चंडीगढ़। लॉकडाउन के कारण बंद स्कूलों के संचालकों की ओर से ऑनलाइन एजुकेशन से संबंधित एक याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है। याचिका में याचिकाकर्ता पुनीत बंसल ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण बच्चों की शारीरिक गतिविधियां पहले ही कम हो गई हैं और वे टीवी देखकर समय बिता रहे हैं। ऐसे में तीन से चार घंटे तक ऑनलाइन कक्षाएं लगाने से उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ेगा।
याचिकाकर्ता ने कहा कि ऑनलाइन कक्षाएं लगाने से पहले विशेषज्ञों की राय लेनी जरूरी है इसके बाद उम्र के हिसाब से ऑनलाइन कक्षाओं का शेड्यूल तैयार किया जाना चाहिए। मेडिकल एक्सपर्ट कह चुके हैं कि स्क्रीन पर ज्यादा देखने से बच्चों में स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यहां तक कि इससे मायोपिया जैसा रोग हो सकता है, इसलिए ऐसी कक्षाओं से पहले विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए। इस एक्सपर्ट पैनल में ओप्थोमोलॉजिस्ट (आंखों के डॉक्टर ) बाल मनो चिकित्सक, बाल चिकित्सक और शिक्षाविदों के अलावा चाइल्ड वेल्फेयर के विशेषज्ञों के अलावा अभिभावकों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि स्कूल ऑनलाइन कक्षाओं के बहाने अभिभावकों से ज्यादा फीस वसूल रहे हैं। इस याचिका पर अदालत ने पहले पंजाब सरकार, शिक्षा बोर्ड, निजी स्कूल संचालकों व अन्य संबंधित विभागों को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई को 24 जुलाई तक स्थगित कर दिया।
फीस मामले में हाई कोर्ट ने कहा, अभिभावक अपनी आपत्ति बताएं
वहीं, प्राइवेट स्कूलों की फीस के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर अपील पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने अपीलकर्ता अभिभावकों से पूछा है कि वे सिंगल बेंच के आदेशों के उन बिंदुओं को स्पष्ट करें जिन पर उन्हें आपत्ति है। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के आदेशों के खिलाफ अभिभावकों व पंजाब सरकार की अपील पर संक्षिप्त सुनवाई में अभिभावकों की पैरवी करने वाले एडवोकेट चरणपाल सिंह बागड़ी व आरएस बैंस से सिंगल बेंच के आदेशों पर आपत्तियां स्पष्ट करने के निर्देश दिए। इस मामले में बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूलों ने प्रतिवादी बनने की अर्जी के चलते हाई कोर्ट ने सुनवाई को 15 जुलाई तक स्थगित कर दिया। गौरतलब है कि सिंगल बेंच ने अपने फैसले में पंजाब के निजी स्कूलों को पूरी ट्यूशन फीस के अलावा एडमिशन फीस लेने की भी छूट दे दी थी।