चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी का 24 साल पुराने गठबंधन के टूटने का पंजाब की सियासत पर व्यापक असर पड़ेगा। इसका असर गांव से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर असर पड़ना लाजिमी है। पंजाब में सक्रिय सभी राजनीतिक दलों के पर भी इसका प्रभाव पड़ना लगभग तय माना जा रहा है। पड़ोसी राज्यों में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। राजनीतिक गलियारों में एक सवाल उठ रहा है कि क्या गठबंधन टूटने का असर 2022 के विधानसभा पर भी पड़ेगा।
राष्ट्रीय की बजाए अब प्रांतीय मुद्दों पर होगा अकाली दल को फोकस
1998 में जब राजग के गठन में अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अहम भूमिका रही। उन्होंने इनेलो नेता ओम प्रकाश चौटाला, चंद्रबाबू नायडू और नितीश कुमार को एक मंच पर लाने के लिए अहम भूमिका निभाई। अब गठबंधन टूटने का असर प्रांतीय स्तर राजनीति पर पर पड़ेगा। क्योंकि अकाली दल की कमान अब सुखबीर बादल के हाथ में है और उन्होंने राजग से नाता तोड़ लिया है।
भाजपा गांवों में पैर जमाने के लिए आगे बढऩे की तैयारी में
पार्टी सूत्रों के अनुसार अकाली दल दो पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा फोकस कर रहा था अब उसका ध्यान क्षेत्रीय मुद्दों ज्यादा होगा। इसी रणनीति के तहत अकाली दल आगे बढ़ेगा। कृषि विधेयकों को लेकर पार्टी ने जिस प्रकार आक्रामक भूमिका अपना रखी है वह उसके बिखरे हुए वोट बैंक को समेटने में काम कर सकती है।
गांव स्तर पर पार्टी का काडर भाजपा से नाता तोडऩे को लेकर खुश है। अब वह खुलकर भाजपा की केंद्रीय नीतियों की आलोचना कर सकता है जो कि पहले वह नहीं कर पा रहा था। सुखबीर बादल के खुद के बयान जिस तरह से तीखे होते जा रहे हैं उसे देखकर पार्टी काडर की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
आप के हाथ से फिसल सकता है दूसरे दलों से नाराज होकर आया काडर
वहीं, दूसरी तरफ गठबंधन टूटने को भाजपा काडर एक संभावना के रूप में देख रहा है। क्योंकि, दो दशक पूर्व केंद्र में भाजपा की जो स्थिति थी उसे देखते हुए कोई दल भाजपा के साथ जुडऩा नहीं चाहता था परंतु अब स्थितियां बदल गई हैैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है। केंद्र में भाजपा के पास इतना बहुमत है कि उसे किसी भी सहयोगी दल की जरूरत नहीं है।
आप के हाथ से फिसल जाएंगे दूसरे दलों के नाराज नेता
गठबंधन टूटने का असर आम आदमी पार्टी पर भी होना लाजमी है। पार्टी दूसरी पार्टियों के नाराज काडर के कारण अपने पांव लगातार पंजाब में फैला रही है। पंजाबी शुरू से ही ऐसे केंद्र सरकार से टकराने वाली पार्टियों के साथ रहे हैैं। अब जब अकाली दल इस कमान को फिर से संभाल रहा है और लगाता फैडरल ढांचे के मुद्दे खड़े कर रहा है तो निश्चित तौर पर उसका खिसका हुआ वोट बैंक जो आम आदमी पार्टी या दूसरे दलों में चला गया था वापिस आ सकता है। दरअसल, आम आदमी पार्टी भी इतने सालों से अपने आप से ज्यादा लड़ती नजर आ रही है। पार्टी विधायकों का एक बड़ा गुट अलग हो गया है। उनके पास भी अब अकाली दल में जाने के रास्ते खुल गए हैं।
भाजपा से फिर गठबंधन की संभावनाओं पर बोले सुखबीर बादल, हमारा कोई बैक गियर नहीं
केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों के खिलाफ शिअद ने पूरी तरह से मोर्चा खोल दिया है। भाजपा गठबंधन से अलग होने के बाद सोमवार को पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल गुरदासपुर पहुंचे। उन्होंने कहा कि वह किसानों के लिए संघर्ष करेंगे। भाजपा से पुनः गठबंधन की संभावनाओं पर सुखबीर ने कहा, ”हमारा कोई बैक गियर नहीं है।” यानी अब गठबंधन की कोई संभावना नहीं है।
सुखबीर ने कहा कि कृषि विधेयकों को पारित कर केंद्र सरकार ने किसानों से धक्केशाही की है। किसानों व दलों से इस संबंध में कोई मशविरा नहीं किया गया। शिअद प्रधान ने भाजपा गठबंधन से अलग हुए दलों शिव सेना, तृणमूल कांग्रेस को एक मंच पर आने की सलाह दी। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को किसानों के मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
इससे पूर्व, गत दिवस भी सुखबीर ने कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ विपक्ष को एक मंच पर आना होगा, क्योंकि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर इन विधेयकों का विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि देश के किसानों को बचाने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी चाहिए। उन्होंने शिव सेना और तृणमूल कांग्रेस को एक मंच पर आने का आह्वान भी किया।
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ नाता तोड़ने का एलान कर चुके सुखबीर सिंह बादल ने गत दिवस रोपड़, होशियारपुर और फगवाड़ा में कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान कहा कि अकाली दल राजग का सबसे पुराना सहयोगी था, परंतु राजग में हमारी बात नहीं सुनी गई। उन्होंने कहा कि किसानों की आíथक दुर्दशा पूरी तरह से अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।
सुखबीर ने कहा कि कृषि विधेयकों की तरह वह सबकुछ जो किसानों में संदेह या अनिश्चितता का माहौल पैदा करता है, उसके खिलाफ अकाली दल की लड़ाई जारी रहेगी। बादल ने सभी विपक्षी राजनीतिक दलों और संगठनों से आह्वान किया है कि वह देश में किसानों, आढ़तियों और खेत मजदूरों के हित में एकजुट होकर लड़ाई लड़ें। उल्लेखनीय है कि शनिवार को अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक के बाद सुखबीर बादल ने राजग और भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का एलान कर दिया था।
25 साल में बड़े बादल ने पहली बार पीठ थपथपाई
होशियारपुर में सुखबीर बादल ने कहा कि मुझे पार्टी से जुड़े 25 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक कभी बड़े बादल (पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल) ने मेरी पीठ नहीं थपथपाई। कृषि विधेयक के विरोध में हरसिमरत बादल के दिए इस्तीफे के बाद पहली बार उन्होंने मुझे शाबाशी दी। उन्होंने मुझसे कहा कि अकाली दल असूलों की लड़ाई लड़ा है और तुम (सुखबीर) इन असूलों पर खरे उतरे हो।