बठिंडा. वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने बठिंडा में पत्रकारों से बात करते कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब में किसान सड़कों पर रेल ट्रेकों पर जमे हैं। इससे विकट स्थिति पैदा हो गई है। कोयले की आपूर्ति न होने से थर्मल पावर प्लांटों में बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके अलावा सीमा पर तैनात जवानों को रसद पहुंचाने में भी दिक्कत आ रही है।
पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि पिछले 12 दिनों से रेलवे लाइनों पर चल रहे किसानों के आंदोलन के कारण अत्यंत गंभीर स्थिति पैदा हो गई है। लद्दाख में हाल में ही ढाई सौ बच्चों (सैनिकों) को भेजा गया है। उनके पास राशन, गोला-बारूद और पेट्रोल डीजल खत्म हो गया है। 30 अक्टूबर से वहां पर बर्फ गिरनी शुरू हो जाएगी। जिसके बाद छह महीनों तक वहां पर कुछ भी पहुंचाया नहीं जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि अगर जल्दी ही वहां पर राशन, गोली-सिक्का और पेट्रोल-डीजल नहीं पहुंचाया गया तो जवान दुश्मनों के साथ कैसे लड़ेंगे। वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने यह बात रविवार को यहां पर अपने दौरे के दौरान एक नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने यह भी कहा कि किसान आंदोलन के कारण थर्मल प्लांटों में महज दो दिन का कोयला बचा है। अगर इन थर्मल प्लांटों में कोयला नहीं पहुंचा तो प्रदेश की बत्ती गुल हो सकती है।
उन्होंने कहा कि इसी तरह कोयला न पहुंचने के कारण फर्टिलाइजर्स फैक्ट्रियों में खाद का उत्पादन ठप हो गया। फैक्ट्रियों के पास खाद खत्म हो चुकी है, जबकि अब गेहूं की बिजाई करनी है। इससे खेतों में गेहूं की बिजाई का काम भी प्रभावित होकर रह जाएगा। किसानों के आंदोलन के कारण चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है। वित्तमंत्री ने फिर दोहराया कि बुधवार को होने जा रही कैबिनेट की मींटिंग में सरकारी विभागों में नौकरियों की भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू करने को हरी झंडी दी जाएगी। कांग्रेस सरकार आने वाले छह माह के अंदर एक लाख नौजवानों को नौकरियां देगी।
बता दें, पंजाब में पिछले 17 दिनों से किसान रेल ट्रैक पर डेरा जमाए बैठे हैं। किसानों के आंदोलन का असर अब थर्मल पावर प्लांटों पर पड़ा है। बिजली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रेलवे ट्रेकों पर किसानों के जमे होने के कारण मालगाड़ियों का आवाजाही ठप है। इसके कारण सामान इधर से उधर नहीं भेजा जा पा रहा। किसानों के रेल रोको आंदोलन ने सरकारों की चिंता बढ़ा दी है।
इस स्थिति पर नए सिरे से विचार करने के लिए आज 13 किसान संगठनों की बरनाला में मीटिंग होगी। इसमें वामपंथी संगठन शामिल नहीं होंगे। यह बैठक लगातार दो दिन चलेगी। दूसरे दिन वामपंथी संगठनों को साथ लेकर 30 संगठनों की मीटिंग होगी। इसमेंं धान की कटाई और गेहूं की बुवाई को मुख्य रखते हुए नए सिरे से रणनीति तैयार की जाएगी। यही नहीं किसान संगठनों में भी यह सुगबुगाहट होने लगी है कि अब रेलवे ट्रैक को खोल दिया जाए क्योंकि इसका नुकसान अब किसानों को भी होने लगा है। किसानों की दो दिन तक चलने वाली मीटिंग में कई बातें तय होनी निश्चित हैं।