चंडीगढ़ .देश की गोपनीय जानकारी दुश्मन को देश को देने और ड्रग तस्करी करने के आरोपी किसी भी तरह के रहम के हकदार नहीं हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी तीन आरोपितों की अग्रिम जमानत की मांग को खारिज करते हुए की।
हाई कोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने कहा कि ऐसे समय में जब सेना और अर्धसैनिक बल सीमा पार से गोलीबारी में अपनी जान गंवा रहे हैं, वहीं ऐसे लोग देश के खिलाफ काम कर रहे हैं। वह न केवल नशीली दवाओं की तस्करी में शामिल हैं, बल्कि भारतीय सेना की गुप्त सूचनाओं को पाकिस्तान को भी पहुंचा रहे हैं।
मामले में अमृतसर निवासी गुरलाल सिंह, गुरप्रीत कौर और हरप्रीत सिंह ने अग्रिम जमानत को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। तीनों आरोपितों पर पिछले साल 8 मई को आधिकारिक गुप्त अधिनियम, आपराधिक साजिश और एनडीपीएस अधिनियम के तहत पुलिस थाना घरंडा, जिला अमृतसर ग्रामीण में मामला दर्ज किया गया। उनके खिलाफ मलकीत सिंह उर्फ फौजी द्वारा दिए गए बयान के आधार पर मामला दर्ज किया गया था।
मलकीत सिंह भारतीय सेना में सिपाही के रूप में काम कर रहा था। सभी आरोपित वाट्सएप के माध्यम से पाकिस्तान में एजेंटों से संपर्क करते थे। उन्होंने भारतीय सेना की गतिविधियों के बारे में पाक को गुप्त जानकारी दी। उन्होंने भारतीय सेना को नुकसान पहुंचाने के लिए सेना की आंतरिक सुरक्षा के संबंध में तस्वीरें, साइट योजना, प्रशिक्षण मैनुअल और अन्य गुप्त जानकारी पाकिस्तान को दी। मलकीत ने इन सभी के अपराध में शामिल होने का खुलासा किया था।
इसके बाद तीनों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की मांग की थी। अदालत में बहस के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता से हिरासत में लेकर पूछताछ आवश्यक है, क्योंकि सह अभियुक्त मलकीत सिंह उर्फ फौजी के साथ सभी आरोपित साजिश में पाकिस्तानी एजेंसियों के साथ मिले हुए हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि पाकिस्तानी एजेंसियों ने उन्हेंं सॉफ्ट टारगेट दिया। इसके परिणामस्वरूप कई सुरक्षाकॢमयों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है और इसलिए याचिकाकर्ता किसी भी तरह की रहम के हकदार नहीं है।