कोरोना से गणेशा बस्ती वासी एक व्यक्ति की मौत, 30 नए संक्रमित मरीज मिले, 17 नेगटिव

-सितंबर माह में सर्वाधिक लोगों की हुई कोरोना से मौत, आकड़ा 80 के करीब पहुंचा

बठिंडा. जिले में कोरोना वायरस से मरने व संक्रमित होने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को कोरोना से एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक 65 साल के आनंदपाल गर्ग गणेशा बस्ती गली नंबर 7 ए में रहते थे व पिछले चार दिनों से कोरोना संक्रमित होने के कारण उपचार करवा रहे थे। इस तरह से जिले में कोरोना से मरने वाले लोगों की तादाद 129 के करीब पहुंच चुकी है। दूसरी तरफ सरकार की तरफ से बेशक कोरोना को लेकर जारी की गई बड़ी पाबंदियों को हटा दिया है लेकिन इसमें मास्क पहनने व सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना लाजमी रखा है।

  • इसके बावजूद लोग शुरूआत में पुलिस की सख्ती के चलते नियमों की पालना कर रहे थे लेकिन अब फिर से लापरवाही प्रमुख बाजारों व गलियों में देखने को मिल रही है। शुक्रवार को जिले में 30 कोरोना पोजटिव केस सामने आए है इसमें सर्वाधिक सात मामले कैंट थाने के अधीन मिले हैं जबकि चिंता वाली बात यह है कि बठिंडा शहर का सबसे पाश इलाका माडल टाउन में पिछले कुछ दिनों से लगातार कोरोना पोजटिव केस मिल रहे हैं।
  • शुक्रवार को भी इलाके में तीन केस पोजटिव मिले। वही विशाल नगर में दो, चंदसर बस्ती में एक, मुलतानिया रोड गली नंबर 6 व तीन में दो, ग्रीन सिटी में एक, बीड़तलाब में एक, राजगढ़ भगता एक, बुर्ज राजगढ़, कोट गुरुका एक, खेता सिंह बस्ती में एक, पुलिस लाइन में एक, नगर निगम बठिंडा में एक, अग्रवाल कालोनी में एक, कोटभाई में एक, भिसियाना एयरफोर्स में दो, माता रानी वाली गली बठिंडा में एक, कमालू नजदीक गुरुद्वारा साहिब में एक व मालवा कालोनी रामा में एक पोजटिव केस मिला है। फरीदकोट मेडिकल कालेज की रिपोर्ट के अनुसार 17 लोगों के केस नेगटिव मिले जबकि दो मामले संदिग्ध मान फिर से जांच के लिए भेजे गए है। इस तरह से जिले में सेहत विभाग की तरफ से अब तक 61 हजार 69 लोगों के सैंपल लिए गए है जबकि मरीजों की तादाद 5789 हो गई है। वही 4205 लोगों के ठीक होने के साथ 750 एक्टिव मामले जिले में है।

सितंबर महीना रहा कोरोना मरीजों के लिए भारी, मृत्यु दर रही सर्वाधिक

कोरोना संक्रमण सितंबर में शहर पर बहुत भारी रहा। अब तक जिले में महामारी से 129 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे खतरनाक अगस्त माह के मुकाबले सितंबर में कोरोना के नए मरीज मिलने और मौतों की रफ्तार तीन गुणा हो गई। जिले में 31 अगस्त तक (5 माह में) कोरोना संक्रमण से 36 लोगों की मौत हुई थी व 2606 पॉजिटिव मिले थे। अगस्त में करीब 25 मौतें हुईं वहीं सितंबर माह के 30 दिनों ही 80 लोगों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई और 3211 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। वहीं अब रोजाना करीब दो से तीन लोगों की मौत का कारण कोरोना बन रहा है। अगस्त के 31 दिनों में रोजाना औसतन 60 से 70 नए मरीज मिले। सितंबर माह की औसत 100 से अधिक पहुंच गई। अब तक जिले में कुल 5810 लोग पॉजीटिव आ चुके हैं, जबकि इस वक्त 629 का इलाज चल रहा है। वीरवार को 88 लोग डिस्चार्ज हुए। अब तक 4293 लोग ठीक हो चुके हैं।

