चंडीगढ़। श्री गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई को लेकर कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। सोमवार को कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ और सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंंह रंधावा सहित कई मंत्रियों के बीच काफी तल्ख बहस हुई। जाखड़ ने तुरंत अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दिया। इसके बाद रंधावा ने भी ऐसा ही किया, लेकिन कैप्टन ने दोनों इस्तीफे फाड़कर फेंक दिए।
मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष जाखड़ व मंत्री रंधावा में तल्खी, कैप्टन ने दोनों के इस्तीफे को फाड़ दिया
यह तल्खी तब शुरू हुई जब बेअदबी कांड को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत से लोग पार्टी के भीतर और बाहर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने इस केस को ठीक से हैंडल नहीं किया है। कैप्टन का इशारा साफ तौर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा की ओर था।
जाखड़ ने कहा, बेअदबी मामले में जिम्मेदारी तो फिक्स करनी ही पड़ेगी
बैठक में विशेष रूप से शामिल जाखड़ ने मुख्यमंत्री से कहा कि किसे रखना है और किसे निकालना है, यह आपका विशेषाधिकार है लेकिन इस मामले में जिम्मेदारी तो फिक्स होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेअदबी के बाद हुए गोलीकांड को लेकर बनी एसआइटी की रिपोर्ट पर केवल कुंवर विजय प्रताप सिंह के हस्ताक्षर हैं। जिन पुलिस अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं हैं उन पर आपने कार्रवाई क्यों नहीं की?
कैप्टन ने कहा, जिसे तकलीफ है वह बैठक से जा सकता है
इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसे इस बात से तकलीफ है वह मीटिंग छोड़ कर जा सकता है। इस पर जाखड़ ने अपनी जेब से इस्तीफा निकाला और मुख्यमंत्री को यह कहते हुए सौंप दिया कि मैं इस पद पर अब आगे काम नहीं करूंगा। साथ ही उन्होंने रंधावा से कहा कि पार्टी और सरकार के अंदर बोलने वालों का इशारा आपकी तरफ है।
इसके बाद पहले जाखड़, फिर रंधावा ने कैप्टन को इस्तीफा सौंप दिया
मुख्यमंत्री ने जाखड़ से कहा कि आप रंधावा को उकसाने का काम न करें। रंधावा भी कुछ कहना चाहते थे, लेकिन इसी बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंवर विजय प्रताप सिंह को जांच करने की सिफारिश रंधावा ने ही की थी। इस मामले में रंधावा को ही सारा काम करना था। अब सारी जिम्मेदारी वह मेरे ऊपर डाल रहे हैंं। इतना सुनते ही रंधावा ने भी तुरंत इस्तीफा लिखा और मुख्यमंत्री को सौंप दिया।
ऐसे ही चलता रहा तो पार्टी का सत्यानाश हो जाएगा : चन्नी
तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत चन्नी ने भी कहा कि इस मामले में जिम्मेदारी तो फिक्स होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एडवोकेट जनरल की भूमिका सही नहीं है और यदि ऐसे ही चलता रहा तो पार्टी का सत्यानाश हो जाएगा। हम लोगों के बीच में जाने के काबिल भी नहीं रहेंगे। राजस्व मंत्री गुरप्रीत कांगड़ ने भी नई एसआइटी बनाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि एसआइटी तो पहले भी तीन सालों से जांच ही कर रही है। अब अगर एक महीने में यह मामला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचता तो लोगों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।
एडवोकेट जनरल ने डीजीपी पर उठाई अंगुली
बैठक में एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने इस मामले में डीजीपी दिनकर गुप्ता पर अंगुली उठाई, जबकि डीजीपी पूरे मामले में बरती गई ढील के लिए एडवोकेट जनरल को दोषी मान रहे थे। बैठक खत्म होने के बाद सुनील जाखड़ ने मीडिया को ब्रीफ किया, लेकिन तल्खी की बात देर रात सामने आने पर उन्होंने अपना फोन बंद कर लिया। इस्तीफे को लेकर रंधावा से भी आधिकारिक रूप से कोई बात नहीं हो सकी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह मुख्यमंत्री के व्यवहार से काफी नाखुश दिखाई दे रहे थे।