चंडीगढ़। बेअदबी मामले में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को आरोपित बनाने पर डेरा प्रबंधन ने पंजाब सरकार व स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) पर सवाल उठाए हैं। डेरा ने कहा है कि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल का समर्थन किया था, इसलिए डेरा के अनुयायियों को फंसाया जा रहा।
गौरतलब है कि एक हफ्ते पहले पुलिस ने बेअदबी मामले में कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। इसमें गुरमीत राम रहीम को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया था। डेरे की पंजाब कमेटी के सदस्य हरचरण सिंह ने चंडीगढ़ में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि डेरे में सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। डेरे के समर्थक बेअदबी करना तो दूर, इसके बारे में सोच भी नहीं सकते।
बरगाड़ी बेअदबी मामले में डेरा सच्चा सौदा सिरसा ने अपना पक्ष मीडिया के समक्ष रखा। डेरेे की पंजाब कमेटी की तरफ से की गई कॉन्फ्रेंस में हरचरण सिंह ने कहा हम लोग बेअदबी करना तो दूर इसके बारे में सोच भी नहींं सकते। कोरोना की महामारी में डेरा रक्तदान औऱ बाकी समाज सेवा में लगा हुआ है।
डेरे के वकील विवेक कुमार ने कहा कि सीबीआइ ने साल 2015 में फरीदकोट के बेअदबी मामले में इलाके की पंचायतों के बयानों पर महेंद्र पाल बिट्टू सहित कई डेरा अनुयायियों को गिरफ्तार किया था। उनके फिंगर प्रिंट, पॉलीग्राफी टेस्ट, लाई डिटेक्टर टेस्ट और ब्रेन मैपिंग जैसी जांच के बाद सीबीआइ ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में इन डेरा समर्थकों को क्लीन चिट दी थी। इस रिपोर्ट पर अभी मोहाली सीबीआइ अदालत का फैसला लंबित है।
इससे पहले ही पंजाब पुलिस ने उन्हीं आरोपितों को दोबारा गिरफ्तार करके फरीदकोट अदालत में पेश कर दिया। उन्होंने चार तारीख को गिरफ्तारी के बाद सिर्फ दो दिन में चालान पेश किए जाने कि जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि एक ही एफआइआर में इस समय सीबीआइ और पंजाब पुलिस की एसआइटी समानांतर जांच कर रही है।
डेरे के वकील विवेक कुमार ने कहा कि सीबीआइ ने जिन 10 लोगों को जांच में शामिल किया था, एसआइटी ने उनमें से सात को फिर से चार जुलाई को हिरासत में ले लिया। इनमें से दो सुखङ्क्षजदर सन्नी व शक्ति सिंह को पहले से ही इस मामले में जमानत मिल चुकी है। इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। पंजाब पुलिस जिन इकबालिया बयानों का दावा कर रही है वो सब थर्ड डिग्री देकर लिए गए हैं। डेरे के एक अन्य वकील केवल सिंह बराड़ ने कहा कि जब तक सीबीआइ की जांच पर मोहाली अदालत ने कोई फैसला नहीं लिया, तब तक एसआइटी का जांच करना कानूनी प्रावधानों के खिलाफ है।
सारे तथ्य अदालत के सामने हैं: खटड़ा
डेरा प्रबंधकों के आरोपों पर एसआइटी के प्रमुख रणबीर सिंह खटड़ा ने कहा है कि एसआइटी ने आरोपितों को गिरफ्तार करके अदालत में चालान पेश कर दिया है। इस मामले में अब सारे तथ्य अदालत के सामने हैं। वहीं, कांग्रेस और शिअद ने राजनीतिक साजिश के दावे पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया।
यह है मामला
12 अक्टूबर, 2015 को फरीदकोट जिले के कोटकपूरा में बरगाड़ी गांव में गुरुग्रंथ साहिब के अंग फाड़ कर गलियों में फेंक दिए गए। इसके विरोध में सिखों ने प्रदर्शन भी किया था। एसआइटी का आरोप है कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी गुरमीत राम रहीम के कहने पर हुई थी।
डेरा सच्चा सौदा के बयान से बढ़ी सुखबीर बादल की परेशानी, जाखड़ बोले- पंथ से निष्कासित किया जाए
डेरा सच्चा सौदा सिरसा का बयान अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल की परेशानी बढ़ाने लगा है। डेरेे कहा है कि कांग्रेस सरकार उन्हें इसलिए निशाना बना रही है क्योंकि 2017 में उन्होंने अकाली दल का साथ दिया था। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि डेरे की स्वीकरोक्ति के बाद तस्वीर साफ हो गई है कि सुखबीर बाद ने वोट के लिए डेरा प्रमुख के साथ समझौता किया था। ‘तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हे माफी दूंगा।’ जाखड़ ने कहा कि अकाल तख्त इस मामले को संज्ञान लेकर सुखबीर बादल को पंथ से निष्कासित करें।
जाखड़ ने कहा कि डेरे के वोट के लिए सुखबीर बादल ने पंथ की पीठ पर छूरा मारा है। डेरे के वोट के लिए डेरा प्रमुख को गुरु गोबिंद सिंह जी का स्वांग रचाने के मामले में अकाल तख्त से माफी दिलवाई गई। फिर एमएसजी 2 को रिलीज करवाया गया। सारा ड्रामा पंथ की पीठ में छूरा घोंंपते हुए वोट के लिए किया गया। इस मामले में अब शक की गुंजाइश ही नहीं रह जाती है। अत: अब पंथक जत्थेबंदियों को अकाल तख्त से यह मांग करनी चाहिए कि सुखबीर बादल को पंथ से निष्कासित किया जाए, क्योंकि अब साबित हो गया है कि सुखबीर ने ‘तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हे माफी दूंगा’ के लिए पूरा षडयंत्र रचा।
वहीं, जाखड़ ने इस बात से इंकार किया कि वोट देने की खुन्नस डेरा प्रेमियों से निकाली जा रही है। उन्होंने कहा, एसआईटी की जांच सही दिशा में चल रही है। पुलिस के हाथ दोषियों के दामन तक पहुंच रहे हैंं। अगर इस मामले में कोई अड़ंगा डाल रहा है तो वह सीबीआई है। सीबीआई बादलों को राहत देने के लिए मामले को लटकाने की कोशिश कर रही है।