चंडीगढ़( jagran. Com) । केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को पंजाब में लागू करने से कैसे रोकें, इसको लेकर शुक्रवार को दिनभर मंथन होता रहा, लेकिन बात किसी सिरे पर नहीं चढ़ सकी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके करीबी अफसर आज भी दिनभर इन कानूनों के प्रभाव को पंजाब में कानूनी तरीके से रोकने पर माथापच्ची करते रहे। तीन तीन घंटे की मीटिंग के बाद भी बात सिरे नहीं लग रही है। पंजाब ने 19 को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि किसानों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर ही सबसे बड़ी आशंका है। उनका मानना है कि नए कानूनों के तहत अगर मंडियों से बाहर फसल की खरीद की जाती है तो उससे व्यापारी या बड़ी कंपनियां मंडियों के बाहर खरीद करेंगी तो आगे चलकर मंडियों का कोई औचित्य नहीं रहेगा और सरकार इन मंडियों को भंग कर देगी। इसके बाद कोई व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं करेगा।
इस नुक्ते को देखते हुए नए कानूनों को प्रभावहीन बनाने के लिए राज्य सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि राज्य में बिकने वाली सभी वस्तुओं को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने को अनिवार्य बना दिया जाए। ऐसा करने से नए कानूनों के तहत अगर मंडियों से बाहर भी खरीद कंपनियों द्वारा की जाती है तो उन्हें एमएसपी पर खरीदनी होगी, लेकिन इसमें कई तरह की अड़चनें हैं। सरकार को इस बात की आशंका है कि ऐसा करने से पंजाब की मंडियों से प्राइवेट ट्रेडर्स दूर हो जाएंगे और सस्ते अनाज के चक्कर में वे पड़ोसी राज्यों में चले जाएंगे, इससे पंजाब का एग्रो बिजनेस तबाह हो सकता है। सरकार की ओर से बनाया जा रहा बिल बेहद गोपनीय रखा जा रहा है।
शिअद ने स्पीकर के समक्ष पेश किए दो प्राइवेट मेंबर बिल
उधर, शिरोमणि अकाली दल ने विधानसभा के सेशन में लाए जा रहे बिल को विधायकों को एडवांस में देने की मांग की है। शिअद विधायक दल के नेता शरणजीत सिंह ढिल्लों और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि इसे विधायकों को पहले दिया जाए, ताकि वे इसे अच्छी तरह से पढ़ सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर विपक्षी पार्टियों को विधानसभा में लाए जाने वाले बिल से अंधेरे में रख रही है।
दो प्राइवेट बिल स्पीकर को सौंपे
शिरोमणि अकाली दल ने विधानसभा के विशेष सत्र में पेश करने के लिए दो प्राइवेट मेंबर बिल स्पीकर को सौंपे हैं। शिअद विधायक दल के नेता ने कहा कि कैप्टन सरकार द्वारा लाया गया पंजाब कृषि अधिनियम उत्पाद मंडी अधिनियम, 2017 किसान विरोधी है। यह भी किसानों को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपने जैसा है। उन्होंनेे इन संशोधनोंं को वापस लेने के लिए दो अलग-अलग बिल पेश किए हैं। ढिल्लों ने कहा कि गेंद अब पंजाब सरकार के पाले में है। अगर वह इन विधेयकों को स्वीकार नहीं करती है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि सरकार एक फिक्सड मैच खेल रही है और वह किसानों, खेत मजदूरों, आढती विरोधी है।
सौजन्य /जागरण डाँट काम