देरी से अस्पताल पहुंचने वालों की बिगड़ रही हालत

कोरोना का इलाज कर रहे डाक्टरों के अनुसार संक्रमण सबसे पहले मरीज के फेफड़ों पर बुरा प्रभाव डालता है। उसके बाद मरीज को सांस लेने में दिक्कत आती है। अब तक सांस के ऐसे मरीज सामने नहीं आए हैं, जिनकी हालत बिना लक्षण के खराब हुई हो यानी उन्हीं लोगों की हालत ज्यादा खराब हुई, जो लक्षण आने के बावजूद टेस्ट और डाक्टरी सलाह से कतराते रहे। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में जिन मरीजों का लेवल-3 की श्रेणी में इलाज चल रहा है, उनमें अधिकतर मरीज ऐसे हैं, जो बहुत देरी से अस्पताल पहुंचे और उनके फेफड़ों में इंफेक्शन बहुत बढ़ चुका था। इलाज शुरू करने से पहले उनका एक्स-रे किया गया, एक्स-रे में सफेद परत या धब्बों के रूप में इंफेक्शन साफ दिखाई दे रहा है। वहीं सिविल अस्पताल के मेडिसन स्पेशलिस्ट का कहना है कि अगर लक्षण आने के बावजूद मरीज देरी से अस्पताल में इलाज शुरू करवाता है तो मुमकिन है कि उसके फेफड़ों में फाइब्रोसिस हो जाए वहीं हेल्थ माहिरों की मानें तो एल्कोहलिक मरीज के पेनक्रियाज को संक्रमण खत्म कर रहा है।

फेफड़ों पर कर रहा सीधा असर

अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस का शिकार है और बुखार कुछ दिन तक टूटता नहीं तो कोविड का इंफेक्शन सीधा फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। बिना बुखार के सांस लेने में दिक्कत है तो डॉक्टर की सलाह के साथ छाती का एक्सरे और स्कैन जरूर करवाना चाहिए। इससे जानलेवा निमोनिया डिटेक्ट होता है। वहीं सीटी स्कैन से कोरोना का संक्रमण होने का 95 फीसदी तक अंदाजा लगाया जा सकता है व कोरोना वायरस किस स्टेज में है, इसका पता लगाया जा सकता है।

सितंबर में अधिक सैंपलिंग हुई

जिला टीकाकरण अफसर डा. कुंदन कुमार पाल ने बताया कि अधिक से अधिक टेस्टिंग को प्राथमिकता देते हुए सितंबर के 18 दिन तक प्रतिदिन एक हजार से अधिक लोगों ने कोरोना सैंपलिंग कराई। जिसका परिणाम यह रहा है कि ज्यादा से ज्यादा कोरोना संक्रमितों की पहचान करने में आसानी हुई और उन्हें होम आइसोलेट कर कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने में मदद मिली। अधिकतर मृतक पहले से हाइपरटेंशन और डायबिटीज से पीड़ित थे व बाद में उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ।

नेगटिव रिपोर्ट के बावजूद हो सकता है कोरोना

कोरोना को लेकर हर रोज नए तथ्य सामने आ रहे हैं। ताजा अपडेट यह है कि जिन मरीजों का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आ रहा है, वे भी इस महामारी से ग्रसित हो सकते हैं। कई मरीजों में लक्षण होने के बावजूद तीन चार बार टेस्ट करवाने पर भी वह नेगेटिव आ रहे हैं। कई मरीज कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद इलाज की प्रक्रिया पूरी भी कर लेते हैं और उनमें कोई लक्षण न होने पर भी बार-बार टेस्ट करवाने के बाद रिपोर्ट में पॉजिटिव आ रहे हैं। सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में मरीजों की पिछले कुछ समय से आने वाली इनकनक्लूसिव रिपोर्ट मरीजों व डाक्टरों के लिए सिर दर्द बन चुकी हैं। मरीज बीमारी को लेकर तथा डॉक्टर इलाज को लेकर मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। जिले में 100 आरटीपीसीआर टेस्टों में से 5-7 टेस्ट की रिपोर्ट इनकनक्लूसिव आ रही हैं। जबकि 99 फीसदी टेस्टों की रिपोर्ट पॉजिटिव या निगेटिव ही मिल रही हैं। सेहत विभाग की ओर से 30 सितंबर तक 62104 सैंपल लिए गए हैं। जिसमें 5810 सैंपलों की रिपोर्ट पॉजिटिव प्राप्त हुई। फरीदकोट मेडिकल कालेज की कोविड लैब से जारी टेस्ट की रिपोर्ट में 100 में 5 या 7 की रिपोर्ट इनकनक्लूसिव आ रही है। कोरोना संदिग्ध मरीज का दोबारा सैंपल लेकर भेजने की सिफारिश की जाती है।

सैंपल दोबारा भेजे जाते हैं

जिला टीकाकरण अफसर व कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ. कुंदन पाल कुमार ने बताया कि लैब से इनकनक्लूसिव रिपोर्ट आने की सूरत में उसके सैंपल तुरंत ट्रूनेट पर जांच कर हकीकत का पता चला लिया जाता है। कंफर्म के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाया जाता हैं। संदिग्ध मरीज के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे जाते हैं। वहां से आई रिपोर्ट में कुछ सैंपलों को इनकनक्लूसिव श्रेणी में रखा जाता हैं। यह न तो पॉजिटिव है और न ही नेगेटिव हैं। इनके सैंपल दोबारा लेते हैं।

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