते रहे। 2 सितंबर को इस मामले में नया घटना क्रम तब जुड़ा जब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी व उनके राजनीतिक सलाहकार साधू सिंह धर्मसोत के समर्थन में आए। मंत्री ने जहां जांच रिपोर्ट में जिक्र किए गए 39 करोड़ रुपये के पाइ-पाइ का हिसाब होने के दावा किया। वहीं, कैप्टन संदीप संधू ने भी एसीएस की जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए।
तो क्या राजनीति से प्रेरित हो सकती है जांच रिपोर्ट
घोटाले को लेकर अकाली दल, आम आदमी पार्टी समेत कांग्रेस के ही दो राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो जांच मुख्य सचिव को दिए जाने पर सवाल खड़े करते रहे हैं। इन राजनीतिक दलों का तर्क रहा है कि मुख्य सचिव का पद राजनीति से प्रभावित है। चीफ सेक्रेटरी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी वरिष्ठता में एक समान ही है। ऐसे में चीफ सेक्रेटरी कैसे जांच कर सकती हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार के मंत्री के समर्थन में आने के बाद से सवाल खड़े होने लगे है कि क्या जांच रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित हो सकती है।
राहुल गांधी के कड़े रुख के कारण राणा गुरजीत को देना पड़ा था इस्तीफा
रेत खनन के ठेके लेने के मामले में ऊर्जा मंत्री राणा गुरजीत सिंह का नाम आने पर उन्हें जनवरी 2018 में इस्तीफा देना पड़ा था। भ्रष्टाचार के मामले में राणा का नाम आने पर तत्कालीन कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि कांग्रेस भ्रष्टाचार का बोझ नहीं उठाएगी। इसलिए राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था।