बठिडा : जरूरतमंद परिवारों को पांच लाख तक सेहत बीमा देने के लिए सरकार की तरफ से शुरू की गई आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्या योजना में गड़बडि़यां करने और मरीजों को योजना का सही फायदा नहीं पहुंचाने वाले प्रदेश के पांच प्राइवेट अस्पतालों को योजना से बाहर कर दिया गया। जिन अस्पतालों को योजना से बाहर किया गया है, उन अस्पतालों के खिलाफ सेहत विभाग को लंबे समय से घपलेबाजी करने की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद एंटी फ्राड यूनिट टीम ने अस्पतालों के खिलाफ मिल रही सभी शिकायतों की अपने स्तर पर जांच की और आरोप सही पाए जाने पर अपनी रिपोर्ट बनाकर स्टेट कमेटी को भेज दी। इसके बाद स्कीम के स्टेट नोडल आफिसर कम सीईओ ने इन पांचों को नोटिस जारी कर स्कीम से बाहर कर दिया है।
सेहत विभाग ने बठिडा से संबंधित दो प्राइवेट अस्पतालों को इस स्कीम से बाहर किया है। अमृतसर, मानसा व मोगा जिले का एक-एक प्राइवेट अस्पताल का नाम भी शामिल है, जिन्हें सेहत विभाग ने योजना से बाहर किया है।
विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बठिडा के आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, बठिडा का आस्था अस्पताल, अमृतसर का आकाशदीप अस्पताल, मानसा का जिदल आर्थो अस्पताल और मोगा का गर्ग नर्सिंग होम को फिलहाल स्कीम से बाहर किया गया है। इन अस्पतालों की सेहत विभाग के पास कई प्रकार की शिकायतें पहुंची थी। इसमें ज्यादातर शिकायतें यह थीं कि उक्त अस्पताल सरकार से बीमा का फायदा ले रहे थे और दूसरी तरफ मरीजों का इलाज कर उनसे भी पैसे वसूल कर रहे थे। अस्पताल मरीजों की दो-दो फाइलें तैयार कर सरकार व मरीज दोनों से पैसे वसूल कर रहे थे। विभाग के पास सैकड़ों शिकायतें पहुंचने के बाद जब इनकी जांच करवाई गई, तो ज्यादा शिकायतें सही मिली। विभाग ने आदेश अस्पताल, आस्था अस्पताल बठिडा व अमृतसर का आकाशदीप अस्पताल को 22 अगस्त को और मानसा के जिदल आर्थो व मोगा के गर्ग नर्सिंग होम को जुलाई माह में ही स्कीम से बाहर कर दिया गया था। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में डमी मरीजों की भर्ती करने और मरीजों से नकद पैसे लेकर और योजना के तहत उनका इलाज करने की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद बठिडा के आदेश इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च को आयुष्मान योजना से बाहर कर दिया गया है। स्टेट हेल्थ एजेंसी पंजाब की स्टेट एंटी फ्राड यूनिट ने कार्रवाई की है। इससे पहले डिप्टी मेडिकल कमिश्नर बठिडा की रिपोर्ट के आधार पर स्टेट एंटी फ्राड यूनिट के चेयरमैन ने आदेश कॉलेज को शोकॉज नोटिस जारी कर अगले आदेश तक आयुष्मान भारत के तहत मिलने वाली हर प्रकार की सुविधाओं पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन अब आदेश अस्पताल को योजना से बाहर कर दिया गया है। स्टेट हेल्थ एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि आदेश अस्पताल के खिलाफ 104 से अधिक शिकायतें मिली है, जिसमें वह आयुष्मान भारत योजना के कार्ड होल्डर मरीजों से नकदी वसूल कर रहे हैं।
वहीं जारी आदेश में अस्पताल के खिलाफ दो बड़ी शिकायतों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें स्टेट इम्प्लीमेंट कमेटी एसईसी की तरफ से अस्पताल को शोकॉज नोटिस जारी करने के साथ वार्निंग लेटर देने की बात कही है। हेल्थ एंड ह्यूंमन राइट एक्टिविस्ट डॉ. वितुल गुप्ता ने स्कीम के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर कुमार राहुल को 31 जनवरी 2020 को लिखित शिकायत भेजी थी। इसमें अस्पताल के अंदर स्कीम को लेकर की जा रही गड़बड़ियों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई थी। उन्होंने योजना में घपला होने के आरोप लगाते हुए बताया था कि अस्पताल में आने वाले स्कीम होल्डर मरीजों से पैसे की मांग की जाती है और नहीं देने पर इलाज नहीं किया जाता है। इतना ही नहीं इसमें कई डमी केस बनाकर उनकी फाइल तैयार की जाती है और उन फाइलों को सरकार के पास भेजकर राशि क्लेम की जाती है। यह डमी फाइलें ऐसे लोगों की होती है, जिनके पास योजना का कार्ड है व उन्हें कमिशन व कुछ राशि का लालच देकर बिना इलाज के ही फाइल तैयार कर सरकार से भुगतान हासिल कर लिया जाता है।