Punjab Election 2022: मतगणना से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के फारम हाउस में कांग्रेस के 12 व आप के 2 उम्मीदवार पहुंचे

Punjab Election 2022 पंजाब के राजनीतिक दलों का मानना है कि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बन सकती है। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के ऐसे प्रत्याशियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है जो जीतने की स्थिति में हैं।

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चंडीगढ़। Punjab Election 2022: पंजाब विधानसभा की 10 मार्च को बाद दोपहर तक यह तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी कि पंजाबियों ने किसे बहुमत दिया है। अगर किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो सरकार कौन बनाएगा, इस बात को ध्यान में रखकर जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। इस बीच, कैप्टन अमरिंदर सिंह की नजर कांग्रेस के संभावित विधायकों पर टिकी हुई है। कैप्टन कांग्रेस के संभावित विधायकों के साथ संपर्क कर रहे हैं।

दो दिन पूर्व कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी। हालांकि कैप्टन के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने भी शाह के साथ बैठक की थी। बैठक के बाद चन्नी ने कहा था कि उन्होंने भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड के स्थाई सदस्य के नियमों में बदलाव व यूक्रेन में फंसे पंजाब के छात्रों को लेकर मुलाकात की थी, जबकि कैप्टन के साथ मुलाकात के दौरान ही इस बात की रणनीति तय हो गई थी कि अगर किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो आगे की रणनीति क्या होगी।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के संभावित विधायकों से संपर्क करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है। चुनाव को लेकर आए एग्जिट पोल में भले ही आम आदमी पार्टी की सरकार बनती नजर आ रही हो, लेकिन अन्य राजनीतिक पार्टियां मान रही हैं कि किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कैप्टन ने कांग्रेस के संभावित जीतने वाले उम्मीदवारों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।

12 कांग्रेस और 2 आप उम्मीदवारों ने  फार्महाउस पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की डिनर पार्टी में भाग लिया

पंजाब चुनाव परिणाम से पहले पंजाब की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है, 12 कांग्रेस और 2 आप उम्मीदवारों ने मंगलवार को सिसवान में अपने फार्महाउस पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की डिनर पार्टी में भाग लिया। शुक्रवार, 11 मार्च को आने वाले अपने जन्मदिन मनाने के लिए उन्होंने यह आयोजन किया व उपस्थित लोगों को संबोधित किया। बैठक में कांग्रेसी नेताओं की उपस्थिति महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि एग्जिट पोल ने कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन को खासा बेहतर नहीं बताया गया है।

सूत्रों के अनुसार, यह इस बात का संकेत है कि सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी के कई नेता नतीजे आने के तुरंत बाद दूसरी पार्टियों में जा सकते हैं। इस विधानसभा चुनाव के लिए अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस ने भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ गठबंधन किया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर आप को पर्याप्त सीटें नहीं मिलती हैं तो शिअद पंजाब में सरकार बनाने के लिए इस तीन-पक्षीय गठबंधन से हाथ मिला सकती है।

कांग्रेस को 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में सत्ताधारी पार्टी के लिए P-MARQ के केवल 23-31 सीटों के अनुमान के साथ एक बड़ा झटका लगने वाला है। इसके अलावा, एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की है कि शिअद-बसपा गठजोड़ मतदाताओं को उत्साहित करने में विफल रहा है और 16-24 सीटें हासिल कर सकता है। दूसरी ओर, AAP के 35.6% वोट शेयर के साथ 62-70 सीटें जीतने की संभावना है और इस तरह, राज्य में अगली सरकार बनाने के लिए सबसे आगे है। भाजपा, पंजाब लोक कांग्रेस और शिअद (एस) के गठबंधन के पंजाब की राजनीति में प्रभाव डालने के प्रयास के सफल होने की संभावना नहीं है क्योंकि उसे केवल 1-3 सीटें और 9.7% की मामूली वोट हिस्सेदारी मिल सकती है।

कांग्रेस में घमासान

एक बड़ा जनादेश जीतने के बावजूद, सिद्धू द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और नशीली दवाओं के मामलों में कथित देरी से न्याय को लेकर तत्कालीन सीएम अमरिंदर सिंह पर हमला करने के बाद कांग्रेस खेमे में अंदरूनी कलह शुरू हो गई। 18 सितंबर, 2021 को स्थिति और बढ़ गई, जब कांग्रेस ने पंजाब के सीएम को लूप में रखे बिना विधायक दल की बैठक बुलाई। सिंह को बाहर किए जाने की अटकलों के बीच सिंह ने अपना इस्तीफा पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को उसी दिन शाम करीब साढ़े चार बजे ”अपमान” के चलते सौंप दिया. हालांकि, चरणजीत सिंह चन्नी ने 20 सितंबर, 2021 को नवजोत सिद्धू को सीएम पद के लिए पिछाड़ दिया। चुनाव वाले राज्य में यह घटनाक्रम चल रहा था क्योंकि 28 सितंबर, 2021 को सिद्धू ने राज्य कांग्रेस प्रमुख के रूप में पद छोड़ दिया। सिद्धू ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। अमर प्रीत सिंह देओल की जगह चन्नी को पंजाब का एडवोकेट जनरल बनाया गया। फिर भी, सिद्धू और चन्नी के बीच अनबन बनी रही, जब सिद्धू ने बार-बार मुफ्त की घोषणा करने के लिए सीएम को निशाना बनाया। हालांकि चन्नी को कांग्रेस का सीएम चेहरा घोषित किया गया था, लेकिन सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।

खास बात यह है कि भाजपा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। हालांकि चुनाव से पूर्व कैप्टन भाजपा की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए थे, क्योंकि कांग्रेस ने 70 के करीब विधायकों को फिर टिकट दे दिया था। इसकी वजह से उम्मीद थी कि बड़े स्तर पर कांग्रेस के विधायक टूटेंगे, पर ऐसा नहीं हो पाया था। भाजपा ने एक बार फिर कैप्टन पर विश्वास जताया है और चुनाव परिणाम से पहले कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के साथ संपर्क करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस अगर 59 के बहुमत आंकड़े को नहीं छू पाई और जीत का आंकड़ा 35 के करीब रहा तो कांग्रेस में फूट पड़ सकती है, क्योंकि चुनाव के दौरान ही कांग्रेस पार्टी में खासी खींचतान देखने को मिली है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के बीच मटमुटाव देखने को मिलते ही थे। कांग्रेस ने जब अपना एक ‘पोस्टर साइज’ का घोषणा पत्र जारी किया तो घोषणा पत्र कमेटी के चेयरमैन प्रताप सिंह बाजवा वहां पर मौजूद नहीं थे। इसी प्रकार कांग्रेस ने सुनील जाखड़ को चुनाव प्रचार कमेटी का चेयरमैन बनाया था, लेकिन चुनाव के दौरान जाखड़ कांग्रेस के प्रचार से दूर ही रहे। बताया जाता है कि भाजपा कैप्टन के माध्यम से कांग्रेस की इसी फूट का फायदा उठाना चाहती है।

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