पंजाब में कांग्रेस को महंगा पड़ सकता है राय सिख बोर्ड का गठन, नई दिक्‍कत पैदा होने की आशंका

पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार ने राय सिख बाेर्ड का गठन किया है। माना जा रहा है कि पंजाब सरकार यह कदम अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उठाया है। लेकिन इससे कांग्रेस के लिए नई परेशानी खड़ी हो सकती है।

चंडीगढ़। पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए पंजाब सरकार ने राय सिख बोर्ड का गठन कर दिया है। करमजीत सिंह तूतां को बोर्ड का चेयरमैन और मनोहर सिंह को उप चेयरमैन लगाया गया है। दोनों नेताओं ने पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ की उपस्थिति में बुधवार को अपना पदभार ग्रहण किया।

पैगाम संस्था के संयोजक पूर्व आइएएस अधिकारी लद्दड़ ने कहा, संवैधानिक रुप से बोर्ड का कोई महत्व नहीं

उधर, राजनीतिक माहिरों का कहना है कि भले ही कांग्रेस ने यह कदम फिरोजपुर व फाजिल्का जिलों में राय सिखों की ज्यादा आबादी को देखते हुए लिया है लेकिन बोर्ड का गठन कांग्रेस के लिए नया संवैधानिक और सामाजिक संकट खड़ा कर सकता है। क्योंकि अनुसूचित जाति वर्ग की अन्य जातियां राय सिखों के लिए अलग से बोर्ड बनाने से निराश हैं।

काबिलेगौर है कि मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने राय सिखों को 2007 में ओबीसी से निकालकर अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाया था, जिसके चलते पंजाब में अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या काफी ज्यादा हो गई। इस कारण राज्य में लोकसभा की आरक्षित सीटों की संख्या तीन से बढ़कर चार और विधानसभा की सीटों की संख्या 29 से बढ़कर 34 हो गई। राय सिख इस आरक्षण का लाभ तो लेते हैं लेकिन कहा यह भी जाता है कि वह अपने आप को अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित कहलाने से कतराते हैं।

पैगाम संस्था के संयोजक और पूर्व आइएएस अधिकारी एसआर लद्दड़ का कहना है कि सरकार ने संवैधानिक उल्लंघन कर बोर्ड का गठन किया है। उन्होंने बताया कि संविधान के मुताबिक अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की मुश्किलों के लिए पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग पहले से ही गठित है। ऐसे में राय सिख बोर्ड का कोई महत्व नहीं रह जाता। उन्होंने दलील दी कि अनुसूचित वर्ग की सूची में 29 जातियां दर्ज हैं। तो क्या अब पंजाब सरकार हर जाति के लिए अलग से बोर्ड गठित करेगी।

उन्होंने कहा कि एक वर्ग की वोटों के लिए गठित किया गया बोर्ड दूसरे वर्ग के लोगों में निराशा पैदा करता है। अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को 22.5 फीसद आरक्षण का लाभ दिया जाता है। आबादी के मुताबिक यह कोटा बढ़ाया जाना चाहिए था। संविधान बचाओ कमेटी के नेता करनैल सिंह जीत, कुलदीप चंद और नेशनल शेड्यूल कास्ट के प्रधान परमजीत सिंह कैंथ ने कहा कि कैप्टन सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राय सिख और अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों में काफी विभिन्नता है। दलित वर्ग से संबंधित लोग भूमिहीन हैं जबकि राय सिख भाईचारे के पास काफी जमीन है। पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ ने बोर्ड के नवनियुक्त चेयरमैन और उप चेयरमैन को बधाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार समाज के सभी भाईचारों को आदर करती है। सरकार समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए योजनाएं बनाकर लागू कर रही है।

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