चंडीगढ़। नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे पंजाब के 29 किसान संगठनों की वार्ता केंद्र से विफल होने के बाद आज वीरवार को किसान नेताओं ने चंडीगढ़ किसान भवन में बैठक की। इस दौरान दौरान किसान नेताओं ने रेल रोको आंदोलन जारी रखने का फैसला किया। साथ ही कहा कि अब केंद्र से वार्ता नहीं होगी, बल्कि दिल्ली घेराव किया जाएगा।
आज किसान नेताओं से पंजाब के मंत्रियों ने आज एक बार फिर से बातचीत की। इसके बाद किसानों ने अब कांग्रेसी नेताओं का घेराव करने का फैसला टाल दिया है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा के नेताओं का घेराव जारी रहेगा। मीटिंग के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, रूलदू सिंह मानसा और कुलवंत सिंह ने कहा कि अब दिल्ली से बात नहीं होगी, बल्कि दिल्ली का घेराव किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जल्द ही देश के सभी किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें 26 और 27 नवंबर को दिल्ली को घेरने का फैसला किया जाएगा।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि आज पंजाब के मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया और सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ भी मीटिंग हुई है, जिसमें उन्होंने बताया कि खेती कानूनों के खिलाफ पंजाब विधानसभा का विशेष सेशन बुला लिया गया है। किसान नेताओं ने इसे अपनी जीत बताते हुए कहा कि अब कांग्रेसी नेताओं का घेराव नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर विधानसभा में इन खेती कानूनों के खिलाफ कोई बिल पास होता है और राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर उस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो उनका घेराव किया जाएगा। उन्होंने यह भी मांग की कि पंजाब की तरह दिल्ली विधानसभा में इन कानूनों के खिलाफ आम आदमी पार्टी की सरकार बिल पारित करे। बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि खेती बिलों के खिलाफ किसानों की एकजुटता ने कई समीकरण बदले हैँ, जहां हरसिमरत बादल को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा है, वहीं अकाली दल को भी एनडीए से बाहर आना पड़ा है। संयुक्त संघर्ष तालमेल कमेटी के संयोजक डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि पंजाब की यह मूवमेंट पूरे देश में फैल रही है।
बता दें, गत दिवस केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल के साथ पंजाब के किसान संगठनों की बैठक बेनतीजा रही थी। करीब एक घंटे तक चर्चा भी हुई, लेकिन किसान नेताओं ने बैठक बीच में ही छोड़ दी। किसान नेताओं का कहना था कि सचिव संजय अग्रवाल किसी भी मुद्दे पर कोई माकूल जवाब नहीं दे रहे थे। बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर या कृषि राज्यमंत्री भी मौजूद नहीं थे।
कृषि सचिव का कहना था कि प्रोटोकाल के अनुसार पहले उनके (सचिव) के साथ बैठक होगी और बाद में मंत्री के साथ बैठक संभव है। जिस पर नाराज हुए किसान नेता बैठक बीच में छोड़कर बाहर आ गए और नए कानून की प्रति फाड़कर विरोध जताया। उधर, कृषि मंत्रालय की ओर से बताया गया कि किसान संगठनों के साथ कृषि सचिव संजय अग्रवाल के साथ ही बैठक होनी तय हुई थी।
कृषि मुद्दे पर किसानों से चर्चा के लिए सरकार हर समय तैयार: जावडेकर
कृषि मंत्री तोमर के बैठक में उपस्थित न होने के सवाल पर सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि कृषि के मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार किसानों से बातचीत के लिए हर समय तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री तोमर कुछ दिन पहले ही किसान संगठनों के एक बड़े समूह के साथ इन कानूनों को लेकर बैठक कर चुके हैैं। कृषि मंत्री तोमर बुधवार को एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में व्यस्त थे।
कैप्टन का ट्वीट
किसानों के साथ केंद्र सरकार के दुव्र्यवहार से हैरान हूं। सरकार ने ब्यूरोक्रेट्स को मीटिंग के लिए भेजकर उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। क्या हमारे किसान इतना भी हक नहीं रखते कि कृषि मंत्री उनसे व्यक्तिगत तौर पर मिलें। एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि वह किसानों को कृषि कानूनों के फायदे समझाएगी। दूसरी तरफ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। इससे सरकार का दोहरा चरित्र सामने आ गया है।
-कैप्टन अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री पंजाब
नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ विस का विशेष सत्र 19 को
नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ पंजाब सरकार ने 19 अक्टूबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएगी। यह फैसला बुधवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। विपक्ष और किसान संगठनों की ओर से विशेष सत्र बुलाने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था। हालांकि कैप्टन ने पहले ही कह दिया था कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य के कानूनों में जरूरी संशोधन करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा, जिससे केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए कानूनों के प्रभाव को नकारा जा सके। बता दें कि 28 सितंबर को विधानसभा के एक दिवसीय सत्र के दौरान उस समय इन कानूनों को लेकर लाए गए विधेयकों को रद करने के लिए सदन में बहुमत के साथ प्रस्ताव पारित किया गया था।