नवजोत सिद्धू एक बार फिर अमरिंदर के नेतृत्व में जमाएंगे पंजाब में नई सियासी पारी, कल होगा तय

नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह एक बार फिर लंच पर मिलेंगे। यह लगभग तय हो गया है कि सिद्धू की कैप्‍टन अम‍रिंदर सिंह के कैबिनेट में फिर वापसी हो सकती है। या‍नि गुरु सिद्धू अमरिंदर के नेतृत्‍व में नई सियासी पारी जमाएंगे।

चंडीगढ़। कांग्रेस के स्टार प्रचारक व पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करने जा रहे है। मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर ने सिद्धू को 17 मार्च को लंच पर न्योता दिया है। बताया जाता हैसिद्धू की पंजाब कैबिनेट में एंट्री की लगभग तय हो गई है और सारी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं। बस पेंच विभाग पर फंसा हुअ है। मामला इस पर रुका है कि सिद्धू को पुनः स्थानीय निकाय विभाग दिया जाएगा या वह किसी दूसरे विभाग के लिए भी मान सकते है। माना जा रहा है कि कैप्टन इस दौरान सिद्धू के सामने इमोशनल कार्ड भी खेल सकते है। ताकि पूर्व मंत्री स्थानीय निकाय विभाग को ही लेने की अपनी जिद छोड़ दे।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साढ़े तीन माह बाद सिद्धू के साथ एक बार लंच पर बुलाया

सिद्धू की कैप्‍टन की कैबिनेट में री-एंट्री की औपचारिकता 9 मार्च को ही पूरी हो गई थी, जब कांग्रेस के महासचिव व पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से मुलाकात की। रावत ऐसे समय में कैप्टन से मिलने के लिए चंडीगढ़ पहुंचे हुए थे जब उनके अपने राज्य उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कैप्टन से मुलाकात के अगले ही दिन 10 मार्च को रावत ने सिद्धू से मुलाकात की। रावत ने उसी दिन यह संकेत दे दिए थे कि पंजाब कैबिनेट में जल्द ही सिद्धू की एंट्री होने जा रही है।

फील्डिंग सैट करने के बाद ही बनाया सिद्धू को स्टार प्रचारक

पंजाब कैबिनेट में फील्डिंग सैट करने के बाद ही कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू को पश्चिम बंगाल में स्टार प्रचारक बनाया। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता ही स्टार प्रचारक को लेकर थी। क्योंकि, अगर सिद्धू को स्टार प्रचारक की लिस्ट में शामिल कर लिया और वह प्रचार के लिए नहीं गए तो कांग्रेस की खासी किरकिरी होनी थी। यही कारण था कि पार्टी हाईकमान चाहता था कि सिद्धू को स्टार प्रचारक की लिस्ट में शामिल करने से पहले सारी तस्वीर स्पष्ट हो जाए।

सिद्धू लगातार पंजाब कैबिनेट में वापसी और वह भी पुराने वाले विभाग के साथ या प्रदेश कांग्रेस का प्रधान बनने की मांग कर रहे थे। कैप्टन अमरिंदर इस मामले में सिद्धू को कैबिनेट में तो लेने के लिए पहले से तैयार थे लेकिन प्रदेश प्रधान की कमान उनको देने के पक्ष में नहीं थे। इसका मुख्य कारण यह भी है कि न तो सिद्धू के पास संगठन को चलाने का अनुभव है और 2022 के चुनाव को देखते हुए कांग्रेस यह रिस्क उठाने की स्थिति में भी नहीं है। यही कारण है कि 9 मार्च को मुख्यमंत्री से रावत की मुलाकात के उपरांत ही 12 मार्च को कांग्रेस ने सिद्धू को स्टार प्रचारक की लिस्ट में शामिल कर लिया।

सिद्धू की जिद्द तुड़वाना होगी कैप्टन के लिए चुनौती

बुधवार को जब कैप्टन सिद्धू के साथ लंच करेंगे तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती पूर्व मंत्री की जिद तुड़वाने को लेकर होगी, क्योंकि वर्तमान में स्थानीय निकाय विभाग की कमान ब्रह्म मोहिंद्रा के पास है। ब्रह्म मोहिंद्रा न सिर्फ कैबिनेट में सबसे अनुभवी बल्कि पार्टी में सबसे वरिष्ठ विधायक भी है। 74 वर्षीय ब्रह्म मोहिंद्रा छह बार के विधायक भी है। अगर सिद्धू स्थानीय निकाय विभाग की ही जिद पर अड़े रहे तो मोहिंद्रा का विभाग बदलना होगा। मुख्यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर ऐसे मे सिद्धू के सामने इमोशनल कार्ड भी खेल सकते है ताकि वह किसी अन्‍य विभाग पर राजी हाे जाएं।

बता दें कि लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मनमुटाव होने के कारण सिद्धू ने 10 जून 2019 को अपना इस्तीफा राहुल गांधी को सौंप दिया था। इस इस्तीफे की जानकारी सिद्धू ने 14 जुलाई 2019 को ट्विटर एकाउंट पर डालकर शेयर की थी। 15 जुलाई को सिद्धू ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा भिजवाया। उसे मुख्यमंत्री ने उसी दिन स्वीकार कर लिया था। तब से सिद्धू लंबे समय तक कांग्रेस व सरकार से दूरी बना कर चल रहे थे।

अक्टूबर 2020 में जब राहुल गांधी ने मोगा में ट्रैक्टर रैली की शुरूआत की तब लंबे समय बाद सिद्धू कांग्रेस के मंच पर नजर आए थे। तब से ही सिद्धू को कैबिनेट में एडजस्ट करने की कवायद चल रही थी। 25 नवंबर 2020 को कैप्टन ने सिद्धू को बुलाकर लंच करवाया। जिसके बाद दोनों नेताओं के रिश्ते में कुछ गरमाहट पैदा हुई थी।

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