केंद्र सरकार ने पंजाब को दिया बड़ा झटका, आरडीएफ बंद करने की कवायद, 1050 करोड़ का हाेगा नुकसान

काबिले गौर है कि एपीएमसी एक्ट के तहत पंजाब सरकार ने गेहूं और धान की खरीद पर तीन फीसद मार्केट फीस, तीन फीसद रूरल डेवलपमेंट फंड और 2.5 फीसद आढ़त लगाई हुई है। इसका भुगतान खरीदार को करना है। गेहूं और धान की खरीद केंद्र सरकार के लिए पंजाब की पांच खरीद एजेंसियां करती हैं ऐसे में इस अनाज को खरीदने के लिए कौन-कौन से खर्चे सरकार देगी और कितने देगी इसकी एक प्रोविजनल कास्ट शीट भेजी जाती है,

चंडीगढ़ । केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है और इसकी कवायद शुरू कर दी है। पंजाब को यह झटका ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) को लेकर उठाए गए केंद्र सरकार के नए कदम से लग सकता है। केंद्र ने पंजाब में धान खरीद के लिए भेजी गई प्रोविजनल कास्ट शीट में तीन फीसद आरडीएफ को फिलहाल शून्य कर दिया है। इसे यह पूछते हुए स्क्रूटनी में डाल दिया है कि राज्य सरकार बताए कि आरडीएफ का इस्तेमाल किन कामों के लिए किया जाता है।

धान खरीद पर पंजाब को मिलना है 1050 करोड़ रूरल डेवलपमेंट फंड

कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिस आरडीएफ का भुगतान केंद्र सरकार पिछले पांच दशकों से कर रही है, उसके बारे में अब ऐसा सवाल पूछने का मतलब साफ है कि सरकार इस पैसे को देने में आनाकानी कर रही है। उन्होंने कहा कि हम केंद्र के इसका का जवाब तैयार कर रहे हैं।

केंद्र सरकार ने प्रोविजनल कास्ट शीट में तीन फीसद आरडीएफ को शून्य किया

अगर केंद्र सरकार आरडीएफ नहीं देती है तो पंजाब को धान के सीजन में लगभग 1050 करोड़ रुपये के नुकसान होने का डर है। दिलचस्प बात यह है कि पंजाब सरकार नए कृषि सुधार कानूनों का विरोध भी इसलिए कर रही थी कि क्योंकि इसमें मंडियों के बाहर बिकने वाले अनाज पर किसी प्रकार का टैक्स आदि नहीं लेने का प्रावधान किया गया था। परंतु, अब धान की खरीद में ही केंद्र सरकार की ओर से आरडीएफ को हटाने की कवायद से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है।

काबिले गौर है कि एपीएमसी एक्ट के तहत पंजाब सरकार ने गेहूं और धान की खरीद पर तीन फीसद मार्केट फीस, तीन फीसद रूरल डेवलपमेंट फंड और 2.5 फीसद आढ़त लगाई हुई है। इसका भुगतान खरीदार को करना है। गेहूं और धान की खरीद केंद्र सरकार के लिए पंजाब की पांच खरीद एजेंसियां करती हैं ऐसे में इस अनाज को खरीदने के लिए कौन-कौन से खर्चे सरकार देगी और कितने देगी इसकी एक प्रोविजनल कास्ट शीट भेजी जाती है, ताकि एजेंसियां जब एफसीआई को अनाज की डिलीवरी दे तो इन खर्चों को मिलाकर बिल तैयार करे। इन खर्चाें में राज्य सरकार के टैक्स के अलावा बारदाना, लेबर, हैंडलिंग, चार्ज, ट्रांसपोर्टेशन, मि¨लग, ब्याज और प्रशासकीय खर्च भी शामिल हैं।

बताया जाता है कि मार्केट फीस, आरडीएफ और आढ़त को लेकर पिछले कई सालों से केंद्र सरकार संतुष्ट नहीं है। आरडीएफ व मार्केट फीस तो राज्य सरकार को जाती है। इसे मंडियों, संपर्क सड़कों व खरीद केंद्रों को बनाने और उनके रखरखाव पर खर्च किया जाता है। हालाकि इसका ज्यादा विरोध नहीं हुआ लेकिन केंद्रीय वित्त आयोग और नीति आयोग जैसे संस्थान इस पैसे को कंसोलिडेशन फंड में डालने के लिए कहते रहे हैं ताकि इसका सही ढंग से ऑडिट हो सके।

फिलहाल यह राशि मंडी बोर्ड और ग्रामीण विकास बोर्ड के खाते में सीधे तौर पर जाती है और वहीं से तय किया जाता है कि इसे कहां खर्च किया जाना है। लेकिन, आढ़त को कम करने, फ्रीज करने और इसे बंद करने के प्रयास 1997 से ही चल रहे हैं। परंतु, आढ़तियों के संगठित होने के कारण इस बारे में केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। 1997 में आढ़त एक फीसद थी जिसे आढ़तियों ने 1.5 फीसद करने की मांग की और तत्कालीन अकाली भाजपा गठबंधन सरकार (पंजाब सरकार) ने इसे अढ़ाई फीसद कर दिया। इसके बाद साल 2002 और 2011 में आढ़त को कम करने और 27 रुपये प्रति ¨क्वटल पर फ्रीज करने की कवायद शुरू हुई लेकिन सिरे नहीं चढ़ी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.