एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में चार लैब टेक्नीशियनों पर लटकी तलवार, सीएमओ ने बड़े अधिकारी को भेजी रिपोर्ट

बठिंडा। सात नवंबर को 11 वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में बुधवार को जांच कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट एसएमओ के जरिए सीएमओ को सौंप दी। जांच कमेटी ने इस मामले में ब्लड बैंक में ठेके पर भर्ती चार लैब टेक्नीशियनों को आरोपित ठहराया है। इसमें गुरदीप सिंह, अजय शर्मा, जगदीप कुमार व गुरदीप का नाम शामिल है। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इन्हीं चारों लैब टेक्नीशियन ने अपनी जिम्मेवारी ठीक ढंग से नहीं निभाई। नियमों अनुसार खून की जांच किए बिना ही बच्चे को खून इश्यू कर दिया। जिसके कारण बिना पूरे टेस्ट किए रक्त थैलेसीमिया को चढ़ा दिया गया।

जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि लगातार आ रहे मामलों को देखते हुए यह मामला बेहद गंभीर है और इसकी बारीकी से जांच होनी चाहिए। इसलिए किसी जांच एजेंसी से पड़ताल करवाकर पूरा मामले में दूध का दूध और पानी का पानी किया जाए। जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए सीएमओ ने हेल्थ डायरेक्टर को भेज दी है। अब यह देखना होगा कि विभाग इन चारों लैब टेक्नीशियन को नौकरी से बर्खास्त करता है या फिर उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई जाती है। फिलहाल सीएमओ डायरेक्टर के आदेशों का इंतजार कर रहे है, ताकि अगली कार्रवाई को अंजाम दिया जा सके।

तीसरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित

उधर, गत 17 नवंबर को आए तीसरे मामले की जांच के लिए एसएमओ डा. मनिंदरपाल सिंह ने तीन मेंबरी कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में भी पहले वाली कमेटी के सदस्य डा. गुरमेल सिंह, डा. सतीश जिंदल व डा. मनिंदरपाल काैर को शामिल किया गया है। इसके अलावा बुधवार को चंडीगढ़ से दो सदस्यीय की एक अलग टीम जांच के लिए बठिंडा सिविल अस्पताल पहुंची। इसमें पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. मनप्रीत छतवाल व पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की बीटीओ डा.सुनिता शामिल थी।

दोनों सदस्यीय टीम ने उक्त मामले को लेकर एसएमओ समेत मामले को लेकर गठित लोकल जांच कमेटी के साथ मीटिंग की और ब्लड बैंक के रिकार्ड की जांच की। चंडीगढ़ से आई टीम ने करीब पांच से छह घंटे तक अस्पताल में रहकर पूरे मामले से संबंधित रिकार्ड भी खंगाला। लगातार आ रहे मामले के बाद सिविल अस्पताल के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ आशंका जताई जा रही है कि अगर बिना जांच किए रक्त इश्यू किया जा रहा है, तो अन्य थैलेसीमिया बच्चों की जांच करवाने पर उनमें से भी संक्रमित हो सकते है। फिलहाल जिसका पता उन बच्चों की जांच के बाद ही होगा।

सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल आफिसर डा. मनिंदरपाल सिंह का कहना है कि सात नवंबर वाले मामले की रिपोर्ट जांच कमेटी ने उन्हें साैंपी दी है। इसमें ब्लड बैंक के चार लैब टेक्नीशियनों को आरोपित बनाया गया है। यह चारों ठेके पर काम करते है। रिपोर्ट सीएमओ को अगली कार्रवाई के लिए भेज दी। वहीं 17 नवंबर वाले मामले के लिए भी एक जांच कमेटी गठित कर दी गई है, जोकि पूरे मामले की जांच कर उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपगी।

सिविल अस्पताल के सिविल सर्जन डा. अमरीक सिंह संधू का कहना है कि एसएमओ द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट उन्होंने अगली कार्रवाई के लिए हेल्थ डायरेक्टर को भेज दी है। रिपोर्ट में जो लैब टेक्नीशियन आरोपित पाएं गए है, उनके खिलाफ क्या एक्शन लेना है, इसका फैसला हेल्थ डायरेक्टर करेंगे।

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