वेंटिलेटर के सहारे चल रही है इस महान हॉकी खिलाड़ी की सांसेें, हालत चिंताजनक

महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर की हालत चिंताजनक बनी हुई है। उनकी सांसें वेंटिलेटर के सहारे चल रही हैं।...

चंडीगढ़। पद्मश्री बलबीर सिंह सीनियर की हालत में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के आइसीयू में भर्ती बलबीर सिंह सीनियर मंगलवार से बेसुध हैं। वेंटिलेटर के सहारे उनकी सांस चल रही है। बलबीर सिंह सीनियर के नाती कबीर ने बताया कि नाना जी की हालत स्थिर है, मंगलवार और बुधवार को हुए कार्डियक अरेस्ट के बाद उन्हें कोई और कार्डियक अरेस्ट नहीं हुआ है। डॉक्टर ने शनिवार को उनका एमआइआर करवाया है, इसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह नाना जी के जल्द स्वस्थ होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।

कार्डियक अरेस्ट के बाद से हैं बेसुध

बलबीर सिंह सीनियर मौजूदा समय में 96 साल के हैं और पिछले दो सालों से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रह रहा है। पिछले हफ्ते आठ मई को उन्हें सांस में दिक्कत होने की वजह से अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इस दौरान उनके तमाम तरह के टेस्ट करवाए गए। उनका कोरोना टेस्ट भी किया गया, जिसकी रिपोर्ट 10 मई को आई, जो नेगिटिव आई। दो दिन बाद 12 मई को उन्हें कार्डियक अरेस्ट हो गया,जिससे वह वेंटिलेटर पर आ गए, बुधवार को उन्हें फिर दो बार कार्डियक अरेस्ट थे। उनके प्रशंसकों को उम्मीद है कि इस बार बीमारी को हराकर चैंपियन की तरह बलबीर सिंह जल्द उनके सामने आएंगे।

 

सदी के महान खिलाड़ियों में से एक हैं बलबीर सिंह सीनियर

गोल मशीन के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर पदमश्री बलबीर सिंह सीनियर भारत की उन तीन टीमों का हिस्सा रहे हैं जिन्होंने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर तिरंगे की शान को बढ़ाया है। भारत ने लंदन ओलंपिक (1948), हेल्सिंकी ओलंपिक (1952) और मेलबोर्न ओलंपिक (1956) में जीता था। इसके अलावा साल 1975 में बलबीर सिंह सीनियर भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर और चीफ कोच भी रहे हैं। उनके कोच रहते भारतीय हॉकी टीम वर्ल्डकप जीता। साल 1971 में भारत ने पुरूषों के हॉकी वर्ल्डकप में ब्रांज मेडल जीता था।

लंदन ओलंपिक 2012 में सदी के चुनिंदा खिलाड़ियों को ओलंपिक कमेटी की तरफ से सम्मानित किया, इसमें एशिया से इकलौते खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर थे। उनकी उपलब्धियों के चलते भारत सरकार ने 1956 में पदमश्री से सम्मानित किया गया। साल 2015 में उन्हें मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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