हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी-अदालताें में बढ़ते बोझ के लिए सरकारी विभागों की असंवेदनशीलता जिम्मेदार
पंजाब सरकार की एक अपील को खारिज करते हुए जस्टिस फतेहदीप सिंह ने कहा है कि अदालतों में लंबित मामलों में सबसे अधिक मामले सरकारें ही दायर करती हैं। ऐसे में अदालतों पर बढ़ते बोझ के लिए सरकारी विभागों की असंवेदनशीलता को जिम्मेदार माना जाना चाहिए।
चंडीगढ़। अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती सूचियों को घटाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को जिम्मेदारी का अहसास दिलवाते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकारों को अदालतों में मामले दायर करने के प्रति जिम्मेदार होने की जरूरत है।
पंजाब सरकार की एक अपील को खारिज करते हुए जस्टिस फतेहदीप सिंह ने कहा है कि अदालतों में लंबित मामलों में सबसे अधिक मामले सरकारें ही दायर करती हैं। ऐसे में अदालतों पर बढ़ते बोझ के लिए सरकारी विभागों की असंवेदनशीलता को जिम्मेदार माना जाना चाहिए।
विभिन्न विवादों को अदालतों में लटकाने की सरकारी अधिकारियों की प्रवृत्ति पर कड़ा एतराज जताते हुए हाई कोर्ट ने कहा है कि अदालतों में दायर किए जाने वाले मुकद्दमों पर सावधानी बरती जानी चाहिए। केसों को सिर्फ लटकाए रखने के लिए अदालतों में भेजा जाना सही नहीं है।
बेवजह की मुकद्दमेबाजी से कीमती समय हाे रहा बर्बाद
जस्टिस फतेहदीप सिंह ने कहा है कि अदालतों में भेजी जाने वाली बेवजह की मुकद्दमेबाजी से न सिर्फ अदालतों का कीमती समय बर्बाद होता है बल्कि सरकारी राजस्व का भी नुकसान होता है। जस्टिस फतेहदीप सिंह ने कहा कि अदालतों में न्यायिक बोझ बढ़ाने में सरकार का योगदान सबसे अधिक होता है। ऐसा महसूस होता है कि फैसले लेने की हिम्मत न जुटा पाने पर सरकारी अधिकारी अदालतों पर न्यायिक विवादों का बोझ बढ़ा देते हैं। अब ऐसी प्रवृत्ति का कम करने की जरूरत है।
हाई कोर्ट में साढ़े पांच लाख मामले हैं लंबित
यह आदेश तब आए हैं जब हाई कोर्ट में लंबित मामलों की सूची साढ़े पांच लाख के नजदीक पहुंच गई है। न्यायिक आंकड़ाें के अनुमानों के अनुसार, अदालताें में लंबित मामलाें में से 46 प्रतिशत मामले विभिन्न सरकारी विभागों की तरफ से दायर किए गए हैं।