चंडीगढ़। किसान आंदोलन के बीच भारतीय जनता पार्टी पहली बार अपने दम पर पंजाब के सभी 126 स्थानीय निकायों के चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 1996 में अकाली दल के साथ गठबंधन के बाद दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती आई हैैं और अब 24 साल पुराना गठबंधन टूटने के बाद भाजपा ने अपने दम पर निकाय चुनाव में उतरने की तैयारी कर ली है। पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव लंबित हैं और यह चुनाव नवंबर 2020 में करवाए जाने की चर्चा है।
सोमवार को जालंधर में भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा की अध्यक्षता में हुई प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि पार्टी की ओर से हर वार्ड में चुनाव चिन्ह के साथ उम्मीदवार उतारे जाएं। यह फैसला भी किया गया कि चुनाव की घोषणा जब मर्जी हो, भाजपा की ओर से नवंबर तक 126 स्थानीय निकायों के हर वार्ड पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा। इसके लिए पार्टी की ओर से जल्द ही प्रभारी भी नियुक्त कर दिया जाएगा, ताकि चुनाव में ज्यादा से ज्यादा वोट पार्टी को मिल सकें।
दरअसल, शिरोमणि अकाली दल से नाता टूटने के बाद भाजपा 2022 में विधानसभा के चुनाव अपने दम पर लड़ने की तैयारी में है। ऐसे में निकाय चुनाव भाजपा की परीक्षा की पहली कसौटी हैैं। शहरी क्षेत्रों के इन चुनावों में उतरने के लिए पार्टी पूरा जोर लगाना चाहती है, इसलिए पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैंं। 24 साल बाद यह पहला मौका होगा जब शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी स्थानीय निकाय चुनाव के मैदान में आमने – सामने नजर आएंगे।
विधानसभा चुनाव की राह नहीं होगी आसान
भारतीय जनता पार्टी के लिए विधानसभा के चुनाव में अपने दम पर उतरने की राह आसान नहीं होगी। गठबंधन के समय भाजपा को पंजाब की 117 में से मात्र 23 सीटें ही मिलती थीं। मालवा क्षेत्र, जहां राज्य की करीब आधी विधानसभा सीटें हैं, वहां पार्टी केवल राजपुरा, फाजिल्का, अबोहर और फिरोजपुर ही चुनाव लड़ती रही है। इसलिए पार्टी का मालवा के अन्य क्षेत्रों में आधार ही नहीं है। अब भाजपा को सबसे ज्यादा ध्यान इसी क्षेत्र में देना होगा, जिसे लेकर पार्टी ने कमर कस ली है।