चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने साफ कर दिया है कि घर से भागा प्रेमी जोड़ा कोर्ट से सुरक्षा पाने का हकदार है, भले ही उनमें से एक की उम्र शादी के योग्य न हो और दोनों लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रह रहे हों।
हाई कोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा ने यह टिप्पणी गुरदासपुर निवासी मंदीप कौर व उसके प्रेमी द्वारा सुरक्षा की मांग की याचिका का निपटारा करते हुए की। प्रेमी जोड़े में लड़के की उम्र 20 साल छह माह और लड़की की उम्र 20 साल थी। दोनों ने एक-दूसरे से प्यार करने का कोर्ट में दावा किया। दोनों की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि वे माता-पिता द्वारा पैदा की गई परिस्थितियों से मजबूर होकर कोर्ट आए हैं। उन्होंने कहा कि वे परिपक्व हैं और अपने अच्छे और बुरे के बारे में सोच सकते हैं। दोनो ने बेंच को बताया कि उन्होंने 20 सितंबर को पंचकूला में विवाह किया है।
जस्टिस मोंगा ने सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों का विवाह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मान्य नहीं है, लेकिन यह मुद्दा नहीं है। उनको जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। भले ही उनका रिश्ता अमान्य है।
बेंच ने कहा कि भले ही यह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा पांच का उल्लंघन है कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता लड़का विवाह योग्य (21 साल) आयु नहीं रखता और लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है, लेकिन दोनों अपने जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने का हकदार हैं। नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का बाध्य कर्तव्य है। हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए गुरदासपुर के जिला पुलिस प्रमुख को आदेश दिया कि वो याचिकाकर्ता जोड़े द्वारा सुरक्षा की मांग के आवेदन की जांच कर उचित निर्णय लेकर उनकी जान-माल की रक्षा करे।
यह है कानून
कानून के तहत शादी के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए।