चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि भारतीय किसान यूनियन के लक्खोवाल गुट की ओर से नए कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस लिया जाना एक बड़ी साजिश है। अजमेर सिंह लक्खोवाल ने शिरोमणि अकाली दल के दबाव में सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली है। उन्होंने आरोप लगाया कि अकाली दल के नेता किसान यूनियनों का साथ देने के बहाने किसानों में फूट डाल कर नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी संघर्ष को कमजोर कर रहे हैं।
कहा- किसानों में फूट डालकर अकाली कर रहे किसान संघर्ष को कमजोर
अमरिंदर ने लक्खोवाल की अकालियों से नजदीकी का हवाला दिया। कैप्टन ने कहा कि इन काले कानूनों के खिलाफ कानूनी लड़ाई से अचानक पीछे हटने के लक्खोवाल के फैसले से स्पष्ट है कि वह अकालियों के इशारे पर नाच रहे हैं। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल में अजमेर सिंह लक्खोवाल दस साल पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन रहे हैं। कैप्टन ने अन्य किसान यूनियनों को इस संघर्ष में अकालियों के मंसूबे से सावधान रहने की अपील की है।
कैप्टन ने कहा है कि यह साजिश केंद्र में सत्तासीन भाजपा द्वारा रची गई है और किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के खिलाफ किए जा रहे संघर्ष को कमजोर करने का प्रयास है। कोरोना महामारी के दौर में इन काले कानूनों को संसद में पारित करके भाजपा ने पहले कृषि क्षेत्र का नियंत्रण निजी हाथों में देने का षडयंत्र रचा था। लेकिन, इसके खिलाफ किसानों के जोरदार संघर्ष को देखते हुए केंद्र सरकार ने अकाली नेताओं का त्याग पत्र दिलवाने का ड्रामा रच कर अब किसानों को भावनात्मक तौर पर बहकाने का प्रयास किया जा रहा है।
कैप्टन ने कहा कि जब अकाली नेता दिखावा करके किसानों के संघर्ष को समाप्त नहीं करवा पाए तो वह किसानों में फूट डाल कर इस संघर्ष को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। कैप्टन ने अकाली नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि वह किसानों को गुमराह करने की कोशिश करके आग से खेल रहे हैं और उन्हें यह हरकत बहुत महंगी पड़ेगी।
गौरतलब है कि सोमवार को किसान संगठनों के दबाव का हवाला देते हुए भाकियू लक्खोवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को वापस ले लिया था। यूनियन ने कहा था कि वह अपनी मांग मनवाने के लिए संघर्ष के रास्ते को अपनाएगी।