चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि पंजाब स्कॉलरशिप घोटाले की केंद्र सरकार की जांच कराना संघीय राजनीतिक ढांचे पर हमला है। बता दें कि पंजाब के पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने संयुक्त सचिव स्तर के दो अधिकारियों द्वारा विभागीय जांच का आदेश दे दिए हैं।
कहा, राज्य के मामले में सहमति के बिना केंद्रीय जांच तर्कसंगत नहीं
घोटाले की केंद्र स्तर पर जांच के लिए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत को पत्र लिखा था। वहीं, आज अकाली दल के एससी विंग के प्रधान व पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलजार सिंह रणीके, विधायक पवन टीनू, डा. सुखविंदर सिंह व बलदेव खैहरा भी इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री गहलोत से मुलाकात करेंगे।
केंद्रीय जांच का मकसद राज्य सरकार की साख को नुकसान पहुंचाना
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र की ओर से राज्य सरकार से सलाह और मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना कथित स्कॉलरशिप घोटाले की जांच के आदेश दिए जाने का कड़ा विरोध किया है। कैप्टन ने कहा कि अगर केंद्रीय जांच की बात सही है तो यह कदम भारतीय संवैधानिक राजनीति के संघीय ढांचे पर एक और हमला है। राज्य के मामले में बिना सहमति के केंद्रीय जांच तर्कसंगत नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसका मकसद राज्य सरकार की साख को नुकसान पहुंचाना है, जो केंद्र सरकार द्वारा सभी गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को कमजोर करने के एजेंडे का हिस्सा है। राज्य सरकार, भाजपा या शिअद के ओछे दबाव के आगे नहीं झुकेगी।
कहा, अकाली-भाजपा सरकार के समय हुईं अनयिमितताएं
कैप्टन ने कहा कि जिस कथित घोटाले की जांच के आदेश दिए गए हैं, उसकी शुरुआत राज्य में अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान 2015 से 2017 के बीच हुई थी। राज्य सरकार के आदेश पर हुए ऑडिट में कुछ अनियमितताएं सामने आई थीं। राज्य की विगत सरकार के समय मंजूर हुए फंड में कुछ कालेजों को जारी राशि में अंतर सामने आने पर मामले की विस्तार से जांच के आदेश दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार भाजपा-अकाली दल के बुरे कामों को छिपाना है तो वह सफल नहीं होगी। कैप्टन ने लाखों एससी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में लाभ देने वाली पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप को बंद करने पर केंद्र सरकार की दलित विरोधी कार्रवाई की निंदा भी की।
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर ने सांसद बाजवा को दिया जवाब, कहा- भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार ही है
पंजाब में भ्रष्टाचार को लेकर नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा पर पलटवार किया है। उन्होंने बाजवा के उस तर्क को रद कर दिया कि मौजूदा स्कॉलरशिप घोटाले और तारकोल घोटाले में कोई तुलना नहीं है। तारकोल घोटाले में 15 साल पहले बाजवा का नाम सामने आया था। बाजवा ने कहा था कि दोनों घोटालों में कोई तुलना नहीं की जा सकती। मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार है चाहे किसी भी रूप में हुआ हो।
कैप्टन ने कहा कि उनकी पिछली सरकार के दौरान लोक निर्माण मंत्री रहे बाजवा के खिलाफ लगे तारकोल घोटाले के आरोप भी उतने ही गंभीर थे, जितने कि स्कॉलरशिप मामले में अब लग रहे आरोप हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि वह उस समय भी उतनी ही गैर-जिम्मेदारी के साथ काम लेते जैसे कि बाजवा अब उनसे उम्मीद करते हैं, तो उन्होंने उस समय के मंत्री को बिना निष्पक्ष जांच-पड़ताल के बेबुनियाद आरोपों के आधार पर बर्खास्त कर देना था।
कैप्टन ने कहा कि पंजाब सरकार के रूल्ज ऑफ बिजनेस, 1992 के अनुसार जिन मामलों में मंत्री और सचिव के बीच विचारों की सहमति न हो, वह मामले आदेश जारी होने से पहले मुख्य सचिव के द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष रखे जाते हैं। कैप्टन ने कहा, एक मंत्री रह चुके होने के नाते बाजवा को यह पता होना चाहिए था कि मौजूदा मामले के हालात देखते हुए कार्यवाही आगे ले जाने का यही एक रास्ता है। इसी कारण उन्होंने इसकी गहराई से जांच-पड़ताल के लिए कहा है।
उन्होंने राज्य सभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो के बयान की भी कड़ी निंदा की है। बाजवा और दूलो पर लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियां जारी रखने पर उन्होंने कहा कि दोनों संसद सदस्यों द्वारा अपनी ही सरकार पर दिखाया जा रहा अविश्वास उनकी बुरी नीयत को दर्शाता है।