पंजाब में खेती बिल को लेकर विपक्ष का अमरिंदर पर हमला, कहा- कृषि कानूनों पर कैप्टन व मोदी का ‘फिक्स गेम’ सुखबीर बादल ने कहा- कैप्टन ने धोखा किया, किसानों को सुरक्षा देने में रहे नाकाम

पंजाब में केंद्र के कृषि कानूनों और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार द्वारा राज्‍य विधानसभा में कृषि विधेयकों पर राजनीति तेज हो गई है। शिअद के प्रधान सुखबीर सिह बादल और पंजाब आप के अध्‍यक्ष भगवंत मान ने सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधा है।

चंडीगढ़। पंजाब में केंद्र सरकार के कृषि कानूनों और राज्‍य सरकार द्वारा पारित कराए गए कृषि विधेयकों पर राजनीति तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह पर जमकर हमले कर रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और आम आदमी पार्टी के पंजाब अध्‍यक्ष भगवंत मान ने कैप्‍टन अमरिंदर पर किसानों के हितों की अनदेखी करने व गुमराह करने का आरोप लगाया है। सुखबीर ने कहा कि अमरिंदर का पीएम नरेंद्र मोदी से फिक्‍स गेम है।

सुखबीर सिंह बादल ने कहा- कैप्टन ने धोखा किया, किसानों को सुरक्षा देने में रहे नाकाम

सुखबीर बादल ने कहा कि पंजाब सरकार ने विधानसभा ने जो बिल पास करवाए हैं उससे किसानों को कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी। किसानों को सुरक्षा केवल तब ही मिल सकती थी जब पंजाब को एक मंडी बना दिया जाता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के लोगों को धोखा दिया है। कैप्टन 2004 में पंजाब टर्मिनेशन आफ एग्रीमेंट एक्ट लाए थे, जिसका पंजाब को कोई फायदा नहीं हुआ।

सुखबीर ने कहा कि कैप्टन ने मोदी के साथ मिलकर फिक्स मैच खेला है और कैप्टन ने ठीक वैसा ही किया जैसा केंद्र की मोदी सरकार चाहती थी। विधानसभा में पारित बिलों में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि पंजाब में एमएसपी पर फसलों की खरीद होगी। केवल इतना ही कहा गया है कि धान और गेहूं की एमएसपी पर खरीद की जाएगी। यह तो पहले ही एमएसपी पर खरीदी जा रही हैैं।

सुखबीर बोले- शिअद की सरकार बनी तो पहली कैबिनेट में रद कर दूंगा कैप्टन के विधेयक

सुखबीर बादल ने दावा किया कि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की सरकार आने पर पहली ही कैबिनेट में कैप्टन के बिलों को रद कर दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाए कि विधेयकों को लेकर कांग्रेस ने गोपनीयता बनाए रखी। यहां तक कि कैप्टन ने विधेयकों को लेकर कैबिनेट मंत्रियों को भी विश्वास में नहीं लिया। सदन में ही कैप्टन ने स्वीकार कर लिया कि यह कागज है। क्योंकि उन्हें भी पता है कि इसे न तो केंद्र सरकार स्वीकार करेगी और न ही राष्ट्रपति। जब बिलों को मंजूरी ही नहीं मिलेगी तो केंद्र का ही कानून लागू होगा और बात वहीं खत्म हो जाएगी जहां से जहां से शुरू हुई थी।

विधेयकों का समर्थन करने पर सुखबीर ने कहा कि सदन में 10 बजकर पांच मिनट पर बिल पेश किया गया। जिसे पढऩे और कानूनी पहलुओं को समझने का कोई मौका नहीं मिला। क्योंकि हमने पहले ही कह दिया था कि किसानों की सुरक्षा के लिए सरकार जो बिल लाएगी उसका समर्थन किया जाएगा। शिरोमणि अकाली दल अपने वादे पर खरा उतरा। परंतु कैप्टन ने किसानों और पंजाब के लोगों को धोखे में रखा।

सुखबीर ने कहा कि किसानों की सुरक्षा राज्य को एक मंडी बनाने से ही हो सकती थी, क्योंकि ऐसा करने से निजी मंडियों के लिए राज्य में जगह ही नहीं बचती। क्योंकि कैप्टन सरकार ने खुद ही 2017 में निजी मंडियों और ई ट्रेङ्क्षडग को छूट दे दे थी इसलिए सरकार ने राज्य को एक मंडी बनाने का कानून नहीं बनाया।

कृषि बिलों के नाम पर किसानों को धोखा दे रही कैप्टन सरकार : मान

दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी (आप) के पंजाब प्रधान व सांसद भगवंत मान ने भी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर आरोप लगाया है कि वह कृषि बिलों के नाम पर किसानों और मजदूरों की भावनाओं से खेल रहे हैं। मान ने कहा कि पंजाब विधानसभा में पास कानूनों में अगर दम होता तो पंजाब सरकार इन विधेयकों में नरमा, कपास समेत अन्य एमएसपी वाली फसलों को भी शामिल करती।

मान ने आगे कहा कि एक तरफ कैप्टन अमरिंदर सिंह संसद में पारित कानूनों को लेकर विधानसभा में विधेयक लाकर नाटक कर रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ पंजाब की मंडियों में नरमे और मक्की की फसल घोषित एमएसपी क्रमश: 5745 रुपये और 1870 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत से लगभग एक हजार रुपये कम कीमत पर बिक रही है। कैप्टन इसे अनदेखा कर रहे हैैं।

मान ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि वह पंजाब के लोगों व किसानों को हां या ना में बताएं कि क्या विधानसभा में केंद्रीय कानूनों में संशोधन किया जा  सकता है? क्या इन कानूनों पर राज्यपाल और राष्ट्रपति हस्ताक्षर करेंगे? क्या यह कानून पंजाब के किसान के गेहूं और धान की फसल को एमएसपी पर निश्चित रूप से खरीदे जाने की गारंटी देते हैैं?

उन्होंने कहा कि सच यह है कि जब तक पंजाब सरकार अपने दम पर प्रदेश में एमएसपी पर सभी फसलों की सरकारी खरीद की गारंटी वाला अपना कानून नहीं लाती तब तक किसानों को मोदी सरकार की तरह कैप्टन सरकार से भी इंसाफ नहीं मिल सकता। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने चालाकी के साथ नरमा, कपास, मक्की, सूरजमुखी और गन्ना आदि फसलों को अपने तथाकथित बिलों में शामिल नहीं किया।

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