चंडीगढ़। पंजाब सरकार क्रिकेट को खेल ही नहीं मानती। यही नहीं क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को किसी तरह का लाभ देने के योग्य नहीं मानती। पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन (Punjab Public Service Commission PPSC) के अनुसार, क्रिकेटरों को ग्रुप-ए या ग्रुप-बी की नौकरियों के लिए स्पोट्र्स श्रेणी के तहत शामिल नहीं किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि इसे भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा मान्यता नहीं दी गई है।
मोहाली निवासी 24 वर्षीय जसविंदर सिंह बैदवान द्वारा दायर याचिका के जवाब में पंजाब पब्लिक सर्विस कमिशन की सचिव (परीक्षा) नवप्रीत कौर सेखों ने बुधवार को हलफनामा देकर हाई कोर्ट को यह जानकारी दी। पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन ने संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 2020 के माध्यम से 75 पदों की भर्ती के लिए 12 जनवरी, 2020 को एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें दो पद पुरुष खिलाड़ियों के लिए और एक पद पंजाब के महिला खिलाड़ी के लिए आरक्षित था।
इस मामले में याचिकाकर्ता बैदवान ने खेल कोटे तहत उनकी उम्मीदवारी खारिज होने के बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की मुख्य दलील यह है कि वह क्रिकेट का खिलाड़ी रहा है। उसके पास भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण पत्र हैं। उसने खेल श्रेणी में आवेदन किया था और 13 फरवरी, 2021 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में उपस्थित होने के लिए उसे खेल श्रेणी में एडमिट कार्ड जारी किया गया था, लेकिन उसका अंतिम परिणाम सामान्य श्रेणी में घोषित किया गया था।
याची की मांग थी कि उसका ग्रुप-ए या ग्रुप-बी के पदों में स्पोट्र्स कोटा के तहत आरक्षित स्थान पर विचार किया जाना चाहिए। बहस के दौरान आयोग की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि क्रिकेट भारतीय ओलंपिक संघ से मान्यता प्राप्त नहीं है इसलिए याचिकाकर्ता का खेल कोटे पर विचार नहीं किया जा सकता।